रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आने वाले हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा और कार्यशैली से जुड़ी कई चीजों की चर्चा हो रही हैं. कहा जाता है कि पुतिन कुछ गिने-चुने लोगों से ही घिरे रहते हैं. कुछ खास लोगों के अलावा और कोई उनके करीब नहीं आ सकता है. इन चुनिंदा लोगों के सर्किल को 'सिलोविकी' कहा जाता है. ऐसे में जानते हैं इन एलीट 'सिलोविकी' के सदस्यों का क्या काम है और क्यों इनकी चर्चा होती रहती है.
सिलोविकी के सदस्य पुतिन के करीबी माने जाते हैं. इनमें उनके मित्र, उनकी पूरी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारी और उन्हें सलाह देने वाले लोग शामिल होते हैं. सिलोविकी का सीधा अर्थ है - केजीबी जैसे संस्था में सेवा कर चुके वैसे सीनियर रैंक अफसर जो हमेशा पुतिन को घेरे रहते हैं और उनके महत्वपूर्ण फैसलों में सलाह देते हैं.
सुरक्षा संबंधी मामलों पर हावी रहते हैं 'सिलोविकी'
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीतिक विश्लेषक तात्याना स्टानोवाया के अनुसार रूस के राष्ट्रपति के करीबी एलीट समूह दो समूहों में बांटा है - एक टेक्नोक्रेट जो सरकार पर हावी हैं, लेकिन सुरक्षा मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं रखते और दूसरा सिलोविकी जो हर एजेंडे पर हावी रहते हैं, खासकर पुतिन और देश की सुरक्षा को लेकर.
यूक्रेन युद्ध के लिए इन्हें माना जाता है जिम्मेदार
इन सिलोविकी पर अक्सर ये आरोप लगते आए हैं कि यूक्रेन और अन्य यूरोपीय देशों को लेकर पुतिन की जो नीति है, उसके पीछे इनकी सलाह और नजरिया ही मुख्य वजह है. पिछले कुछ वर्षों में इनका प्रभाव बढ़ा है और यही वजह है कि पुतिन के हर फैसले पर इनका दृष्टिकोण हावी रहता है. ऐसे में जानते हैं इस सिलोविकी में कौन-कौन से लोग शामिल हैं, जिन्हें पुतिन का करीबी माना जाता है.
1.निकोलाई पेत्रुशेव
सिलोविकी में सबसे शक्तिशाली रूस की सुरक्षा परिषद के प्रमुख निकोलाई पात्रुशेव हैं. वह एक पेशेवर खुफिया अधिकारी हैं. पात्रुशेव पुतिन को 1970 के दशक से जानते हैं. जब दोनों लेनिनग्राद में केजीबी में साथ काम करते थे. बाद में उन्होंने रूस की घरेलू खुफिया एजेंसी FSB के प्रमुख का पद संभाला और 2008 से सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष हैं.
निकोलाई के साक्षात्कारों ने उन्हें एक षड्यंत्र सिद्धांतकार के रूप में उजागर किया है, जो मानते हैं कि पश्चिमी शक्तियां रूस को नष्ट करना चाहती हैं. 2015 के एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि अमेरिका चाहता है कि रूस का एक देश के रूप में कोई अस्तित्व ही न रहे,
निकोलाई कथित तौर पर बाल्कन के लिए क्रेमलिन के अनौपचारिक प्रतिनिधि भी थे और माना जाता है कि उन्होंने 2016 में मोंटेनेग्रो में तख्तापलट की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो देश को नाटो में शामिल होने से रोकने का एक प्रयास था.
2. सर्गेई नारिश्किन
सर्गेई नारिश्किन रूस की विदेशी खुफिया सेवा (SVR) के प्रमुख हैं. वह कथित तौर पर एक पूर्व केजीबी अधिकारी हैं और पुतिन को कम से कम 1990 के दशक से जानते हैं. जब वे दोनों सेंट पीटर्सबर्ग के मेयर कार्यालय में काम करते थे. नारिश्किन पुतिन के एक वफादार हैं, जो रूसी नेता के साथ क्रेमलिन में भी रहे.
ऐसा माना जाता है कि नारिश्किन की मुलाकात पुतिन से उनके जासूसी प्रशिक्षण के दिनों में हुई थी और उन्हें ब्रुसेल्स में राजनयिक के रूप में तैनात किया गया था, उसी समय पुतिन को एक युवा जासूस के रूप में ड्रेसडेन भेजा गया था.
वह रूसी ऐतिहासिक सोसायटी के प्रमुख हैं, जिसने रूस के इतिहास की अनुकूल व्याख्या को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाई है, जो पुतिन की प्रिय परियोजना है. सर्गेई एक प्रभावी पदाधिकारी और कुशल वक्ता हैं, जिन्हें कभी-कभी पुतिन के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में सुझाया जाता रहा है.
3. अलेक्जेंडर बोर्तनिकोव
अलेक्जेंडर बोर्टनिकोव रूस की घरेलू खुफिया एजेंसी एफएसबी (FSB) के वर्तमान निदेशक और सोवियत जासूसी एजेंसी केजीबी के उत्तराधिकारी हैं. बोर्तनिकोव, देश पर पुतिन का नियंत्रण बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. इस विशाल सुरक्षा तंत्र में लाखों लोग कार्यरत हैं. आतंकवाद-निरोध से लेकर सीमा सुरक्षा, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और अनौपचारिक रूप से राजनीतिक विपक्ष को आतंकित करने तक, हर चीज के लिए जfम्मेदार हैं. बोर्तनिकोव पुतिन को 1970 के दशक से जानते हैं, जब दोनों लेनिनग्राद केजीबी में कार्यरत थे. ऐसा माना जाता है कि पुतिन पर उनका प्रभाव पात्रुशेव या नारिश्किन से कम है.
4. सर्गेई शोइगु
सर्गेई शोइगु ने केजीबी या सेना में सेवा नहीं की और रक्षा मंत्री के रूप में उनकी भूमिका उन्हें एक टेक्नोक्रेट के साथ-साथ एक सिलोविक भी बनाती है. आधुनिक रूसी सेना, जिसमें आक्रामक जीआरयू (GRU)सैन्य खुफिया एजेंसी भी शामिल है, इन पर शोइगु की निगरानी रहती है. इसका सीधा मतलब है कि वे अक्सर महत्वपूर्ण सुरक्षा निर्णयों में शामिल होते हैं. शोइगु तुवा से हैं, जो साइबेरिया में स्थित एक बौद्ध गणराज्य है और मंगोलिया की सीमा से लगा हुआ है.सर्गेई और पुतिन दोनों साइबेरिया में व्यापक रूप से प्रचारित शिकार और निशानेबाजी अभियानों पर एक साथ जाते हैं.
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स्काई न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की सुरक्षा एजेंसियों के विशेषज्ञ, मायाक इंटेलिजेंस के मार्क गेलोटी कहते हैं कि शोइगु राष्ट्रीय हितों के प्रबल समर्थक हैं, लेकिन उनमें बाकी लोगों जैसी गहरी पश्चिम विरोधी भावनाएं नहीं हैं.
5. वालेरी गेरासिमोव
सेना के जनरल वालेरी गेरासिमोव जनरल स्टाफ़ के प्रमुख हैं. वे एक पुराने ज़माने के सोवियत जनरल और अनुभवी सैन्य रणनीतिकार हैं. यूक्रेनी आक्रमण की योजना जनरल गेरासिमोव के कार्यक्षेत्र में थी. राष्ट्रपति पुतिन अपने पुराने सैनिकों की वफादारी को परिणामों से अधिक महत्व देते हैं. यही वजह है कि जनरल गेरासिमोव ने अपने शीर्ष सैन्य पद को बरकरार रखा है.
6. एंटोन वैनो
एंटोन वेनो राष्ट्रपति कार्यकारी कार्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ हैं. वह सार्वजनिक रूप से कम दिखाई देते हैं, लेकिन माना जाता है कि वह क्रेमलिन प्रशासन के एक अत्यधिक कुशल प्रबंधक हैं, जिन पर पुतिन को पूरा भरोसा है कि वह अपने मामलों को व्यवस्थित रखेंगे और अपने नौकरशाहों को नियंत्रण में रखेंगे.
7. यूरी कोवलचुक
राष्ट्रपति पुतिन के अनौपचारिक करीबी विश्वासपात्रों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. यूरी कोवलचुक एक रूसी एलीट हैं जिनके राष्ट्रपति से पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंध हैं. जब राष्ट्रपति पुतिन तत्कालीन लेनिनग्राद (आधुनिक सेंट पीटर्सबर्ग) के उप-मेयर थे, तब उनकी मुलाकात यूरी से हुई थी.
स्काई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल द क्रेमलिन्स मेन के लेखक मिखाइल जायगर कहते हैं कि उन्होंने कभी कोई सरकारी पद नहीं संभाला है, लेकिन वे स्पष्ट रूप से रूस के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक हैं और वैचारिक रूप से पुतिन के बहुत करीब हैं.