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जेल से बाहर जाकर काम करते हैं कैदी, जानिए क्या होती है ओपन जेल

भारत में ओपन जेल यानी खुली जेल की शुरूआत ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी. ओपन जेल एक ऐसी जेल व्यवस्था होती है, जहां रहने वाले कैदियों को दिन के समय बाहर काम पर जाने दिया जाता है. और रात होते ही वे सब वापस जेल लौट आते हैं.

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भारत में ओपन जेल यानी खुली जेल की शुरूआत 1905 में हुई थी. (सांकेतिक चित्र)
भारत में ओपन जेल यानी खुली जेल की शुरूआत 1905 में हुई थी. (सांकेतिक चित्र)

  • ब्रिटिश काल में हुई थी ओपन जेल की शुरुआत
  • मुंबई में खोली गई थी देश की पहली ओपन जेल

जेसिका लाल मर्डर केस का दोषी मनु शर्मा हो या उसके जैसे कई और कैदी, इन सभी को ओपन और सेमी ओपन जेल का फायदा भी मिला है. इस तरह की जेलों का लाभ कुछ चुनिंदा कैदियों को ही मिल पाता है. ये जेल सामान्य जेलों से अलग होती हैं. इनका संचालन भी अलग तरीके से किया जाता है. क्या होती है ओपन जेल ये विस्तार से जानते हैं.

दरअसल, भारत में ओपन जेल यानी खुली जेल की शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी. ओपन जेल एक ऐसी जेल व्यवस्था होती है, जहां रहने वाले कैदियों को दिन के समय बाहर काम पर जाने दिया जाता है. और रात होते ही वे सब वापस जेल लौट आते हैं. भारत में पहली ओपन जेल वर्ष 1905 के दौरान मुंबई में खोली गई थी. तभी से भारत में इसकी शुरुआत मानी जाती है.

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भारत की पहली खुली जेल में उस वक्त ठाणे सेंट्रल जेल के विशेष कैदियों को रखे जाने का प्रावधान था. लेकिन उस दौर में ओपन जेल की यह व्यवस्था ज्यादा दिनों तक चल नहीं पाई. अंग्रेजी शासनकाल के अधिकारियों ने इसे वर्ष 1910 में बंद कर दिया था. देश आजाद होने के बाद इस ओपन जेल को फिर से शुरू किया गया. अब यह देश की कई चुनिंदा जेलों में संचालित की जाती है.

ओपन जेल या कहें कि खुली जेल एक ऐसा कारागार होता है, जो कैदी को बंद कोठरी में रखने की बजाए दिन में उसे कुछ दूरी तक जाकर रोजी-रोटी कमाने और काम करने की छूट देता है. जबकि रात को तय समय सीमा तक उस कैदी को वापस जेल लौटना होता है. इस तरह की ओपन जेलों का दायरा जेल प्रशासन खुद तय करता है.

ओपन जेल या सेमी ओपन जेल में रखे जाने वाले कैदी सामान्य कैदियों की तुलना में अलग होते हैं. जिनका निर्धारण उनके आचरण और अनुशासन के आधार पर होता है. दरअसल, आसान शब्दों में कहें तो इन खुली जेलों में केवल ऐसे कैदियों को रखा जाता है, जो खुद जेल नियमों का अच्छे से पालन करते हैं. अनुशासन में रहते हैं और फिर से समाज की मुख्य धारा में लौटना चाहते हैं.

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एक जेल अधिकारी के मुताबिक ओपन या सेमी ओपन जेल की सुविधा सभी कैदियों के लिए नहीं होती है. इस सुविधा का लाभ केवल उन कैदियों को मिलता है, जो तीन बार पैरोल पर रिहा हो चुके हैं या अस्थायी तौर पर मिली रिहाई के दौरान उनके खिलाफ कोई शिकायत या प्रतिकूल आचरण किए जाने की खबर संबंधित जेल अधिकारियों को न मिली हो.

दिल्ली की तिहाड़ जेल में यह सुविधा उन कैदियों को मिलती है, जिन्हें पांच से दस साल की सजा मिली और उनकी केवल 2 साल की सजा बाकी हो. वहां डीआईजी (जेल) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है. जो इस ओपन या सेमी ओपन जेल के तहत आने वाले कैदियों का चयन करती है.

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