16 जून, 2025 को ईरान के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने दावा किया कि अगर इजरायल ने ईरान पर परमाणु बम का इस्तेमाल किया, तो पाकिस्तान भी इजरायल पर परमाणु हमला करेगा. यह बयान ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया, जहां दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहे हैं. हालांकि, पाकिस्तान ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि उसने ऐसी कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई.
ईरान का दावा क्या है?
ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) के वरिष्ठ कमांडर और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य जनरल मोहसिन रजाई ने ईरानी सरकारी टेलीविजन पर कहा कि पाकिस्तान ने हमें बताया है कि अगर इजरायल ईरान पर परमाणु बम का इस्तेमाल करता है, तो पाकिस्तान भी इजरायल पर परमाणु बम से हमला करेगा.
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यह बयान उस समय आया जब इजरायल ने 13 जून, 2025 को "ऑपरेशन राइजिंग लायन" के तहत ईरान के परमाणु, सैन्य और तेल-गैस ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमले किए. इन हमलों में ईरान के चार वरिष्ठ सैन्य कमांडर, छह परमाणु वैज्ञानिक और 78 नागरिक मारे गए.
ईरान ने जवाब में इजरायल पर 100 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागे, जिससे तनाव और बढ़ गया. ईरान का यह दावा मध्य पूर्व में चल रहे युद्ध को और जटिल बनाता है, क्योंकि वह पाकिस्तान जैसे परमाणु हथियारों से लैस देश को इस संघर्ष में शामिल करने की कोशिश कर रहा है.
पाकिस्तान का जवाब
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ईरान के दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद ने इजरायल के खिलाफ परमाणु हमले की कोई बात नहीं की. पाकिस्तान ने स्पष्ट किया कि उसका ऐसा कोई इरादा नहीं है. पाकिस्तान ने ईरान के प्रति समर्थन जरूर जताया है. इजरायल की कार्रवाइयों की निंदा की है.
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14 जून, 2025 को ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तानी संसद में कहा कि इजरायल ने ईरान, यमन और फिलिस्तीन पर हमले किए हैं. अगर मुस्लिम देश अब एकजुट नहीं हुए, तो हर देश को ऐसा ही हश्र भुगतना पड़ेगा. उन्होंने संगठन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) से बैठक बुलाने और इजरायल के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले मुस्लिम देशों से संबंध तोड़ने की अपील की. आसिफ ने कहा कि इस मुश्किल वक्त में हम हर तरह से ईरान के साथ खड़े हैं. ईरानी हमारे भाई हैं. उनका दुख हमारा दुख है.
पाकिस्तान ने इजरायल के हमलों को "अनुचित" और "संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन" बताया. उसने कहा कि ईरान को आत्मरक्षा का अधिकार है. लेकिन परमाणु हमले की बात को पाकिस्तान ने साफ तौर पर नकार दिया.

इजरायल और ईरान की परमाणु नीति
इजरायल: इजरायल अपनी परमाणु नीति को लेकर अस्पष्टता बरतता है. वह न तो यह स्वीकार करता है और न ही इनकार करता है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल के पास 80-200 परमाणु हथियार हो सकते हैं. उसकी नीति रोकथाम और प्रतिशोध पर केंद्रित है, जिसका मकसद दुश्मनों को परमाणु हथियार बनाने से रोकना है.
ईरान: ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है, जैसे बिजली उत्पादन और चिकित्सा अनुसंधान के लिए. वह परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का हस्ताक्षरकर्ता है. कहता है कि वह परमाणु हथियार नहीं बनाना चाहता. लेकिन पश्चिमी देशों और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) को ईरान के यूरेनियम संवर्धन, बैलिस्टिक मिसाइल विकास और पारदर्शिता की कमी पर शक है. IAEA ने हाल ही में कहा कि ईरान ने अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किया है.
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पाकिस्तान की स्थिति
पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है, जिसके पास अनुमानित 170 परमाणु हथियार हैं. उसकी परमाणु नीति "पहले इस्तेमाल" (first use) पर आधारित है, जिसका मतलब है कि वह खतरे की स्थिति में पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल कर सकता है. पाकिस्तान ने भारत के साथ तनाव के कारण यह नीति अपनाई है, लेकिन उसने कभी भी इजरायल के खिलाफ परमाणु हमले की बात नहीं की.
पाकिस्तान और ईरान के बीच संबंध जटिल हैं. दोनों देश मुस्लिम बहुल हैं. आतंकवाद के खिलाफ सहयोग करते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में तनाव भी रहा. जनवरी 2024 में ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जयश अल-अदल समूह के ठिकानों पर हमला किया, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने ईरान में हमले किए. इन घटनाओं से दोनों देशों के बीच विश्वास कम हुआ है.
ईरान का दावा कि पाकिस्तान उसकी मदद के लिए इजरायल पर परमाणु हमला करेगा, संभवतः क्षेत्रीय समर्थन जुटाने और इजरायल पर दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है. लेकिन पाकिस्तान ने इस दावे को खारिज करके साफ कर दिया कि वह इस युद्ध में सीधे शामिल नहीं होना चाहता.

क्षेत्रीय और वैश्विक प्रतिक्रिया
अमेरिका: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वह ईरान के साथ परमाणु समझौता करना चाहते हैं ताकि तनाव कम हो. लेकिन उन्होंने इजरायल के हमलों को "शानदार" बताया और चेतावनी दी कि अगर ईरान ने जवाबी कार्रवाई की, तो और सख्त हमले होंगे.
संयुक्त राष्ट्र: UN महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की. IAEA प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा कि परमाणु सुविधाओं पर हमले खतरनाक हैं. इससे क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान हो सकता है.
अन्य देश: सऊदी अरब और UAE जैसे खाड़ी देश तटस्थ बने हुए हैं, जबकि यमन के हूती विद्रोहियों और फिलिस्तीनी समूह हमास ने इजरायल की निंदा की और ईरान का समर्थन किया.
भारत पर असर
भारत ने इस संघर्ष पर चिंता जताई है. दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव से चिंतित हैं. हम परमाणु सुविधाओं पर हमलों की खबरों पर नजर रख रहे हैं. भारत ने अपने नागरिकों को ईरान और इजरायल में सतर्क रहने की सलाह दी है.