दुबई की राजकुमारी लतीफा अल मक्तूम के भाग जाने के असफल प्रयास के बाद उनके पकड़े जाने से जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैं. फ्रांस के पूर्व सैन्य अधिकारी और लतीफा के करीबी हर्वे जाउबर्ट की लतीफा के साथ मौजूद उनके दोस्तों के फोन को संभवत: संदिग्ध साफ्टवेयर की मदद से ट्रेस कर उन्हें पकड़ा गया है. जाउबर्ट ने साल 2018 में लतीफा की भागने में मदद की थी. जाउबर्ट ने लतीफा के भागने के लिए तीन साल पहले योजना बनाई थी.
इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान जाउबर्ट ने बताया कि लतीफा को पकड़ने के लिए इसके अलावा शायद ही कोई रास्त रहा होगा. लतीफा के दोस्तों ने बताया कि लतीफा की मदद के चलते मार्च 2018 में गोवा में उनकी दोस्तों की नाव पर हमला भी किया गया था. इस दौरान लतीफा को कैद कर वापस दुबई ले जाया गया था. जाउबर्ट ने बताया कि लतीफा के भागने के लिए प्लान बनाने से पहले उन्होंने खुद दुबई से भागने का प्लान बनाया था और वह सफल भी रहे थे. उन्होंने कहा कि मेरे दुबई से सफलतापूर्वक भाग जाने के बाद साल 2011 में लतीफा ने उनसे संपर्क साधा था. 2018 में लतीफा के भागने के सात साल पहले से जाउबर्ट और लतीफा एक दूसरे से संपर्क में थे. इस दौरान जाउबर्ट ने लतीफा से बातचीत करने के लिए एक खास प्लान भी बनाया था.
जाउबर्ट ने बताया कि साल 2018 में लतीफा ने उनसे संपर्क साधा था और वह साऊदी अरब से भागकर अमेरिका जाना चाहती थीं. हम दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई थी जिसे मैंने संभालकर रखा है. मैंने उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया था कि हमारी बातचीत को कोई ट्रेस नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन में एक बार अगर संदिग्ध सॉफ्टवेयर इंस्टाल हो जाए तो फिर फोन की लोकेशन का पता लगाना आसान हो जाता है. अगर ये फोन कहीं और से लिया गया होता तो शायद लतीफा बच भी सकती थीं लेकिन दुबई से लिए गए फोन में ऐसे सॉफ्टवेयर मौजूद रहते हैं.