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पाकिस्तान की अपनी ही मिसाइल से भयानक तबाही होते-होते बची, न्यूक्लियर फैसिलिटी के पास गिरी शाहीन-3

पाकिस्तान से अपनी मिसाइल नहीं संभलती. पाकिस्तान का शाहीन-3 मिसाइल टेस्ट फेल होना और डेरा बुगटी में मलबा गिरना एक गंभीर घटना है. 22 जुलाई 2025 का ये हादसा न सिर्फ पाकिस्तान की तकनीकी कमजोरी दिखाता है, बल्कि बलूचिस्तान के लोगों की जान को खतरे में डालने का सबूत भी है. डेरा गाजी खान का परमाणु केंद्र अगर प्रभावित होता तो ये पूरे क्षेत्र के लिए खतरा हो सकता था.

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ये है पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइल. (File Photo: Reuters)
ये है पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइल. (File Photo: Reuters)

पाकिस्तान की सेना ने हाल ही में अपनी शाहीन-3 मिसाइल का टेस्ट किया, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. लेकिन ये टेस्ट बुरी तरह नाकाम रहा. मिसाइल निशाना चूक गई और डेरा गाजी खान (पंजाब प्रांत) में एक परमाणु केंद्र के पास धमाका हुआ.

इसका मलबा बलूचिस्तान के डेरा बुगटी जिले में गिरा, जो नागरिक बस्तियों के बेहद करीब था. इस घटना ने न सिर्फ पाकिस्तान की सैन्य क्षमता पर सवाल उठाए, बल्कि बलूचिस्तान के लोगों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया. 22 जुलाई 2025 को हुए इस हादसे के बाद पाकिस्तानी सेना ने इलाके में इंटरनेट बंद कर दिया, मीडिया को रोका और लोगों को घरों में रहने को कहा.
 
शाहीन-3 मिसाइल क्या है?

शाहीन-3 पाकिस्तान की सबसे ताकतवर मिसाइलों में से एक है. ये एक सतह से सतह (सरफेस-टू-सरफेस) बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 2750 किलोमीटर तक मार कर सकती है. यानी ये भारत के कई शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु तक पहुंच सकती है. इसकी खासियतें हैं...

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Pakistan nuclear missile trial fails

  • परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता: ये 20-25 से 300-500 किलोटन तक के परमाणु हथियार ले जा सकती है.
  • सॉलिड फ्यूल: ये ठोस ईंधन पर चलती है, जो इसे जल्दी लॉन्च करने में मदद करता है.
  • चीन की मदद: पाकिस्तान ने इसे 2000 के दशक में चीन की तकनीकी मदद से बनाना शुरू किया.

पाकिस्तान इसे अपनी रक्षा रणनीति का हिस्सा मानता है, खासकर भारत की सैन्य ताकत का जवाब देने के लिए. लेकिन बार-बार टेस्ट फेल होने से इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं.

क्या हुआ 22 जुलाई 2025 को?

22 जुलाई 2025 को पाकिस्तान ने डेरा गाजी खान के राखी इलाके से शाहीन-3 मिसाइल का टेस्ट किया. लेकिन मिसाइल अपने निशाने से भटक गई. बलूचिस्तान के डेरा बुगटी जिले में मट्ट इलाके में जा गिरी. ये जगह नागरिक बस्तियों से सिर्फ 500 मीटर दूर थी. लूप सेहरानी लेवी स्टेशन के पास ग्रेपन रवाइन में मलबा गिरा, जिससे बड़ा धमाका हुआ.

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  • धमाके की आवाज: धमाका इतना जोरदार था कि 20-50 किलोमीटर दूर तक सुनाई दिया, जिसमें बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के इलाके भी शामिल थे.
  • सोशल मीडिया पर हंगामा: कुछ वीडियो में लोग डरकर भागते दिखे. कुछ ने दावा किया कि मिसाइल डेरा गाजी खान के परमाणु केंद्र पर गिरी, तो कुछ ने कहा कि ये किसी दुश्मन ड्रोन का हमला था.
  • पाकिस्तानी सेना की प्रतिक्रिया: सेना ने तुरंत इलाके में इंटरनेट बंद कर दिया, मीडिया को रोका और लोगों को घरों में रहने को कहा.
  • DG खान कमिश्नर के प्रवक्ता मझर शीरानी ने कहा कि ये शायद किसी फाइटर जेट की सोनिक बूम (ध्वनि की दीवार टूटने की आवाज) थी, लेकिन पक्की जांच का इंतजार है.

रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान नाम के संगठन ने इस टेस्ट की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि मिसाइल टेस्ट ने बलूचिस्तान के लोगों की जान खतरे में डाली. अगर मलबा थोड़ा और इधर-उधर गिरता, तो सैकड़ों लोग मारे जा सकते थे.

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डेरा गाजी खान क्यों खास है?

डेरा गाजी खान पाकिस्तान का सबसे बड़ा परमाणु केंद्र है. यहां यूरेनियम का भंडारण और प्रोसेसिंग होती है. 1970 में पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन (PAEC) ने यहां एक पायलट प्लांट बनाया था, जो रोजाना 10,000 पाउंड यूरेनियम प्रोसेस करता है.

ये जगह पाकिस्तान के परमाणु हथियार प्रोग्राम का दिल है. अगर मिसाइल सचमुच इस केंद्र पर गिरी, तो ये बहुत बड़ा हादसा हो सकता था. लेकिन अधिकारियों ने दावा किया कि कोई नुकसान नहीं हुआ.

पहले भी हुए हैं ऐसे हादसे

ये पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान का मिसाइल टेस्ट फेल हुआ. पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है...

  • 2023 में डेरा गाजी खान: अक्टूबर 2023 में भी शाहीन-3 का टेस्ट फेल हुआ था. उस बार भी धमाका डेरा गाजी खान के पास हुआ, जिसकी आवाज 30-50 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी. कुछ ने दावा किया कि मिसाइल परमाणु केंद्र पर गिरी, लेकिन सरकार ने इसे सोनिक बूम बताया.
  • 2021 में डेरा बुगटी: जनवरी 2021 में शाहीन-3 का टेस्ट फेल हुआ और मिसाइल डेरा बुगटी के नागरिक इलाके में गिरी. कई घर तबाह हुए और लोग घायल हुए. बलूच रिपब्लिकन पार्टी ने इसे बलूचिस्तान को पाकिस्तानी सेना की प्रयोगशाला बनाने का सबूत बताया.
  • 2020 में बाबर-II मिसाइल: बाबर-II मिसाइल, जो जमीन और समुद्र से लॉन्च हो सकती है, बलूचिस्तान में टेस्ट के दौरान क्रैश हो गई.
  • 2022 में जमशोरो: एक अज्ञात मिसाइल सिंध के जमशोरो शहर में गिरी. कुछ का दावा था कि ये भारत के ब्रह्मोस मिसाइल हादसे का जवाब देने की कोशिश थी.

ये हादसे दिखाते हैं कि पाकिस्तान की मिसाइल तकनीक में अभी भी खामियां हैं.

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बलूचिस्तान का गुस्सा

रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान और स्थानीय लोग इस टेस्ट से बहुत नाराज हैं. उनका कहना है...

बलूचिस्तान को प्रयोगशाला बनाया जा रहा है: पाकिस्तानी सेना बार-बार बलूचिस्तान में मिसाइल और परमाणु टेस्ट करती है, जिससे वहां के लोग खतरे में रहते हैं. 1998 में छागाई में हुए परमाणु टेस्ट की वजह से आज भी वहां कैंसर और त्वचा रोग जैसी बीमारियां फैली हैं.

जबरन विस्थापन: सेना टेस्ट से पहले बलूच लोगों को उनके घरों से निकाल देती है. डेरा बुगटी और काहन जैसे इलाकों में ये आम बात हो गई है. इसका मकसद वहां के प्राकृतिक संसाधनों (जैसे गैस और खनिज) का दोहन करना बताया जाता है.

सुरक्षा की कमी: मिसाइल टेस्ट के दौरान नागरिकों को पहले से नहीं बताया जाता, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ती है.

बलूच रिपब्लिकन पार्टी के प्रवक्ता शेर मोहम्मद बुगटी ने कहा कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान को अपनी हथियारों की प्रयोगशाला बना दिया है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों से इसकी जांच करने की मांग की.

पाकिस्तान का परमाणु प्रोग्राम

पाकिस्तान दुनिया के उन नौ देशों में शामिल है, जिनके पास परमाणु हथियार हैं. 2025 तक उसके पास 170 परमाणु हथियार होने का अनुमान है, जो 2026 तक 200 तक पहुंच सकते हैं. पाकिस्तान की नीति न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोध (मिनिमम क्रेडिबल डिटरेंस) की है, यानी वो भारत जैसे पड़ोसियों के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है.

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  • शाहीन सीरीज: ये मिसाइलें 1250 से 2750 किलोमीटर तक की रेंज वाली हैं. शाहीन-3 को खास तौर पर भारत के अग्नि-III मिसाइल का जवाब देने के लिए बनाया गया.
  • चीन का सहयोग: पाकिस्तान का परमाणु और मिसाइल प्रोग्राम चीन की मदद से चलता है.
  • डेरा गाजी खान का महत्व: ये शहर यूरेनियम प्रोसेसिंग और परमाणु भंडारण का केंद्र है. 1970 में बने प्लांट से 360 ग्राम हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम हर साल निकाला जाता है.

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क्या कह रही है दुनिया?

भारत की नजर: भारत ने इस हादसे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के बाद भारत-पाक तनाव बढ़ा है. तब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तानी एयरबेस पर हमले किए थे. डेरा गाजी खान की घटना ने भारत में भी चर्चा छेड़ दी है. कुछ लोग इसे पाक की कमजोरी मान रहे हैं.

अमेरिका की चिंता: 2023 में डेरा गाजी खान धमाके के बाद एक अमेरिकी न्यूक्लियर स्निफर विमान वहां देखा गया था. इससे अटकलें लगीं कि शायद कोई परमाणु हादसा हुआ हो. इस बार भी अमेरिका चुप है, लेकिन वो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर नजर रखता है.

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संयुक्त राष्ट्र से मांग: बलूच संगठनों ने UN और UN सिक्योरिटी काउंसिल से पाकिस्तान के मिसाइल और परमाणु प्रोग्राम पर पाबंदी लगाने की मांग की है.

पाकिस्तान की सफाई

पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि कोई आतंकी हमला नहीं हुआ. DG खान कमिश्नर ने दावा किया कि ये धमाका शायद किसी फाइटर जेट की सोनिक बूम की वजह से हुआ. उन्होंने कहा कि कोई नुकसान या हताहत नहीं हुआ. लेकिन कई सवाल बने हुए हैं... 

  • अगर ये सोनिक बूम था, तो मिसाइल का मलबा डेरा बुगटी में कैसे पहुंचा?
  • सेना ने इंटरनेट और मीडिया क्यों रोका?
  • क्या वाकई परमाणु केंद्र पर कोई खतरा नहीं था?

पाकिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया.

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भारत के लिए क्या मायने?

पाकिस्तान का बार-बार मिसाइल टेस्ट फेल होना भारत के लिए अच्छी खबर हो सकती है. शाहीन-3 भारत को निशाना बनाने के लिए बनाई गई है. इसके फेल होने से पाकिस्तान की सैन्य विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं. लेकिन...

  • परमाणु खतरा: डेरा गाजी खान जैसे परमाणु केंद्र पर हादसा बड़ा खतरा पैदा कर सकता है, जो भारत के लिए भी चिंता की बात है.
  • बलूचिस्तान का गुस्सा: बलूच लोग पाकिस्तान के खिलाफ बगावत कर रहे हैं. अगर ये गुस्सा बढ़ा, तो क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है, जो भारत-पाक सीमा को प्रभावित करेगा.
  • ऑपरेशन सिंदूर: मई 2025 में भारत ने पाकिस्तानी एयरबेस पर हमले किए थे. इस हादसे से पाकिस्तान की जवाबी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं.
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