साकेत कोर्ट स्थित यौन अपराधों की विशेष अदालत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश इला रावत ने आदेश देते हुए एक ऐसी व्यवस्था बनाने का निर्देश दिया जिसके तहत रेप पीड़ित विदेशी महिलाओं को दिल्ली की अदालतों में जल्द से जल्द पेश किया जा सके और उनके बयान दर्ज किए जा सकें. कोर्ट के सुझाव के बाद दिल्ली महिला आयोग ने कई अहम विभागों की बैठक बुलाई और इस संबंध में मुकदमों की दैनिक सुनवाई और मामले में जल्द निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक बनाने की बात कही.
दिल्ली महिला आयोग ने सभी विभागों से अनुरोध किया कि इस तरह के मामलों को देखने के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना हो ताकि इन मुकदमों की दैनिक सुनवाई हो सके और मामले में जल्द सजा मिले. इस तरह की अदालतों की जरूरत का अध्ययन करने के लिए दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार के अभियोजन विभाग से ऐसे लंबित मामलों की जानकारी मांगी गई है जिसमें पीड़िता विदेशी हो. इस मामले में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालिवाल ने सोमवार को विदेश मंत्रालय, दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (DSLSA), दिल्ली पुलिस, फॉरेंसिक लैब, दिल्ली सरकार के गृह, कानून और महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ बैठक में हिस्सा लिया.
After Saket Court expressed its displeasure with Delhi Police, Delhi Commission for Women tries to establish mechanisms to fast track cases of sexual assault survivors.
Called a meeting of MEA, DSLSA, Delhi Police, FSL, Home, Law & WCD Dept Delhi for the same. pic.twitter.com/yzD0ucvgxT
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) December 24, 2018
मुकदमे के दौरान रहने का हो इंतजाम
आयोग की ओर से दिल्ली सरकार के गृह विभाग को निर्देश दिया गया कि मुकदमे के दौरान अगर कोई रेप पीड़िता या गवाह भारत में रुकना चाहती है तो इनका यहां रहने का इंतजाम किया जाए. दिल्ली पुलिस से भारत में रहने के दौरान इन पीड़िताओं और गवाहों को सुरक्षा देने के लिए कहा गया है. साथ ही फॉरेंसिक लैब से इस तरह के मामलों में जल्द कार्रवाई करने के लिए कहा गया.
विदेश मंत्रालय से विदेशी पीड़िताओं और गवाहों के वीजा के नवीनीकरण/विस्तार के लिए व्यवस्था बनाने के लिए कहा गया है. साथ ही उनसे ऐसी व्यवस्था बनाने को कहा गया जिससे कि विदेशियों को कम से कम समय में समन भेजा जा सके. इसके अलावा यह निर्णय किया गया कि सुनवाई के दौरान अगर कोई भी महिला भारत में नहीं उपस्थित हो पाती है तो उसके बयान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दर्ज करवाया जाए.
सहायता के लिए प्रचार सामग्री
दिल्ली महिला आयोग ने यह भी फैसला किया है कि इस तरह के मामलों को देखने के लिए विशेष काउंसलरों की सेवा ली जाएगी. साथ ही विदेशी महिलाओं की सहायता के लिए विभिन्न भाषाओं में प्रचार सामग्री बनवाई जाएगी जिससे उनको भारत की अदालती प्रक्रिया और उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी दी जा सके.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, 'हर यौन अपराध की पीड़िता को बहुत यंत्रणा झेलनी पड़ती है. अगर किसी यौन अपराध की पीड़िता विदेशी है तो उसको यहां के कानूनों की कम जानकारी और भाषा की वजह से और ज्यादा परेशानी पड़ती है. मैं अदालत के इस निर्णय का स्वागत करती हूं और दिल्ली महिला आयोग ऐसी व्यवस्था बनाने में अपना पूरा सहयोग देगा जिससे यौन अपराधों की पीड़ित विदेशी महिलाओं को कम से कम परेशानी का सामना करने पड़े.'
अदालत ने लगाई फटकार
इससे पहले अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस विदेशी पीड़ितों और गवाहों को मुकदमे के दौरान अदालत में पेश नहीं कर पाती है. विदेशी पीड़ितों/गवाहों को विदेश मंत्रालय के माध्यम से समन भेजा जाता है और इस कारण पुलिस अधिकारी इन पीड़िताओं और गवाहों को मुकदमे के दौरान अदालत के समक्ष पेश करने के लिए केवल विदेश मंत्रालय पर ही निर्भर होते हैं. दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय नियमों का हवाला देते हुए बताता है कि विदेशियों को उनके देश में समन देने के लिए कम से कम 6 महीने का समय चाहिए होता है.
अदालत ने इस तालमेल में कमी पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह के मामलों में संबंधित पुलिस अधिकारियों की ओर से ऐसे कोई कदम नहीं उठाए जाते जिससे विदेशी पीड़ित अदालत में उनके बयान दर्ज होने, चार्जशीट दाखिल होने और फॉरेंसिक रिपोर्ट अदालत में पेश होने तक भारत में ही रुक सकें. अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस अधिकारियों को इस तरह के केस को हैंडल करने के लिए और ज्यादा कारगर तौर तरीके अपनाने की जरूरत है और इसके लिए अगर जरूरत हो तो उनको दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, दिल्ली महिला आयोग और अन्य गैर सरकारी संगठनों की मदद लेनी चाहिए.