भारत ने आज अपने तीनों सैन्य बलों - थलसेना, नौसेना और वायुसेना - के साथ मिलकर 'त्रिशूल 2025' नाम का एक बहुत बड़ा युद्ध अभ्यास शुरू किया है. यह अभ्यास गुजरात और राजस्थान के इलाकों में हो रहा है. यह तीनों सेनाओं का सबसे बड़ा ड्रिल है, जो 'ऑपरेशन सिंदूर' के हमलों के छह महीने पूरे होने का प्रतीक है.
अभ्यास 10 नवंबर तक चरणबद्ध तरीके से चलेगा. मुख्य गतिविधियां गुजरात के कच्छ क्षेत्र में केंद्रित हैं, जो पाकिस्तान के साथ सर क्रीक सीमा के पास एक संवेदनशील जगह है. यह इलाका हमेशा से तनाव का केंद्र रहा है. यह अभ्यास इसलिए भी खास है क्योंकि यह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की पाकिस्तान को सर क्रीक में किसी भी गलत हरकत के खिलाफ सख्त चेतावनी के कुछ ही दिनों बाद शुरू हुआ है.
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राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत किसी भी उकसावे का मजबूत जवाब देगा. 'त्रिशूल' अभ्यास भारत की तैयारियों को दिखाता है कि पश्चिमी सीमा पर शांति बरकरार रखने के लिए हम हमेशा सतर्क हैं.
'त्रिशूल 2025' में तीनों सेनाएं पूरी ताकत के साथ हिस्सा ले रही हैं. थलसेना टी-90 टैंक, ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल सिस्टम, साथ ही प्रचंड अटैक हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर रही है. ये हथियार दुश्मन को तेजी से नष्ट करने के लिए जाने जाते हैं.
वायुसेना अपनी ताकत दिखाने के लिए राफेल और सुखोई सु-30 लड़ाकू विमान, सी गार्जियन और हेरॉन ड्रोन का उपयोग करेगी. ये विमान और ड्रोन हवा में निगरानी और हमले के लिए बेस्ट हैं.
नौसेना कोलकाता-क्लास डेस्ट्रॉयर, नीलगिरी-क्लास फ्रिगेट और तेज हमला करने वाली नावें समुद्री अभ्यास में शामिल होंगी. यह अभ्यास जमीन, हवा और समुद्र के युद्ध को जोड़कर चलाया जा रहा है.
इसका मुख्य फोकस सेनाओं के बीच 'जॉइंटनेस' और तालमेल बढ़ाना है. मतलब, तीनों सेनाएं एक साथ मिलकर काम करेंगी, जैसे असली जंग में.
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आधुनिक हथियारों के अलावा स्पेशल फोर्सेस भी एक्शन में दिखेंगी. थलसेना की पैरा एसएफ, नौसेना की मार्कोस और वायुसेना की गरुड़ कमांडो इकाइयां एकीकृत ऑपरेशन करेंगी. ये एलीट यूनिट्स दुश्मन इलाके में चुपके से घुसकर हमला करने में माहिर हैं. अभ्यास में वे जमीन, हवा और समुद्र के संयुक्त युद्ध का सिमुलेशन करेंगी.
'त्रिशूल' अभ्यास की घोषणा के बाद पाकिस्तान ने अपनी कई हवाई क्षेत्रों को बंद कर दिया. उसने 48 घंटे के लिए फ्लाइट रूट्स पर नोटाम (नोटिस टू एयरमेन) जारी किया, जो बाद में पूरे हवाई क्षेत्र पर फैल गया. यह कदम भारत के अभ्यास से असहजता दिखाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह समय और पैमाने से भारत का साफ संदेश है - पश्चिमी सीमा पर कोई उकसावा हो, तो सख्त सैन्य जवाब मिलेगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुखों ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि 'ऑपरेशन सिंदूर' हमेशा 'ऑन' मोड में है. 'ऑपरेशन सिंदूर' के छह महीने पूरे होने पर यह अभ्यास और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. उस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर कड़ा प्रहार किया था.
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'त्रिशूल 2025' सिर्फ एक ड्रिल नहीं, बल्कि भारत की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन है. यह दिखाता है कि हमारी सेनाएं आधुनिक हथियारों और ट्रेनिंग से लैस हैं. यह पड़ोसी देशों को संदेश देता है कि भारत शांति चाहता है, लेकिन अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है. अभ्यास के दौरान पर्यावरण की भी चिंता की गई है - कच्छ के रेगिस्तानी इलाके में साफ-सफाई और वन्यजीवों की सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा है.
सेना के एक अधिकारी ने कहा कि यह अभ्यास हमारी एकता और ताकत का प्रतीक है. हम सतर्क रहेंगे, लेकिन युद्ध नहीं चाहते. लाखों भारतीयों की नजरें इस पर टिकी हैं. 10 नवंबर तक चलने वाले इस अभ्यास के नतीजे सेना की भविष्य की रणनीतियों को मजबूत करेंगे.