
दुबई में एयर शो के दौरान शुक्रवार को भारतीय वायुसेना का विमान तेजस फाइटर जेट क्रैश हो गया. इस हादसे में पायलट की मौत हो गई. भारतीय वायुसेना ने इस घटना पर दुख जताते हुए हादसे के कारणों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का गठन करने का फैसला लिया है.
तेजस विमान दुबई से पहले महज एक और बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है. साल 2024 में राजस्थान के जैसलमेर में तेजस विमान हादसे का शिकार हुआ था. हालांकि, इस हादसे में पायलट सुरक्षित बाहर निकल आए थे.
तेजस भारत का स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान है, जिसका विकास 1983 में शुरू हुआ और 42 साल की लंबी यात्रा के बाद यह ऑपरेशनल प्लेटफॉर्म बन चुका है.
आइए समझते हैं कि भारतीय वायुसेना के लिए तेजस विमान क्या है और क्यों ये बेहद ख़ास है.
भारत का हल्का लड़ाकू विमान तेजस भारतीय वायुसेना के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. यह पुरानी MiG-21 लड़ाकू विमानों की जगह लेता है और यह दिखाता है कि भारत अपने रक्षा सामरिक तकनीक को खुद विकसित कर सकता है. इस विमान को बनाने में 42 साल लगे हैं, और अब यह एक मजबूत और काम करने वाला लड़ाकू विमान बन चुका है, जो देश की सुरक्षा में मदद करता है.
तेजस का परिचय और इतिहास
तेजस शब्द संस्कृत का है, जिसका मतलब होता है "तेजोमय" या "उज्ज्वल." यह भारत का पहला ऐसा लड़ाकू विमान है जो पूरी तरह भारत में बनाया गया है. इसकी शुरुआत 1983 में हुई थी, ताकि पुरानी MiG-21 फाइटर जेट की जगह इसे लिया जा सके. एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने इस काम को संभाला. तेजस यह बताता है कि भारत अब विदेशी हथियारों पर कम निर्भर होकर अपनी ताकत बढ़ा रहा है.

विकास और निर्माण
1983 से 2001 के बीच, तेजस की डिजाइन पर काम हुआ और कई बार तकनीकी समस्याओं का सामना किया गया. 2001 में इसका पहला मॉडल उड़ान भरा. बाद में इसे बेहतर बनाने के लिए नए मॉडल आए. 2011 में इसे सीमित उपयोग के लिए मंजूरी मिली और 2015 में वायुसेना में शामिल किया गया. 2019 में इसे पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार माना गया.
तकनीकी विशेषताएं
तेजस एक हल्का लेकिन मजबूत विमान है. इसका डिजाइन डेल्टा विंग वाला है जो तेज गति और उच्च ऊंचाई पर नियंत्रण बेहतर बनाता है. इसका बॉडी 45 फीसदी हल्की कम्पोजिट सामग्री से बना है, जो इसे हल्का और टिकाऊ बनाता है.
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इसे उड़ाने के लिए जेनरल इलेक्ट्रिक का F-404 इंजन है जिससे तेजस 2200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उड़ सकता है. यह 16,500 मीटर तक ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है और 3000 किलोमीटर दूर तक जा सकता है.
इसके हथियारों में हवा से हवा में मिसाइलें, जमीन पर हमले के लिए बम, और इलेक्ट्रॉनिक रक्षा उपकरण शामिल हैं. पायलट के हेलमेट से सीधे लक्ष्य पर मिसाइल निशाना लगाने की सुविधा है.
वायुसेना में उपयोग
भारतीय वायुसेना के दो मुख्य स्क्वाड्रन तेजस के साथ काम करते हैं. पहला स्क्वाड्रन तमिलनाडु में है जो लड़ाई और गश्त दोनों करता है. दूसरा गुजरात में है जो सीमा पर तेजी से हमलावर रक्षा करता है. तेजस ने कई युद्ध अभ्यास में अपनी ताकत दिखाई है.
लागत और उत्पादन
2021 में तेजस Mk1A विमान की कीमत लगभग 315 करोड़ रुपये थी, जो 2025 में बढ़कर 600 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. इसका निर्माण तीन जगह होता है: बेंगलुरु में दो फैक्ट्रियां और नाशिक में एक नई फैक्ट्री. कुल मिलाकर हर साल 24 विमान बनाए जाते हैं.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
तेजस को दुनियाभर में स्वीकृति मिली है और कई देशों ने इसमें रुचि दिखाई है, जैसे मलेशिया, अर्जेंटीना, और फिलीपींस. लेकिन अभी तक किसी विदेशी देश ने तेजस को खरीदा नहीं है. इसका एक कारण विदेश पर निर्भर ब्रिटिश पार्ट्स हैं और इंजन की आपूर्ति में देरी भी है.
भविष्य की योजनाएं
भारत तेजस Mk2 बना रहा है जो अब तक से बड़ा और मजबूत होगा, और इसे 2028 तक तैयार करने का लक्ष्य है. साथ ही भारत 5वीं पीढ़ी के एडवांस मिडयिम लड़ाकू विमान (AMCA) पर भी काम कर रहा है, जिसके 120 विमान खरीदने की योजना है.
तेजस केवल एक विमान नहीं, बल्कि भारत की स्वदेशी ताकत और आत्मनिर्भर रक्षा का प्रतीक है. यह पुरानी विमानों को बदलकर वायुसेना को आधुनिक और मजबूत बनाता है. इसकी तकनीक, सुरक्षा और उत्पादन के चलते यह भारत के लिए एक गर्व की बात है. तेजस ने भारत को आयातित विमानों पर निर्भरता कम करने का मार्ग दिखाया है.