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ब्रह्मोस से भी खतरनाक 'ध्वनि' मिसाइल तैयार, पाकिस्तान जहां नए आतंकी अड्डे बना रहा वो भी रेंज में

डीआरडीओ की 'ध्वनि' हाइपरसोनिक मिसाइल का 2025 अंत तक पहला परीक्षण हो सकता है. इसकी गति 7400 किमी/घंटा होगी. 1500 किमी रेंज. ब्रह्मोस से तेज, दुश्मन का रक्षा कवच भेदेगी. यह मिसाइल 80% स्वदेशी है. 2029-30 तक तैनाती संभव. चीन-रूस की मिसाइलों का जवाब. भारत हाइपरसोनिक पावर बनेगा.

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ध्वनि मिसाइल हाइपरसोनिक गति से 1500 किलोमीटर तक जा सकती है. (Photo: Representational/Getty)
ध्वनि मिसाइल हाइपरसोनिक गति से 1500 किलोमीटर तक जा सकती है. (Photo: Representational/Getty)

भारत अपनी हाइपरसोनिक हथियारों की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहा है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) 'ध्वनि' नामक नई पीढ़ी की मिसाइल के परीक्षण की तैयारी कर रहा है. यह मिसाइल लगभग 7400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ेगी. भारत-रूस की ब्रह्मोस मिसाइल से ज्यादा दूर रेंज होगी और तेज होगी. पहला प्रदर्शन परीक्षण 2025 के अंत तक हो सकता है. यह भारत की तेज हमले की क्षमता को मजबूत करेगा.

ध्वनि मिसाइल के बारे में जानिए?

ध्वनि डीआरडीओ के हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) प्रोग्राम पर आधारित है. 2020 में एचएसटीडीवी ने स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया था. ध्वनि एक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (एचजीवी) है, जो बैलिस्टिक बूस्टर से ऊंचाई पर पहुंचती है. फिर हवा में ग्लाइड करती है.

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  • रफ्तार और दूरी: आवाज की गति से 6 गुना तेज. इससे दुश्मन को प्रतिक्रिया का समय कम मिलेगा.
  • उपयोग: सामान्य और रणनीतिक हमलों के लिए. दुश्मन के गहरे इलाकों में सटीक हमला करेगी.
  • प्रगति: डीआरडीओ ने हाल ही में लंबे समय तक स्क्रैमजेट का परीक्षण किया, जो हाइपरसोनिक प्रणोदन के लिए बड़ा कदम है.

यह मिसाइल हवा, समुद्र और जमीन से लॉन्च हो सकेगी. इसकी रेंज 1,500 किलोमीटर तक है. एयरोनॉटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर (एआरडीसी) और डिफेंस मेटलर्जिकल रिसर्च लेबोरेटरी (डीएमआरएल) ने इसे बनाया. इसमें हीट-रेजिस्टेंट सिरेमिक और कोटिंग्स हैं, जो ऊंची गर्मी झेल सकें.

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Dhvani Hypersonic Missile

ब्रह्मोस से तुलना: ध्वनि क्यों बेहतर?

ब्रह्मोस भारत-रूस की संयुक्त मिसाइल है, जो मच 3 (3704 km/hr) की रफ्तार से 290-600 किलोमीटर दूर हमला करती है. यह सु-30एमकेआई विमान और आईएनएस विक्रांत जैसे जहाजों पर लगी है. लेकिन ध्वनि मैक 5 से ऊपर उड़ती है, जो 10 मिनट में दूर के लक्ष्य पर पहुंच जाएगी.

  • ब्रह्मोस एक 'स्कैल्पल' (सटीक चाकू) है, लेकिन ध्वनि एक 'शैडो' (छाया) – असर तक दिखाई नहीं देती.
  • ध्वनि की ग्लाइड पाथ अनियमित होती है, जो रडार से बचाती है. ब्रह्मोस का रैमजेट प्रोफाइल ज्यादा आसानी से ट्रैक हो जाता है.
  • एस-400 जैसी एयर डिफेंस के खिलाफ ध्वनि ज्यादा घुसपैठ करेगी.
  • एक डीआरडीओ वैज्ञानिक ने कहा कि ब्रह्मोस सटीक है, लेकिन ध्वनि अदृश्य तक पहुंचती है.

क्यों महत्वपूर्ण: वैश्विक ताकत में भारत का स्थान

अगर ध्वनि सफल हुई, तो भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा. हाइपरसोनिक हथियार दुश्मन की प्रतिक्रिया को मुश्किल बनाते हैं. यह आधुनिक युद्ध में संतुलन बदल देगा. अफगानिस्तान सीमा के पास जहां पाकिस्तान आतंकी अड्डे बना रहा है वो भी इसकी रेंज में है. 

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चीन की डीएफ-17 और रूस की एवनगार्ड जैसी मिसाइलों के खिलाफ ध्वनि भारत की रक्षा मजबूत करेगी. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) और हिंद महासागर में तनाव बढ़ रहा है. ध्वनि भारत की 'प्रॉम्प्ट ग्लोबल स्ट्राइक' क्षमता देगी. एएमसीए फाइटर या अग्नि-वीआई बूस्टर से इसे लंबा बनाया जा सकता है.

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परीक्षण और भविष्य की योजना

2025 का परीक्षण तटीय लॉन्च साइट से होगा. यह एयरफ्रेम, गाइडेंस सिस्टम को चेक करेगा. 2027 तक स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड के साथ यूजर ट्रायल होंगे. 2029-30 तक ऑपरेशनल हो सकती है. यह आत्मनिर्भर भारत का हिस्सा है. 

80% से ज्यादा स्वदेशी सामान – विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के सॉलिड फ्यूल बूस्टर और रिसर्च सेंटर इमराट के सीकर्स. हाइपरसोनिक आरएंडडी के लिए 25,000 करोड़ रुपये का फंड है. कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने प्राथमिकता दी है. रक्षा बजट में 12% बढ़ोतरी हुई.

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