पाकिस्तान और चीन से बढ़ते तनाव के बीच भारत अपने डिफेंस को मजबूत करने की हर संभव कोशिश कर रहा है. मंगलवार को भारत ने 67,000 करोड़ रुपये के रक्षा प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी. इन प्रोजेक्ट्स में लंबे समय तक टिकने वाले ड्रोन और माउंटेन रडार जैसे सैन्य हार्डवेयर की खरीद और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अहम भूमिका निभाने वाले रूसी मूल की एस-400 मिसाइल सिस्टम के वार्षिक मेंटेनेंस का कॉन्ट्रैक्ट शामिल है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाने के मकसद से इन प्रोजेक्ट्स को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council, DAC) की तरफ से मंजूरी दी गई.
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि DAC ने लगभग 67,000 करोड़ रुपये की लागत के कई प्रस्तावों को मंजूरी दी. इसमें भारतीय वायु सेना के सी-17 और सी-130जे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट फ्लिट के लिए मेंटेनेंस प्रोग्राम को भी मंजूरी दी गई.
मंत्रालय ने कहा कि इंडियन नेवी के लिए कॉम्पैक्ट ऑटोनॉमस सरफेस क्राफ्ट, ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम और लांचर की खरीद, बराक-1 प्वाइंट डिफेंस मिसाइल सिस्टम के अपग्रेड को मंजूरी दी गई.
कॉम्पैक्ट ऑटोनोमस सर्फेस क्राफ्ट की खरीद से नेवी को पनडुब्बी रोधी युद्ध अभियानों में खतरों का पता लगाने, खतरों का वर्गीकरण करने और उन्हें निष्क्रिय करने की क्षमता मिलेगी.
नए रक्षा प्रोजेक्ट्स में भारतीय वायुसेना के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में काम करने वाले माउंटेन रडार की खरीद और Saksham/Spyder हथियार सिस्टम को एडवांस बनाने की मंजूरी दी गई. माउंटेन रडार की खरीद से पर्वतीय क्षेत्र में सीमाओं के पार हवाई निगरानी की क्षमता बढ़ेगी.
मंत्रालय ने कहा कि Saksham हथियार सिस्टम को एडवांस बनाने से भारत की वायु रक्षा क्षमता में बढ़ोतरी होगी. इसमें कहा गया है कि तीनों सेनाओं के लिए मध्यम ऊंचाई वाले लंबे समय तक उड़ान भरने वाले (Medium Altitude Long Endurance, MALE) रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (RPA) की खरीद के लिए भी प्रारंभिक मंजूरी (AoN) दे दी गई है. प्रस्तावित MALE RPAs कई पेलोड और हथियार ले जा सकते हैं और लंबे समय तक चलने वाले मिशनों के लिए लंबी दूरी पर काम कर सकते हैं.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इनसे सशस्त्र बलों की चौबीसों घंटे निगरानी और युद्ध क्षमता में शानदार बढ़ोतरी होगी. डीएसी ने सी-17 और सी-130जे फ्लीट के रखरखाव के लिए शुरुआती मंजूरी दी है.
रूसी मूल के एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम ने पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष के दौरान उल्लेखनीय काम किया था. इसी सिस्टम की मदद से भारत ने पाकिस्तान के हमलों को नाकाम किया था. DAC ने इसकी अहमियत को देखते हुए मिसाइल सिस्टम के व्यापक सालाना मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट को भी मंजूरी दी है.
आर्मी के लिए थर्मल-इमेजर-आधारित ड्राइवर नाइट-साइट की खरीद के लिए शुरुआती मंजूरी दी गई है जो टैंकों में काम करेगी. मंत्रालय ने कहा कि इससे बीएमपी यानी की रात में संचालन की क्षमता बढ़ेगी.