उत्तराखंड की अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर उठ रहे सवालों के बीच पौड़ी के एएसपी का बयान सामने आया है. पौड़ी एएसपी शेखर सुयाल ने कहा कि कई मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि अंकिता हत्याकांड में साक्ष्य मिटाए गए हैं, लेकिन ऐसा नहीं है.
उन्होंने कहा कि मैं बताना चाहता हूं कि हम खुद 22 सितंबर को रिजॉर्ट गए थे, जहां हमने वीडियोग्राफी की थी. इसके बाद 23 सितंबर की सुबह फोरेंसिक टीम ने जांच की थी और साक्ष्यों को सुरक्षित किया था. बता दें कि आज अंकिता के परिवार के लोग शव लेने पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे, जहां पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे. लोगों ने न्याय की मांग करते हुए कई जगहों पर प्रदर्शन कर नारेबाजी की.
अंकिता के अंतिम संस्कार से पहले हंगामे की बीच सीएम पुष्कर धामी ने कहा कि अंकिता के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन होगा. अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट जल्द सार्वजनिक की जाएगी.
प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा- प्रशासन दिखावटी कार्रवाई तक सीमित
इस मामले को लेकर प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि उत्तराखंड की अंकिता के साथ दिल दहलाने वाली घटना घटी, लेकिन इतनी बड़ी घटना के बाद भी प्रशासन केवल दिखावटी कार्रवाई तक सीमित है. जरा सोचिए कि अंकिता के मां-बाप पर क्या गुजर रही होगी?
उन्होंने आगे कहा कि परिजनों का सवाल है कि घटना के सबूतों को क्यों मिटाया जा रहा है? पूरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट उन्हें क्यों नहीं दी जा रही है? न्याय का तकाजा कहता है कि सरकार को गंभीरता व संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई करनी चाहिए. परिजनों की बात सुननी चाहिए. लापरवाही करने वाले लोगों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए व फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर दोषियों को सजा दी जाए.
शनिवार की सुबह नहर में मिली थी अंकिता की लाश
बता दें कि 18 सितंबर से लापता अंकिता भंडारी की शनिवार सुबह चिल्ला नहर में लाश मिली थी. उसकी हत्या का आरोप रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर सौरभ भास्कर और असिस्टेंट मैनेजर अंकित गुप्ता पर लगाया गया है. कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.