Law Commission Recommendation: विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने वालों क्षति के बराबर धनराशि जमा करने के बाद ही जमानत मिलनी चाहिए. सेवानिवृत्त न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले लॉ पैनल ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के लिए कड़े जमानती प्रावधानों का प्रस्ताव दिया है. लॉ कमीशन ने यह भी सुझाव दिया है कि बाधा उत्पन्न करने के लिए जानबूझकर किए जाने वाले विरोध प्रदर्शनों, सार्वजनिक स्थानों और सड़कों को लंबे समय तक अवरुद्ध करने के खिलाफ एक व्यापक कानून बनाया जाना चाहिए.
लॉ कमीशन ने अपनी सिफारिश में कहा है, 'प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट से संबंधित आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि और सजा का डर अपराधियों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने में संभवत: कारगर साबित नहीं है. अगर ऐसे अपराधियों के लिए जमानत की शर्त के रूप में उनसे क्षति के बराबर का हर्जाना वसूलने का प्रावधान किया जाएगा तो इससे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर रोक लगेगी'. मौजूदा कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसे 5 साल तक की जेल की सजा या जुर्माने या फिर दोनों हो सकते हैं.
विधि आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट तैयार किया
विधि आयोग रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक संपत्ति किसी देश के बुनियादी ढांचे का आधार है, जो आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक ढांचा प्रदान करती है. विधि आयोग की सिफारिश के मुताबिक, 'यदि किसी संगठन द्वारा बुलाए गए प्रदर्शन, हड़ताल या बंद के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होता है, तो ऐसे संगठन के पदाधिकारियों को प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत दोषी माना जाए'. मुद्दे की गंभीरता और सरकारी खजाने को हो रहे नुकसान को ध्यान में रखते हुए, भारत के 22वें विधि आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस रिपोर्ट को तैयार किया है.
आयोग ने इस विषय का व्यापक अध्ययन किया, जिसमें विभिन्न संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों, देश भर की अदालतों के कई फैसलों और सार्वजनिक संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने से जुड़ी घटनाओं का विश्लेषण किया गया. इस पर गहन विचार-विमर्श करने के बाद, विधि आयोग ने सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, (1984 Prevention of Damage to Public Property Act) में संशोधन की सिफारिश की है. आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि सार्वजनिक स्थानों और सड़कों को लंबे समय तक जानबूझकर बाधित करने के मुद्दे से निपटने के लिए, एक अलग कानून बनाया जा सकता है या भारतीय न्याय संहिता (पूर्व में भारतीय दंड संहिता) के मौजूदा प्रावधानों में आवश्यक संशोधन किए जा सकते हैं.
विधि आयोग क्या है?
बता दें कि विधि आयोग देश में कानूनी सुधार के लिए काम करता है. यह सरकार द्वारा गठित एक कार्यकारी निकाय है, जिसका कार्यकाल एक निर्धारित अवधि के लिए होता है. इसके सदस्य कानून के विशेषज्ञ होते हैं. वर्तमान विधि आयोग के अध्यक्ष कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऋतुराज अवस्थी हैं. भारत में आजादी के बाद से अब तक कुल 22 विधि आयोग बन चुके हैं. केंद्र सरकार ने 21 फरवरी, 2020 से तीन साल की अवधि के लिए भारत के 22वें विधि आयोग का गठन किया था, जिसका कार्यकाल 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ा दिया गया है. इसमें अध्यक्ष के अलावा चार पूर्णकालिक सदस्य (सदस्य-सचिव सहित); पदेन सदस्य के रूप में सचिव (कानूनी कार्य विभाग) और सचिव (विधायी विभाग) और 5 अंशकालिक सदस्य शामिल होते हैं.