
उमेश पाल हत्याकांड के अपराधियों की लिस्ट तैयार है. यूपी पुलिस के सूत्रों का कहना है कि इस बारे में शक की अब कोई गुंजाइश नहीं है कि उमेश पाल की हत्या के पीछे अतीक अहमद और उसके लोगों का ही हाथ है और ये हत्या इसलिए की गई क्योंकि उमेश पाल 2005 में हुए राजू पाल हत्याकांड का गवाह था. आजतक को इस रोंगेटे खडा कर देने वाले मर्डर केस की कई अहम डिटेल मिले हैं.
1220 किलोमीटर दूर से हत्या की साजिश
ये वो डिटेल हैं जिनसे पता चलता है कि अपराध की दुनिया में आज भी अतीक अहमद के हाथ कितने लंबे हैं. इस केस के तीन किरदार हैं. तीनों तीन लोकेशन से एक्टिव थे. उमेशपाल का मर्डर प्रयागराज में हुआ. इसकी साजिश अतीक अहमद ने रची. अतीक प्रयागराज से 1220 किलोमीटर दूर साबरमती जेल में है.
साजिश को अंजाम बरेली जेल में बंद अशरफ ने दिया जो कि अतीक का भाई है, प्रयागराज से बरेली की दूरी करीह 447 किलोमीटर है. अब आपको पूरी वारदात का सीक्वेंस बताते हैं और बताते हैं कि कैसे जेल से ही अतीक अहमद इस हाईप्रोफाइल मर्डर केस को अंजाम देने में कामयाब रहा-
- इस केस का मास्टरमाइंड अतीक अहमद को माना जा रहा है.
- मर्डर का प्लान उसका ही था. उसी ने अशरफ को जिम्मा सौंपा.
- अशरफ बरेली जेल में बंद है. अतीक अहमद का भाई है.
- अशरफ ने प्लान को अंजाम दिया.
- अशरफ ही जेल में शूटरों से मिला.
- शूटरों की टीम उसी ने तैयार की.
- तीसरा किरदार है सदाकत.
- सदाकत एलएलबी का स्टूडेंट है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मुस्लिम हॉस्टल में रहता है.
- सदाकत के कमरे में ही शूटरों की मीटिंग हुई.
- प्लानिंग की एक-एक डिटेल यहीं तैयार हुई.

प्लानिंग के साथ हुई उमेश पाल की हत्या
उमेशपाल को बड़ी सोच-समझकर मारा गया. बम इसलिए फेंका गया कि लोग डरकर मौके से भाग जाएं. शूटर ने सीसीटीवी कैमरे के दायरे में आने से बचने की भी कोशिश की. 24 फरवरी को उमेश पाल प्रयागराज कोर्ट में गवाही देकर घर लौट रहा था. साथ में दो गनर थे, लेकिन उमेश पाल इस बात से बेपरवाह था कि एक गाड़ी उसका पीछा कर रही है.
जैसे ही उमेश पाल की कार गली में पहुंचती है और उमेश पाल कार से नीचे उतरता है. चारों तरफ से गोलियों की बौछार कर दी जाती है. उमेश जान बचाने के लिए गली में दौड़ता है, तब तक उसके गनर भी हमलावरों को जवाब देने के लिए पलट कर गोली चलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन ये जवाब नाकाफी साबित हुआ.

हत्या की साजिश क्यों रची गई?
इस हत्याकांड में अब तक जो चेहरे सामने आए हैं, वो तो बस मोहरे हैं. असली खिलाड़ी तो अतीक अहमद है लेकिन सवाल है कि अतीक अहमद ने उमेश पाल की हत्या की साजिश क्योंकि? थोडा फ्लैश बैक में चलते हैं. 25 जनवरी 2005 की तारीख थी. दोपहर के करीब 3 बजे थे. राजू पाल इलाके के एक अस्पताल के मुर्दाघर से अपने घर लौट रहे थे.
दो गाड़ियों के काफिले में. तभी अचानक दोनों गाड़ियों को घेर कर हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी. इस शूटआउट में विधायक राजू पाल उनके करीब देवी पाल और संदीप पाल तीन लोगों की मौत हो गई. राजू पाल मर्डर केस में छह अप्रैल 2005 को यूपी पुलिस ने अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.
2 जनवरी 2016 को सुपीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. अक्टूबर 2022 में छह आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हो गए. इस केस में अब सारी गवाही सारे बयान सारी जिरह पूरी हो चुकी है. शायद अगले दो महीने में अदालत का फैसला भी आ जाए, लेकिन उससे पहले मुख्य गवाह को मार दिया गया.
अतीक और अशरफ से की जा सकती है पूछताछ
इस हत्याकांड के तार अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद और बरेली जेल में बंद उसके भाई अशरफ से जुड़ रहे हैं. मुमकिन है कि जेल से निकाल कर उनसे पूछताछ की जाए. इस बीच अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने सीएम योगी को चिट्ठी लिख कर हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है.
अतीक की पत्नी को एनकाउंटर का डर
पूर्व सांसद अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता को अब ये डर सता रहा है कि कहीं उनके पति अतीक और अशरफ को इस केस के बहाने जेल से निकाल कर उनका एनकाउंटर न कर दिया जाए. लिहाजा वो उनकी पेशी और पूछताछ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए या जेल में ही किए जाने की अपील कर रही हैं.
अतीक के परिवार के 4 लोग जेल में बंद
इस वक्त अतीक समेत उसके परिवार के 4 लोग जेल में हैं. बाहुबली अतीक अहमद गुजरात की साबरमती जेल में बंद है. भाई अशरफ बरेली जेल में बंद है. बड़ा बेटा उमर लखनऊ जेल में और छोटा बेटा अली प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में बंद है. शाइस्ता का आरोप है कि पुलिस ने उसके दो और बेटों को कस्टडी में रखा है.

एनकाउंटर में मारा गया अरबाज
उमेशपाल मर्डर केस का एक आरोपी को ढेर कर दिया गया. अरबाज ही वो शख्स है जो हत्या में इस्तेमाल की गई क्रेटा कार को वारदात के दिन चला रहा था. प्रयागराज पुलिस के हाथों ये मारा जा चुका है. अरबाज फरार होने की प्लानिंग में था. पुलिस ने इसके मंसूबे को मिट्टी में मिलाया. सीएम योगी ने सदन में कहा था कि अपराधियों को मिट्टी में मिला देंगे.