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लाउड म्यूजिक बजाया, या पीकर हुड़दंग मचाया, तो आपका क्या होगा?

अक्सर लोग पार्टी वगैरह में देर रात तक तेज आवाज में म्यूजिक बजाते हैं और खुशी मनाते हैं. लेकिन उनकी ये खुशी कई बार आस-पास रहने वाले लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है. ऐसे हालात से निपटने के लिए हमारे कानून में प्रावधान हैं.

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पार्टियों में बजने वाला लाउड म्यूजिक परेशानी का सबब भी बन जाता है
पार्टियों में बजने वाला लाउड म्यूजिक परेशानी का सबब भी बन जाता है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लाउड म्यूजिक बजाना पड़ सकता है महंगा
  • आईपीसी में है जुर्माने और सजा का प्रवाधान
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में भी होती है कार्रवाई

नए साल के स्वागत में पूरी दुनिया में जश्न मनाया जाता है. जगह-जगह बड़े आयोजन होते हैं. शहरों में कई तरह की पार्टियों का आयोजन होता है. जहां लोग पुराने साल को अलविदा कहकर नए साल का स्वागत करते हैं. ऐसे आयोजन गीत संगीत के बिना पूरे नहीं होते. जब तक म्यूजिक ना हो, नाचना गाना ना हो तब तक लोगों को पार्टी का मजा नहीं आता. अक्सर ऐसे मौकों पर लोग देर रात तक तेज आवाज में म्यूजिक बजाते हैं और कुछ लोग पीकर हुड़दंग भी मचाते हैं. जिसकी वजह से कई बार आस-पास रहने वाले लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऐसे हालात से बचने के लिए हमारे देश के कानून में कईं प्रावधान हैं. 

कानूनी अधिकार और प्रावधान
अगर आप भी ऐसी परेशानी से दो चार होते हैं, तो परेशान होने की ज़रूरत नहीं. क्योंकि भारतीय कानून की मदद से आप किसी को भी लाउड म्यूजिक बजाने से रोक सकते हैं. दरअसल, हमारे देश में लाउड म्यूजिक बजाना अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसा करने वाले व्यक्ति को जुर्माना भरना पड़ सकता है. मामला गंभीर होने पर आरोपी को जेल भी जाना पड़ सकता है. इसके लिए बकायदा आईपीसी में प्रावधान दिया गया है.

आईपीसी की धारा 268, 290, 291
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 268 में लाउड म्यूजिक बजाना पब्लिक न्यूसेंस की श्रेणी में आता है, जो कानूनन एक अपराध है. आईपीसी की धारा 290 में इस जुर्म के लिए जुर्माने का प्रावधान है. इतना ही नहीं, अगर कोई शख्स एक बार कार्रवाई होने पर भी दोबारा लाउड म्यूजिक और लाउडस्पीकर बजाता है, और उससे किसी को परेशानी होती है, तो ऐसे शख्स के खिलाफ फिर से कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. दूसरी बार ऐसा करने पर आरोपी को जुर्माना तो भरना ही होगा, साथ ही उसे जेल भी जाना पड़ सकता है. 

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दोबारा ऐसा जुर्म करने वाले आरोपी को आईपीसी की धारा 291 के तहत जुर्माने के साथ-साथ 6 महीने के कारावास की सजा का प्रावधान है. घर या किसी निजी परिसर के अलावा किसी सार्वजनिक जगह पर भी लाउड म्यूजिक या डीजे बजाना अपराध है. अगर आम लोगों को इसकी वजह से परेशानी होती है, तो ऐसा करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. इसी तरह से पटाखों का शोर, शादी या अन्य समारोह में बजने वाले लाउड म्यूजिक भी पब्लिक न्यूसेंस की श्रेणी में आते हैं.

पर्यावरण संरक्षण कानून
ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) अधिनियम 2000 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 भी लाउड म्यूजिक या स्पीकर बजाने को गैर कानूनी करार देता है और इसे दंडनीय अपराध बताया है. ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) अधिनियम के मुताबिक रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउड म्यूजिक या स्पीकर बजाने की इजाजत नहीं है. हालांकि कम्युनिटी सेंटर, बैंकेट हॉल, ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस रूम या इसी तरह के बंद कमरों या बड़े हॉल में लाउड म्यूजिक बजाया जा सकता है. अगर कोई रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउड म्यूजिक या स्पीकर बजाना चाहता है, तो इसके लिए प्रशासनिक अनुमति ज़रूरी है.

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ध्वनि प्रदूषण मुक्त वातावरण है मौलिक अधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन जीने के अधिकार के तहत ध्वनि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के अधिकार को भी शामिल किया गया है. अगर किसी की वजह से आपके आसपास ध्वनि प्रदूषण होता है और आपको इससे परेशानी होती है या आपकी शांति भंग होती है, और आप लाउड म्यूजिक या स्पीकर की आवाज से सो नहीं पाते हैं, तो ये आपके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा. इसके तहत आप कानून का सहारा ले सकते हैं और कार्रवाई कर सकते हैं. मौलिक अधिकार के हनन के आधार पर आप भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं.

सीआरपीसी की धारा 107
पार्टी या जश्न के दौरान शोर मचाकर हल्ला गुल्ला करना, हुड़दंग मचाना, जिससे किसी को परेशानी हो या शांति भंग होने की आशंका हो, वो अपराध की श्रेणी में आता है. सीआरपीसी में ऐसा करने वालों के खिलाफ धारा 107 के तहत कार्रवाई करने का प्रावधान है. इस धारा का इस्तेमाल अन्य मामलों में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा से जुड़ा है. जब एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट को यह जानकारी मिलती है कि किसी व्यक्ति द्वारा शांति भंग करने या सार्वजनिक शांति भंग करने या कोई गलत कार्य करने की संभावना है, जो संभवतः शांति भंग का कारण बन सकता है या सार्वजनिक शांति भंग कर सकता है. और उनकी राय है कि कार्रवाई के लिए पर्याप्त आधार है, तो इस धारा का इस्तेमाल किया जाता है. मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति से यह कारण बताने की अपेक्षा कर सकता है कि उसे जमानत के साथ या उसके बिना मुचलका भरे जाने का आदेश क्यों नहीं दिया जाना चाहिए? 

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ऐसे मामलों में एक अवधि के लिए शांति बनाए रखने के लिए उसे एक वर्ष से अधिक या अधिक समय के लिए एग्जीक्यूट किया जा सकता है, जैसा कि मजिस्ट्रेट उचित समझे. इस धारा के तहत किसी भी कार्यकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्रवाई की जा सकती है. जब या तो वह स्थान जहां शांति भंग या अशांति की आशंका हो, उसके स्थानीय अधिकार क्षेत्र के भीतर हों या ऐसे अधिकार क्षेत्र के भीतर कोई व्यक्ति हो, जिसके उल्लंघन की संभावना हो.

सीआरपीसी की धारा 116
सीआरपीसी की धारा 116 के तहत मजिस्ट्रेट हिरासत में लिए गए व्यक्ति के खिलाफ कथित अपराधों की जांच करेगा. मजिस्ट्रेट आरोपी व्यक्ति को एक बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए कह सकता है कि वे अपराध नहीं करेंगे. ऐसे मामले की जांच 6 महीने के भीतर पूरी करनी होती है.

आबकारी अधिनियम
इसके अलावा यदि कोई हुड़दंग मचाते वक्त शराब का सेवन किए हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ आबकारी अधिनियम की संबंधित धाराओं में कार्रवाई की जाती है. दोषी पाए जाने पर इस अधिनियम के तहत भी जुर्माने और सजा दोनों का प्रावधान है.

 

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