scorecardresearch
 

PAK पर मिसाइलें गिराने को तैयार थे इंडियन नेवी के 15 MiG-29K फाइटर जेट, INS विक्रांत पर थे तैनात

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय नौसेना ने 15 मिग-29के फाइटर जेट्स के साथ आईएनएस विक्रांत तैनात किया. वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने बताया कि 96 घंटों में जहाज तैयार हो गए, जिससे पाकिस्तानी नौसेना कराची तक सीमित रही. नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर और काउंटर-ड्रोन सिस्टम्स पर जोर था.

Advertisement
X
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आईएनएस विक्रांत पर मिह-29के फाइटर जेट तैनात थे. (File Photo: Indian Navy)
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आईएनएस विक्रांत पर मिह-29के फाइटर जेट तैनात थे. (File Photo: Indian Navy)

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत का जबरदस्त प्रदर्शन किया. वाइस एडमिरल तरुण सोबती, डिप्टी चीफ ऑफ नेवल स्टाफ ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान  एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत पर 15 मिग-29के फाइटर जेट्स तैनात थे. 

मध्य प्रदेश के डॉ. अंबेडकर नगर में आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित तीनों सेनाओं के 'रण संवाद-2025' में नौसेना की त्वरित और दृढ़ कार्रवाइयों के बारे में बताया. पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 7 से 10 मई 2025 तक ऑपरेशन सिंदूर चला था.

पहलगाम हमले से शुरुआत

ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें हिंदू पुरुषों को निशाना बनाकर 26 पर्यटकों की हत्या की गई. 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' ने जिम्मेदारी ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी है. 

यह भी पढ़ें: वॉर जोन के पास पोलैंड का F-16 एयरशो के दौरान क्रैश, पायलट की मौत

ins vikrant mig-29 strike pakistan

भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद समर्थन का आरोप लगाया. 7 मई को भारत ने मिसाइल हमले शुरू किए, जो पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 9 स्थानों पर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. पाकिस्तान ने दावा किया कि हमले नागरिक क्षेत्रों पर हुए, जिसमें 31 मौतें हुईं.

Advertisement

भारत ने कहा कि केवल आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को टारगेट किया गया. यह ऑपरेशन 10 मई को समाप्त हुआ, लेकिन इससे पहले तनाव बढ़ा, जिसमें ड्रोन और मिसाइल हमले हुए. नौसेना का रोल समुद्री हमले से रोकथाम और निगरानी में था.

यह भी पढ़ें: रडार से मिसाइलों के जाल तक, कई लेयर का अटैक पावर... एयरफोर्स तैयार कर रही ये आसमानी सुरक्षा कवच

वाइस एडमिरल सोबती ने बताया कि नौसेना का दो साल में होने वाले थिएटर-लेवल एक्सरसाइज ट्रॉपेक्स पहले से ही पश्चिमी समुद्री तट पर नौसैनिक युद्धपोत, हथियार और मिसाइलों को तैनात कर चुका था. 96 घंटों के अंदर सभी ऑपरेशनल जहाज समुद्र में तैनात हो गए. हम बंदरगाह लौटे, गोला-बारूद की पूर्ति की (क्योंकि जहाज हमेशा पूरी तरह लोड नहीं होते) और सभी जहाजों व पनडुब्बियों को तैयार करके फिर समुद्र में उतर गए.  

ins vikrant mig-29 strike pakistan

आईएनएस विक्रांत का रोल: 15 मिग-29के के साथ ताकत का प्रतीक

ऑपरेशन का केंद्र था आईएनएस विक्रांत. भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर. इस पर 15 मिग-29के फाइटर जेट्स तैनात थे, जो डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट्स और पनडुब्बियों वाले टास्क फोर्स का बैकबोन बने. विक्रांत कराची के दक्षिण में अंतरराष्ट्रीय जल में तैनात होकर नाकाबंदी किया गया, जिससे पाकिस्तानी नौसेना अपने बंदरगाहों तक सीमित हो गई.

वाइस एडमिरल सोबती ने कहा कि हमने विक्रांत पर 15 मिग-29के चढ़ाए और समुद्र में तैयार हो गए. उद्देश्य ये था आगे बढ़कर पाकिस्तान सुमद्री सीमा से बाहर इंटरनेशन वाटर्स में पोजिशन बनाए रखें. ताकि विरोधी नौसेना हमें, हमारे व्यापार मार्गों, आर्थिक जीवनरेखाओं या तट को धमकी न दे सके. यह रणनीति सफल रही.

Advertisement

यह भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय वायुसेना की बड़ी तैयारी... रैम्पेज मिसाइलों के लिए मेगा ऑर्डर

उन्होंने कहा कि हम सफल रहे, क्योंकि हम पाकिस्तानी नौसेना को तट के पास बांध सके. उनके पास बंदरगाह से निकलने की आजादी नहीं थी, वे बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर सके. हमने वह पोजिशन बनाए रखा. नौसेना की उपस्थिति सैटेलाइट, विमान, ड्रोन और तटीय रडार से मजबूत हुई, जिससे पाकिस्तानी यूनिट्स बिना सीधे लड़ाई के निष्क्रिय हो गईं.

ins vikrant mig-29 strike pakistan

नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर: बिना बॉर्डर क्रॉस किए लक्ष्य हासिल

ऑपरेशन सिंदूर ने नौसेना की 'नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर' यानी बिना सीधे सीमा पार किए अपनी क्षमता दिखाई, जिसमें एडवांस्ड इंटेलिजेंस, लॉन्ग-रेंज मिसाइल्स और अनमैनेड सिस्टम्स से रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल किया. सोबती ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से नौसेना के अलावा पूरी सशस्त्र सेनाओं ने कई सबक सीखे. कुछ उपाय लागू हो चुके, बाकी तेजी से हो रहे हैं. 

  • लॉन्ग-रेंज प्रिसिजन स्ट्राइक: दुश्मन क्षेत्र में न घुसते हुए लैंड और सी टारगेट्स को प्रभावित करने की क्षमता बढ़ानी होगी.
  • काउंटर-ड्रोन सिस्टम्स: लो-कॉस्ट ड्रोन का खतरा बढ़ा है, जैसे लाल सागर और अदन की खाड़ी में हूती हमलों में. मिलियन डॉलर के महंगे सरफेस-टू-एयर मिसाइल से लो-कॉस्ट ड्रोन को नष्ट करना महंगा है. हमें काउंटर-ड्रोन सिस्टम विकसित करने होंगे.
  • इलेक्ट्रोमैग्नेटिक मैनेजमेंट: काउंटर-ड्रोन जैमर्स से नौसेना के रडार प्रभावित हो सकते हैं. जहाज पहले से उपकरणों से भरे हैं, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वातावरण घना है. नए ट्रांसमिटिंग सिस्टम्स जोड़ने से अपनी रडार क्षमता बाधित हो सकती है. 

भविष्य के युद्धों के लिए सबक

Advertisement

नौसेना की भूमिका समुद्री हदबंदी थी, जो पाकिस्तानी नौसेना को कराची बंदरगाह तक सीमित रखी. सोबती ने कहा कि नौसेना के कर्मी किसी भी समय हमले के लिए तैयार थे. अगर विरोधी बढ़ाता, तो हम तैयार थे. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement