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दिल्ली ब्लास्ट, 16 दिनों की तफ्तीश और 7वीं अहम गिरफ्तारी... अब शोएब खोलेगा डॉक्टर मॉड्यूल का राज!

दिल्ली धमाके की जांच के दौरान NIA को बड़ी सफलता मिली है. एजेंसी ने डॉक्टर मॉड्यूल से जुड़े उमर नबी के करीबी शोएब को गिरफ्तार किया है. इस गिरफ्तारी के साथ मॉड्यूल में सात लोगों को पकड़ा जा चुका है, जिनमें कई डॉक्टर और अल-फलाह यूनिवर्सिटी के लोग शामिल हैं. पढ़ें, शोएब की कहानी.

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शोएब को इस केस में अहम कड़ी माना जा रहा है (फोटो-ITG)
शोएब को इस केस में अहम कड़ी माना जा रहा है (फोटो-ITG)

Delhi Blast Investigation: दिल्ली में हुए धमाके ने पूरे देश की सुरक्षा एजेंसियों को हिलाकर रख दिया था. 10 नवंबर को धमाका होने के 16 दिन बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने  आखिरकार सुसाइड बॉम्बर डॉक्टर उमर नबी के मददगार और साथी शोएब को गिरफ्तार किया है. यह गिरफ्तारी डॉक्टर मॉड्यूल की एक और अहम कड़ी मानी जा रही है. जांच के दौरान पता चला है कि शोएब लंबे समय से उमर के संपर्क में था और उसी ने छिपने में उसकी मदद की थी. इसी के साथ दिल्ली धमाके में गिरफ्तारियों का आंकड़ा अब सात पहुंच गया है.

डॉक्टर मॉड्यूल में अब तक सात गिरफ्तारी
NIA अब तक डॉक्टर मॉड्यूल से जुड़े सात लोगों को पकड़ चुकी है, जिनमें डॉ. मुज़म्मिल शकील, डॉ. अदील अहमद राठर, डॉ. शाहीन सईद, मुफ्ती इरफान अहमद, अमीर राशिद अली, जासिर बिलाल उर्फ डैनिश और अब शोएब का नाम शामिल है. इन सभी का सीधा संपर्क सुसाइड बॉम्बर उमर नबी के साथ पाया गया है. मॉड्यूल का पूरा नेटवर्क डॉक्टरों और पढ़े-लिखे युवाओं पर आधारित था, जिसने जांच एजेंसियों को चौंका दिया है.

दोस्ती का खुलासा
शोएब फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में वार्ड बॉय के तौर पर काम करता था. वहीं डॉक्टर उमर नबी के उसी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर होने के कारण दोनों का परिचय हुआ. समय के साथ-साथ उनकी दोस्ती बढ़ती गई और बाद में यह दोस्ती आतंकी साजिश में बदल गई. जांच में पता चला है कि कई बार दोनों घंटों तक अलग बैठकर योजना बनाते थे. इसी रिश्‍ते ने धमाके की साजिश को मजबूत किया.

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नूंह में उमर को शोएब ने दिलवाया था कमरा
NIA की जांच में सामने आया कि धमाके से पहले उमर नबी मेवात के नूंह में ही छिपा हुआ था. उसे वहां कमरा दिलवाने वाला कोई और नहीं बल्कि शोएब ही था. शोएब ने अपनी ही साली के घर में उमर को किरायेदार बनवाया था. यह कमरा उसी के कहने पर तैयार करवाया गया था. धमाके से पहले उमर कई दिनों तक वहीं रुका था.

धमाके वाले दिन की उमर की पूरी मूवमेंट
10 नवंबर को सुबह-सुबह उमर नबी नूंह से निकला और बदरपुर बॉर्डर पार कर दिल्ली पहुंचा. जांच में पता चला है कि वह दिनभर दिल्ली के VVIP इलाकों में घूमता रहा. दोपहर तक वह लाल किले की पार्किंग पहुंच चुका था. शाम के समय वह लाल किले के आसपास सक्रिय रहा और यहीं से निकलकर उसने धमाका किया. इस पूरी मूवमेंट में शोएब ने उसे रास्ता बताने और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने में मदद की थी.

साजिश में शोएब की बड़ी भूमिका!
NIA के मुताबिक, शोएब पर धमाके में इस्तेमाल हुए सामान को लाने-ले जाने और छिपाने का आरोप है. कई बार उसने उमर को जरूरी सामान पहुंचाया और एक से दूसरी जगह ले गया. शुरुआती जांच में यह भी सामने आया कि शोएब को उमर की पूरी योजना पहले से पता थी. उसकी यह भूमिका पूरे मॉड्यूल के लिए बेहद अहम साबित हुई है.

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डॉक्टर आदिल पर नए खुलासे
सूत्रों के अनुसार, इस मॉड्यूल का मास्टरमाइंड कहे जाने वाले डॉक्टर आदिल अहमद की कई जानकारी अब सामने आ रही हैं. माना जा रहा है कि फतेहपुरा तगा और धौज गांव में विस्फोटक जुटाने का आइडिया आदिल ने ही दिया था. उसे लगता था कि मुस्लिम बहुल गांव में कमरे आसानी से मिल जाएंगे और किसी को शक नहीं होगा. NIA जल्द ही उसे अल-फलाह यूनिवर्सिटी ले जाकर छानबीन करेगी.

डॉक्टर मुजम्मिल की निशानदेही
दो दिन पहले NIA की टीम डॉ. मुजम्मिल शकील को लेकर फरीदाबाद पहुंची थी. उसकी निशानदेही पर कई ठिकानों की तलाशी ली गई, जहां विस्फोटक छिपाने के संकेत मिले. जम्मू-कश्मीर पुलिस और यूपी पुलिस ने 26 अक्टूबर को आदिल को सहारनपुर से पकड़ा था. उसके कश्मीर वाले घर से AK-47 राइफल तक मिली थी. यही वह गिरफ्तारी थी जिसके बाद मॉड्यूल की पूरी साजिश खुलती चली गई.

आदिल-उमर की दोस्ती
आदिल और उमर दोनों जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में एक सरकारी अस्पताल में साथ काम करते थे. बाद में दोनों अलग-अलग जगह नौकरी में चले गए. आदिल सहारनपुर और उमर अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करने लगा. लेकिन दोनों का संपर्क बना रहा. कई बार आदिल फरीदाबाद आकर उमर के हॉस्टल फ्लैट में रुकता था. इसी दौरान उसकी मुलाकात मुजम्मिल और शाहीन सईद से भी कराई गई थी.

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आदिल की मूवमेंट की बारीकी से जांच
NIA अब यह पता लगा रही है कि आदिल यूनिवर्सिटी कितनी बार आया और किन लोगों से मिला. यूनिवर्सिटी में उसके आने-जाने के समय, मुलाकातों, ठहरने के कमरों और कॉल रिकॉर्ड का मिलान किया जा रहा है. एजेंसियों को शक है कि आदिल ने यहां कई बार बैठकर प्लानिंग की. CCTV फुटेज और डिजिटल सबूतों को खंगाला जा रहा है.

शक के घेरे में अल-फलाह यूनिवर्सिटी
शोएब की गिरफ्तारी के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर सवाल और गहरा गए हैं. आतंकी मॉड्यूल से जुड़े तीन लोग इसी यूनिवर्सिटी से जुड़े पाए गए. डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन सईद और शोएब. इससे यह आशंका बढ़ रही है कि क्या यहां आतंक मॉड्यूल को जानबूझकर पनपने दिया गया? क्या इस नेटवर्क में और लोग शामिल हैं?

जावेद अहमद सिद्दीकी की गिरफ्तारी
इस बीच जांच एजेंसियों ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर और चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को भी गिरफ्तार कर लिया है. ED ने उसे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 13 दिन की रिमांड पर लिया है. एजेंसी 415 करोड़ रुपये के फंड की जांच कर रही है. जावेद पर आरोप है कि उसने फर्जी मान्यता और धांधली के जरिए करोड़ों रुपये हड़पे हैं.

415 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा
जांच में सामने आया है कि अल-फलाह ट्रस्ट ने करीब 415.10 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया है. स्टूडेंट्स के माता-पिता को झूठे वादे करके पैसे लिए गए. ED ने पाया कि जावेद के परिवार के कई सदस्य खाड़ी देशों में बसे हुए हैं. वह खुद विदेश भागने की फिराक में था, अगर समय पर उसे गिरफ्तार न किया जाता तो वह सबूत मिटा सकता था.

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चिट फंड घोटाला और पुराने अपराध
जावेद सिर्फ यूनिवर्सिटी घोटाले में ही नहीं, बल्कि पिछली कई धोखाधड़ियों में भी शामिल रहा है. 1997 से 2001 के बीच वह भोपाल चिट फंड ठगी में शामिल रहा, जिसमें गैस पीड़ितों और गरीब लोगों से 2 करोड़ रुपये से ज्यादा ठगे गए. उसका भाई हमूद भी इस मामले में फरार था और हाल ही में हैदराबाद से पकड़ा गया है. दोनों के महू स्थित अवैध घर पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है.

यूनिवर्सिटी के फंड पर सवाल!
दिल्ली धमाके की जांच आगे बढ़ने के साथ यह बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी को मिले फंड का कुछ हिस्सा आतंकी नेटवर्क को मजबूत करने में लगा? क्या डॉक्टर मॉड्यूल की जड़ें यहीं पनपीं? क्या यहां का कोई और स्टाफ इस नेटवर्क का हिस्सा है? NIA और ED दोनों एजेंसियां मिलकर इस पहलू की गहराई से जांच कर रही हैं.

(दिल्ली से मुनीष पांडे, अरविंद ओझा और जितेंद्र बहादुर सिंह का इनपुट) 

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