उत्तर प्रदेश के बदायूं में ‘चूहे की हत्या’ का केस देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. चूहा हत्याकांड नए नए मुद्दे निकलकर आने से यह मामला और भी ज्यादा सुर्खियों में आ गया है. इस मामले में आरोपी और उसके खिलाफ केस करने वाले पशु प्रेमी ने चूहे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद अपने-अपने तर्क दिए हैं.
चूहे की हत्या के आरोपी मनोज का परिवार भी उसके साथ खड़ा है. परिवार का कहना है कि उसके बेटे को सजा हुई, तो उन सब पर भी कार्यवाही होनी चाहिए, जो मुर्गा, बकरा, मछली काट कर बेचते हैं. चूहा मार दवा खुलेआम दुकानों पर बेचने वालों पर भी एक्शन होना चाहिए.
बेटे पर गलत कार्रवाई की गई है- पिता मथुरा प्रसाद
अब आरोपी मनोज के परिजनों ने उसके खिलाफ हुई कार्यवाही को गलत बताते हुए मोर्चा खोल दिया है. मनोज के पिता मथुरा प्रसाद ने कहा, “चूहा और कौवा को मारा जाना गलत नहीं है. यह नुकसान पहुंचाने वाले जीव हैं. अगर ऐसे मामले में हमारे बेटे पर कार्यवाही हुई है, तो उन सब पर भी कार्यवाही होनी चाहिए, जो मुर्गा,बकरा मछली काट कर बेचते हैं.”
पशु क्रूरता अधिनियम का पालन होना चाहिए- विकेंद्र शर्मा
उधर, इस मामले में पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा भी खुल कर सामने आ गए हैं. उनका कहना है कि चूहा चार पैर और एक पूछ वाला चौपया जीव है. हमने चूहे को मारने के लिए एफआईआर नहीं कराई है, बल्कि उसके साथ क्रूरता करने पर एफआईआर कराई है.
जिन जानवरों को काट कर बेचा जाता है, उनकी पहले ब्रेन सेंसेटिव नस काट कर मौत दी जाती है. उनके मरने के बाद शरीर के टुकड़े किए जाते हैं. इसके लिए अलग से कानून है और इसकी लाइसेंसिंग प्रक्रिया है. हम लंबे समय से पशु सेवा में लगे हैं. जब पशु क्रूरता अधिनियम बनाया गया है, तो उसका पालन भी होना चाहिए.
25 नवंबर को हुई थी चूहे की हत्या, पीएम रिपोर्ट भी आई
मामला बदायूं की सदर कोतवाली का है. यहां के पनवाड़ी चौक में रहने वाले मनोज ने 25 नवंबर को एक चूहे को नालें में डूबाकर रखा था. साथ ही चूहे को पत्थर से बांध दिया था. उधर से गुजर रहे पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा ने चूहे को बचाने का प्रयास किया, लेकिन चूहा मर गया.
इसके बाद पशु प्रेमी थाने पहुंचे और आरोपी के खिलाफ एफआईआर लिखवा दी. इसके बाद जिले में चूहे के पोस्टमार्टम की सुविधा न होने पर उसके शव को बरेली में आईवीआरआई तक एसी कार से ले जाया गया. अब इसकी रिपोर्ट आ गई है, जिसमें कहा गया है कि चूहे का लीवर और फेफड़े पहले से खराब थे.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चूहे की मौत नाली के पानी में डूबने से नहीं हुई है. उसकी मौत दम घुटने की वजह से हुई है. वह पहले से कई बीमारियों से ग्रस्त था. लिहाजा, उसका बच पाना मुश्किल था. मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन बाद में थाने से ही जमानत दे दी थी.
वन विभाग ने कहा, चूहे की हत्या अपराध नहीं, लेकिन...
मामले में वन विभाग के डीएफओ अशोक कुमार सिंह का कहना है कि चूहे को वन विभाग अधिनियम में 5 के तहत वार्मिंग श्रेणी में रखा गया है. इसको मारने पर कोई अपराध नहीं बनता है. मगर, पशु क्रूरता अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है, इसलिए इसको गलत भी नहीं ठहराया जा सकता.