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लड़कियों को भा रहा चार्टर्ड अकाउंटेंट का करियर, जानें- क्या है इसकी वजह

बीते कुछ सालों से इस फील्ड में लड़कियों ने अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया है. इस फील्ड में करियर बनाने के पीछे देखा जाए तो लड़कियों का लगातार एकेडमिक क्षेत्र में बेहतर करना भी एक वजह है. आइए- मुंबई में चार्टर्ड अकाउंटेंट सनी सक्सेना से जानते हैं कि इस करियर को उन्होंने क्यों चुना और इस फील्ड ने उन्हें कैसे पहचान दी. 

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चार्टर्ड अकाउंटेंट सनी सक्सेना
चार्टर्ड अकाउंटेंट सनी सक्सेना

इस साल 14,700 चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इनमें से 44 प्रतिशत फीमेल कैंड‍िडेट हैं. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने मई 2022 सीए फाइनल परीक्षा के ये आंकड़े दो दिन पहले हुए दीक्षांत समारोह में दिए. 
तमाम अन्य करियर की तरह चार्टर्ड अकाउंटेंसी का क्षेत्र भी ऐसा रहा है जहां लंबे समय से पुरुषों का दबदबा है. लेकिन बीते कुछ सालों से इस फील्ड में लड़कियों ने अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया है. इस फील्ड में करियर बनाने के पीछे देखा जाए तो लड़कियों का लगातार एकेडमिक क्षेत्र में बेहतर करना भी एक वजह है. आइए- मुंबई में चार्टर्ड अकाउंटेंट सनी सक्सेना से जानते हैं कि इस करियर को उन्होंने क्यों चुना और इस फील्ड ने उन्हें कैसे पहचान दी. 

aajtak.in से बातचीत करते हुए सनी कहती हैं कि मैं यूपी के एक छोटे से शहर की रहने वाली हूं. हमारे यहां लड़कियों को डॉक्टर या टीचर बनने की नसीहतें बचपन से ही मिलने लगती हैं. मेरे सीए बनने के पीछे की वजह सच पूछ‍िए तो वो भी बेटी होना ही है. मैं एक बेहद सामान्य परिवार से आती हूं. मेरे घर में हम दो बहनें थीं. एक बार मेरी मां सफर में थीं, रास्ते में ट्रेन में एक महिला मिली तो मम्मी से परिचय हो गया. मम्मी से उन्होंने बताया कि उनका बेटा सीए बन गया है. मैं तब नौवीं में पढ़ रही थी. मम्मी ने उनसे पूछा कि चार्टर्ड अकाउंटेंट कैसे बनते हैं तो आंटी ने कहा कि इस फील्ड में लड़के जाते हैं, क्योंकि उनकी गण‍ित और हिसाब किताब अच्छा होता है. इस फील्ड में सैलरी भी बहुत अच्छी होती है. बस उसी दिन में मेरे दिमाग में बैठ गया कि मैं चार्टर्ड अकाउंटेंट ही बनूंगी. साल 2011 में मैंने बारहवीं पास की और तैयारी शुरू की. अकाउंटेंसी मेरा सबसे अच्छा विषय था और साल 2018 में मैंने ये सपना पूरा भी कर लिया. 

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सनी कहती हैं कि जब मैं सीए बनी तो मेरी मां बहुत खुश थीं. उस समय मेरे परिवार में कोई सीए नहीं था, न ही किसी ने इसकी तैयारी भी की थी, सब इसे सबसे टफ विषय मानते थे. फिर जब मैं सीए बन गई तो मैंने पाया कि इस फील्ड में भले ही फीमेल कम थीं मगर जितनी भी हैं, ज्यादातर बहुत अच्छी प्रैक्ट‍िस कर रही हैं. ये देश का एक नोबल प्रोफेशन माना जाता है. मुझे भी अपने आप पर बहुत गर्व हुआ. 

ICAI Data: साल दर साल बढ़ीं गर्ल्स सीए की संख्या 

2017 64685
2018 70047
2019 73807 
2020

81564

2021

88983 

सनी आगे कहती हैं कि भले ही टीचर की जॉब और सैलरी बहुत अच्छी होती है, लेकिन इस फील्ड में करियर बनाने के बाद मैं खुद को बहुत सशक्त मानती हूं. इस परीक्षा में फाइनल एग्जाम निकालना वाकई काफी कठ‍िन होता है. फाइनल एग्जाम के लिए हम 10 दोस्तों ने एक साथ ज्वाइन किया था, लेकिन छह ने बीच में ही छोड़ दिया और दो क्लीयर नहीं कर पाए. इस तरह हम दो ही सीए बन पाए. 

मेरे 12वीं के टीचर मुझसे कहते थे कि तुम अकाउंटेंसी में बहुत अच्छी हो, तुमको मैं सीए बनते देखना चाहता हूं. ये मेरा सपना है. अब मेरे मन में ये लक्ष्य और भी स्पष्ट था कि मुझे किसी न किसी तरह ये परीक्षा पास ही करनी है. मैंने भी कुछ अटेंप्ट दिए, जिसमें फेल भी हुई लेकिन मैंने हार नहीं मानी और आखिर में मैंने अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया. 

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अब जो भी जूनियर क्लास की लड़की मुझसे करियर की सलाह मांगती है तो मैं उसे यही कहती हूं कि अगर मेहनत और लगन से पढ़ना चाहती हो तो चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना लक्ष्य बनाओ. इस प्रोफेशन में लड़कियों को बहुत सम्मान की नजरों से देखा जाता है. सनी कहती हैं कि इस साल भले ही 44 प्रतिशत लड़कियों को डिग्री मिली है, लेकिन बहुत जल्द ये आंकड़ा 50 पर्सेंट या इससे ऊपर पहुंच जाएगा. 

 

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