scorecardresearch
 

पार्टनर का मर्डर, लाश के टुकड़े और अब मौत का इंतजार... 8 साल से यमन की जेल में बंद निमिषा प्रिया की पूरी कहानी

केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में एक व्यक्ति की हत्या के आरोप में 16 जुलाई को सजा-ए-मौत दी जानी है. सुप्रीम कोर्ट और भारत सरकार की ओर से उसे बचाने की अंतिम कोशिशें हो रही हैं, लेकिन पीड़ित मेहदी का परिवार माफी के लिए तैयार नहीं है.

Advertisement
X
निमिषा प्रिया को माफ कराने की तमाम कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं (फोटो- ITG)
निमिषा प्रिया को माफ कराने की तमाम कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं (फोटो- ITG)

Nimisha Priya Death Sentence in Yemen: पहले यूपी की रहने वाली 32 साल की शहजादी और अब केरल की 38 साल की निमिषा प्रिया को सजा-ए-मौत मिलने जा रही है. 5 महीने के अंदर अंदर ये दूसरी भारतीय महिला होगी, जिसे मौत की सजा मिलेगी. इसी साल 15 फरवरी को अबू धाबी की अल बाथवा जेल में यूपी की शहजादी को गोली मारकर मौत की सजा दी गई थी. फिर उसकी लाश को अबू धाबी में दफना दिया गया था. लेकिन अब जिस महिला की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, उसका नाम है निमिषा प्रिया. हर दिन मौत उसके करीब आती जा रही है.

16 जुलाई को दी जानी है मौत की सजा
यमन की राजधानी सना में मौजूद है सना सेंट्रल जेल. उसी सना सेंट्रल जेल में पिछले 8 सालों से केरल की निमिषा प्रिया कैद है. निमिषा पर यमन के एक शहरी तलाल आबदो मेहदी के कत्ल का इल्जाम है. जिसके लिए निमिषा को सजा-ए-मौत दी गई है. अब उसी निमिषा को ठीक एक हफ्ते बाद 16 जुलाई की सुबह उसी जेल में सजा-ए-मौत दी जानी है. यानि निमिषा के पास अब सिर्फ 5 दिन बचे हैं.

कहीं भी नहीं मिली माफी
निमिषा यमन में अपनी सारी कानूनी लड़ाई हार चुकी है. सबसे पहले सना की ट्रायल कोर्ट ने निमिषा को सजा-ए-मौत दी थी. निमिषा ने इस फैसले को यमन की सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी निमिषा की अपील को खारिज करते हुए मौत की सजा बरकरार रखी. अब निमिषा के पास सजा-ए-मौत से बचने का आखिरी रास्ता यमन के राष्ट्रपति की माफी थी. निमिषा ने राष्ट्रपति रशद-अल-आलमी से रहम की अपील की. लेकिन राष्ट्रपति ने भी निमिषा को माफी देने से इनकार कर दिया.

Advertisement

माफी के लिए राजी नहीं मेहदी का परिवार
अब निमिषा के पास सिर्फ 5 दिन बचे हैं. वक्त तेजी से भाग रहा है. लेकिन अब भी एक आखिरी उम्मीद बची है. हालाकि ये उम्मीद भी दम तोड़ती नजर आ रही है. दरअसल यमन में शरिया कानून लागू है. और ये कानून ये कहता है कि जिस शख्स का कत्ल हुआ है अगर उसके करीबी रिश्तेदार कातिल को माफ कर दें तो उसकी सजा माफ कर दी जाती है. पिछले पांच सालों से निमिषा के केस की पैरवी करने वाले लगातार तलाल आबदो मेहदी के रिश्तेदारों से बातचीत कर रहे हैं. लेकिन परिवार निमिषा को माफ करने को तैयार नहीं है. यहां तक की माफी के साथ साथ ब्लड मनी के तौर पर 1 मिलियन डॉलर भी परिवार को देने की पेशकश की. लेकिन मेहदी का परिवार इस पर भी राजी नहीं है.

काम नहीं आई 1 मिलियन डॉलर की पेशकश
असल में 2020 में जब पहली बार निमिषा की सजा-ए-मौत की खबर केरल पहुंची तभी निमिषा को बचाने के लिए बहुत सारे लोग समाने आए और उन्होंने एक मुहिम चलाई थी. इस मुहिम का नाम है सेव निमिषा प्रिया काउंसिल. इसी काउंसिल ने ब्लड मनी के तौर पर करीब 1 मिलियन डॉलर का इंतजाम भी कर लिया. लेकिन दिक्कत ये है कि ब्लड मनी तब दी जाती है जब पहले परिवार माफी दे दे. यहां मामला ये है कि मेहदी के परिवार ने अब तक निमिषा को माफ नहीं किया है. लिहाजा ब्लड मनी देने का कोई मतलब ही नहीं है.

Advertisement

मेहदी के परिवार को दिए गए कई ऑफर
हालाकि, निमिषा को माफ करने के लिए मेहदी के परिवार को कुछ और ऑफर भी दिए गए हैं. इनमें एक ऑफर मेहदी के भाई को यूएई या सउदी अरब में कहीं भी पूरी तरह सेटल करने का है. इसके अलावा मेहदी के परिवार को एक और ऑफर दिया गया है और वो ये कि परिवार में से किसी भी एक को किसी भी देश में मेडिकल ट्रीटमेंट की जरुरत है तो उसका पूरा खर्च काउंसिल उठाएगी. लेकिन दिक्कत ये है कि इन सारे ऑफर के बावजूद मेहदी का परिवार खामोश है. समझौते या माफी देने को लेकर वो कुछ नहीं कह रहे. 

यमन में नहीं भारतीय दूतावास
इधर, निमिषा के पास वक्त कम है क्योंकि इसी सोमवार यानि 7 जुलाई को ऑफिशियली उसकी सजा-ए-मौत की तारीख तय कर दी गई है और ये तारीख है 16 जुलाई. निमिषा को बचाने के लिए बीच में भारत सरकार ने भी पहल की थी. लेकिन दिक्कत ये है कि यमन के ज्यादातर इलाकों में इस वक्त हूती का कब्जा है. यमन की राजधानी सना भी हूती के कब्जे में है. फिलहाल, यमन में भारतीय दूतावास भी नहीं है. सउदी अरब में मौजूद भारतीय एंबेसडर ही यमन का कामकाज भी देख रहे हैं.

Advertisement

माफी देने के मूड में नहीं मेहदी का परिवार
हूती के चलते बातचीत के लिए डिप्लोमैटिक चैनल बंद होने की वजह से दिक्कत ये आ रही है कि निमिषा की फांसी रोकने के लिए आखिर किससे बात की जाए. चूंकि अब वक्त कम है और परिवार शायद माफी देने के मूड में नहीं. इसीलिए सना में भी ऐसे पावरफुल लोगों से बातचीत करने की कोशिश की जा रही है, जिनके प्रभाव से शायद मेहदी के परिवार का इरादा बदल जाए.

निमिषा की मां ने हाईकोर्ट से लगाई गुहार 
जब निमिषा की मां को अपनी बेटी की सजा-ए-मौत के बारे में पता चला तब वह यमन जाना चाहती थी. पर दिक्कत ये थी कि यमन में गृह युद्ध के चलते दुनिया भर के कई देशों के साथ भारत ने भी यमन में ट्रैवल पर बैन लगा दिया था. पिछले साल दिसंबर में निमिषा की मां ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दी. जिसके बाद ही दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर विदेश मंत्रालय ने निमिषा की मां को यमन जाने की इजाजत दी. निमिषा की मां इस वक्त यमन में रहकर अपनी बेटी को बचाने की आखिरी कोशिश कर रही है.

कौन है निमिषा प्रिया?
अब सवाल ये है कि निमिषा प्रिया हैं कौन और उन्हें यमन में मौत की सजा क्यों मिली? तो कहानी की शुरुआत होती है 2008 में. केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा पेशे से एक नर्स है. केरल के एक लोकल चर्च ने निमिषा की नर्सिंग की पढ़ाई का खर्चा उठाया था. नर्स का कोर्स कंप्लीट करने के बाद 2008 में निमिषा बेहतर भविष्य की तलाश में यमन पहुंच गई. यमन की राजधानी सना में उसने एक सरकारी अस्पताल में नौकरी शुरु कर दी. 

Advertisement

बदतर हो गए थे यमन के हालात
3 साल बाद 2011 में निमिषा वापस केरल लौटी और फिर टॉमी थॉमस से उनकी शादी हो गई. दोनों की एक बेटी भी है. शादी के बाद पति पत्नी वापस यमन चले गए. लेकिन तभी यमन में गृह युद्ध के माहौल पैदा हो गया. जिसके बाद साल 2014 में थॉमस अपनी बेटी के साथ केरल लौट आया. लेकिन निमिषा यमन में ही रह गई. मार्च 2015 के बाद यमन में हालात और भी बदतर हो गए थे. 

लोकल पार्टनर के साथ खोला 14 बेड वाला क्लिनिक 
लेकिन इस बीच हुआ ये कि 2015 में ही निमिषा ने सरकारी अस्पताल की नौकरी छोड़कर अपना खुद का एक क्लिनिक खोलने का फैसला कर लिया था. लेकिन यमन के कानून के हिसाब से कोई गैर यमनी अपना नर्सिंग होम नहीं खोल सकता. इसी के बाद निमिषा ने एक लोकल बिजनेसमैन तलाल अब्दो मेहदी के साथ पार्टनशिप में क्लिनिक खोलने का फैसला किया. मेहदी का यमन की राजधानी सना में टेक्सटाइल का बिजनेस था. मेहदी के साथ अब निमिषा सना में ही अल अमान मेडिकल क्लिनिक के नाम से अपना क्लिनिक खोल चुकी थी. 14 बेड वाले क्लिनिक को खोलने के लिए निमिषा और उसके पति ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी.

Advertisement

गृह युद्ध के दौरान खूब चल रहा था क्लिनिक
मार्च 2015 के बाद गृह युद्ध की वजह से यमन के हालात लगातार खराब हो रहे थे. पर चूकि निमिषा अपनी सारी जमा पूंजी लगा चुकी थी, लिहाजा वो यमन छोड़कर वापस केरल नहीं आ सकती थी. गृह युद्ध के चलते ही हिंसा की वजह से देश में घायलों की तादाद बढ़ने लगी थी. जाहिर है ऐसे में क्लिनिक खूब चल रहा था. 

खराब हो गई थी मेहदी की नीयत
लेकिन तभी मेहदी की नीयत डोल गई. वो पैसे के घोटाले करने लगा. साथ ही पार्टनरशिप के लिए मेहदी ने निमिषा के साथ एक फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट भी बना रखा था. अब उसी मैरिज सर्टिफिकेट की आड़ में निमिषा के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा. 2016 में निमिषा ने इस बारे में लोकल पुलिस में शिकायत भी की थी लेकिन पुलिस ने मेहदी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। निमिषा के पासपोर्ट और दूसरे तमाम जरूरी कागजात भी मेहदी के पास ही थे. हालात ऐसे बन चुके थे कि अब निमिषा अपना पासपोर्ट लेकर वापस भारत लौटना चाहती थी.

ओवर डोज के चलते हुई मेहदी की मौत
निमिषा को पता था कि उसका पासपोर्ट मेहदी ने अपने घर में रखा हुआ है. जुलाई 2017 में अपनी एक यमनी नर्स दोस्त के साथ निमिषा मेहदी के घर पहुंचती है. चूकि पेशे से वो एक नर्स थी लिहाजा किसी को कैसे बेहोश किया जाता है वो जानती थी. उसका इरादा मेहदी को बेहोश कर घर से पासपोर्ट लेकर निकल जाना था. निमिषा ने मेहदी को बेहोशी का इंजेक्शन भी लगा दिया. लेकिन गलती से डोज ज्यादा हो गया था जिसके चलते मेहदी की मौत हो गई. 

Advertisement

लाश के टुकड़े कर घर में छुपाए
घबराई निमिषा और उसकी दोस्त ने पुलिस से बचने के लिए बाद में लाश के टुकड़े किए और उसे मेहदी के घर के टैंक में छुपा दिया. लेकिन मेहदी के कत्ल का राज खुलने के बाद निमिषा और उसकी दोस्त की घर में मौजूदगी साबित हो गई. जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में निमिषा की यमनी दोस्त को तो तीन साल की सजा देकर छोड़ दिया गया जबकि निमिषा को मौत की सजा सुना दी गई. हालांकि निमिषा ने बाद में अपने एक कनफेशन में कत्ल की बात कबूल कर ली थी. लेकिन साथ ही उसका ये भी कहना था कि ये कत्ल एक हादसा था. क्योंकि उसका मकसद सिर्फ मेहदी को बेहोश कर अपना पासपोर्ट लेना था. लेकिन ओवऱडोज की वजह से अनजाने में मेहदी की जान चली गई.

आठ साल से जेल में बंद है निमिषा
8 साल से निमिषा इसी सेंट्रल जेल में इस उम्मीद में अपनी सजा काट रही थी कि शायद उसे माफी मिल जाए. मेहदी के परिवार में सबसे करीबी उसका भाई है. अगर निमिषा की जान कोई बचा सकता है तो वही भाई है. उसकी एक माफी निमिषा को जिंदगी बख्श सकती है. पर क्या ऐसा हो पाएगा. क्योंकि जिंदगी और मौत के बीच का ये फासला अब सिर्फ 6 रातों का है.

14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
इस आखिरी घड़ी में निमिषा को बचाने के लिए सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है. इस अर्जी में कहा गया है कि चूंकि यमन की कोर्ट ने निमिषा की मौत के लिए 16 जुलाई की तारीख तय कर दी है. लिहाजा, भारत सरकार को ये आदेश दिया जाए कि वो डिप्लोमेटिक चैनल के जरिए यमन की सरकार से बात करे और निमिषा की फांसी को टलवाने की कोशिश करे. इस अर्जी पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर 14 जुलाई यानि सोमवार को सुनवाई की अगली तारीख तय की है. 

किसी काम का नहीं डिप्लोमैटिक चैनल
इस हिसाब से 14 जुलाई को अब सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में जब इस केस की सुवाई होगी तब मुश्किल से निमिषा के पास 48 घंटे भी नहीं बचेंगे. वैसे भी भारत सरकार अब तक यही कहती आ रही है कि चूकि यमन की राजधानी सना में जहां निमिषा बंद है वहां हूती विद्रोहियों का कब्जा है और फिलहाल हूती ली़डरशिप के साथ भारत सरकार का कोई रिश्ता नहीं है. जाहिर है ऐसे में डिप्लोमैटिक चैनल से तो कुछ होने से रहा.

(गीता मोहन के साथ मनीषा झा का इनपुट)

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement