इजरायल की सेना ने गाजा में तबाही के नए ड्रोन वीडियो जारी किए हैं, जो युद्ध की भयावहता दिखाते हैं. ये फुटेज गाजा सिटी और उत्तरी इलाकों के मलबे से भरे दृश्य कैद करते हैं, जहां इमारतें, सड़कें और घर पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. लेकिन सवाल उठ रहे हैं – क्या इतनी भारी तबाही और हजारों नागरिक मौतें जरूरी थीं? Photo: AP
इजरायली ड्रोन से लिए गए वीडियो जून और अगस्त 2025 के हमलों के बाद के दृश्य दिखाते हैं. गाजा सिटी में सैकड़ों इमारतें गिरे हुए हैं, जहां पहले बाजार, स्कूल और घर थे. जाबालिया रिफ्यूजी कैंप में मलबे के ढेर हैं. सड़कें टूट चुकी हैं. Photo: AP
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 में खुद़ा इलाके को पूरी तरह रौंद दिया गया, जो 'जनसंहार' का सबूत माना जा रहा है. एरियल व्यू में दिखता है कि गाजा का 80% हिस्सा प्रभावित है, जहां लाखों लोग बेघर हो चुके हैं. ये फुटेज सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे हैं, जहां लोग इसे 'गाजा का कब्रिस्तान' कह रहे हैं. Photo: AP
यह तबाही इजरायल-हमास युद्ध की शुरुआत (7 अक्टूबर 2023) से चली आ रही है. इजरायल का कहना है कि हमले हमास के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए हैं, लेकिन नागरिक इलाके भी प्रभावित हो रहे हैं. Photo: AP
गाजा हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार, 1 अक्टूबर 2025 तक 69,100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. इजरायली डेटा भी बताता है कि 83% मृतक नागरिक थे. अल जजीरा की रिपोर्ट में कहा गया कि 67,160 मौतें हुईं. 1,69,679 घायल. Photo: AP
पूर्व इजरायली इंटेलिजेंस चीफ ने लीक ऑडियो में कहा कि 50,000 मौतें 'जरूरी' थीं, लेकिन यह बयान विवादास्पद है. इजरायल का कहना है कि हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को 1200 इजरायलियों को मारकर 250 को बंधक बनाया, इसलिए आत्मरक्षा जरूरी है. लेकिन मानवाधिकार संगठन जैसे यूएन और एमनेस्टी कहते हैं कि इतनी तबाही अनुपातहीन (डिसप्रोपोर्शनेट) है. Photo: AP
यूएन ने कहा कि नागरिकों को सहायता लेते समय मारना (875 मौतें) युद्ध अपराध हो सकता है. बहस यह है कि हमास के ठिकाने नागरिक इलाकों में हैं, लेकिन इतने नागरिक नुकसान को कैसे रोका जा सकता था? दुनिया ने गाजा पर कई बयान दिए, लेकिन ठोस कार्रवाई कम हुई. Photo: AP