
कोरोना से लोग बेहाल हैं. ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाओं की तलाश में लोग भटक रहे हैं. ऐसे में कालाबाजारी करने वाले शातिर लोग अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, रेमडेसिविर इंजेक्शन, दवाओं और कोरोना के इलाज से जुड़े सामान की ब्लैक मार्केटिंग लगातार हो रही है. शुक्रवार को भी देश के कई राज्यों से ऐसे मामले सामने आए. यही नहीं महाराष्ट के एक शहर में तो घर के अंदर स्वाब टेस्टिंग स्टिक पैक की जा रही थी.
36 ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ 1 गिरफ्तार
झारखंड के चतरा में स्थानीय उपायुक्त कार्यालय के पास एक गोदाम से पुलिस ने ऑक्सीजन के 36 सिलेंडर बरामद किए हैं. जिनमें 25 सिलेंडर भरे हुए हैं और 11 खाली हैं. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि ये सिलेंडर कालाबाजारी के लिए गोदाम में रखे गए थे. गोदाम को सील कर दिया गया है. पुलिस ने मौके से एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है. जिसकी पहचान सतीश कुमार सिंह के तौर पर हुई है. उसे सप्लायर बताया जा रहा है. वह कोडरमा जिले के तिलैया थाना क्षेत्र अंतर्गत असनाबाद का रहने वाला है.
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आरोपी सतीश का कहना है कि ये सारे सिलेंडर सदर अस्पताल के लिए यहां पर भंडारित किए गए हैं. वह मूल रूप से सदर अस्पताल को ऑक्सीजन की सप्लाई करता है. हालांकि वो इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं दे पाया. सदर अनुमंडल पदाधिकारी मुमताज अंसारी ने बताया कि उपायुक्त ने इस मामले की जांच ड्रग इंस्पेक्टर को सौंपी है. चर्चा है कि ऑक्सीजन सिलेंडर बेचने के लिए एक पूरा गिरोह काम कर रहा है. एक सिलेंडर 25 हजार रुपये में ब्लैक किया जा रहा है.
जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी
कोरोना संकट के बीच राजस्थान में भी जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही. राजधानी जयपुर में डीएसटी टीम उत्तर और विद्याधर नगर थाना पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में एक डॉक्टर सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए लोगों के पास से दो रेमडेसिविर इंजेक्शन भी बरामद हुए हैं. डीसीपी परिस देशमुख के मुताबिक पुलिस को सूचना मिली थी कि जयपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है.

सूचना मिलने पर पुलिस ने अपना जाल बिछाया और विद्याधर नगर इलाके से अभिजीत नामक शख्स को पकड़ा. जिसके पास से 2 इंजेक्शन बरामद किए गए. ये इंजेक्शन अभिजीत 60,000 रुपये में बेचने आया था. आरोपी अभिजीत एसएमएस अस्पताल में वार्ड बॉय है. अभिजीत की निशानदेही पर पुलिस ने मानसरोवर निवासी डॉक्टर अमित कुमार को भी गिरफ्तार किया है. वह यूपीएचसी अग्रवाल फार्म का इंचार्ज है. पुलिस की मानें तो डॉक्टर ही इंजेक्शन एजेंट को देता था और एजेंट बाजार में उसे महंगे दामों पर सप्लाई करते थे.
घर में हो रही थी स्वाब टेस्टिंग स्टिक की पैकिंग
महाराष्ट्र के उल्हासनगर में हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां संत ज्ञानेश्वर नगर के घर-घर में स्वाब टेस्टिंग स्टिक की पैकिंग की जा रही है. इस खबर को सुनकर हर कोई हैरान परेशान है. कोरोना की जांच के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट होता है. जिसमें मरीज के नाक और गले मे टेस्टिंग स्टिक डालकर स्वाब लिया जाता है. उसी के आधार पर पता चलता है कि मरीज़ कोरोना पॉज़िटिव है या निगेटिव. आप जानकर दंग रह जाएंगे कि उसी स्वाब टेस्टिंग स्टिक को उल्हासनगर के घरों में खुलेआम पैक किया जा रहा था.
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हालांकि इसमें पैकिंग करनी वाली गरीब महिलाओं का कोई दोष नहीं क्योंकि उनको पता ही नहीं की वो क्या पैक कर रही हैं. शहर के कई घरों में इस तरह की अलग-अलग चीजों की पैकिंग चलती रहती हैं. मगर संत ज्ञानेश्वर नगर में तो हर घर में स्वाब टेस्टिंग स्टिक की पैकिंग का मामला सामने आया है. सोशल मीडिया पर मामला उजागर होते ही पुलिस और मनपा प्रशासन हरकत में आ गया. 2 दिन की जद्दोजहद के बाद शुक्रवार को ये काम कराने वाले ठेकेदार मनीष केसवानी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.