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दबंगों की दुनिया: श्रीप्रकाश शुक्ला का साथ, बिहार में सियासत और यूपी में माफियागिरी... हैरान कर देगी इस शातिर अपराधी की कहानी

इसी साल यूपी पुलिस ने गैंगस्टर और माफियाओं की जो लिस्ट जारी की है, उसमें राजन तिवारी का नाम भी शामिल है. राजन तिवारी कोई छोटा-मोटा अपराधी नहीं है, बल्कि उसका आतंक देश के दो राज्यों में फैला हुआ था. उसने जरायम की दुनिया से आगे बढ़कर सियासत में कदम रखा और विधायक तक बना.

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यूपी का माफिया राजन तिवारी बिहार से दो बार विधायक भी रह चुका है
यूपी का माफिया राजन तिवारी बिहार से दो बार विधायक भी रह चुका है

Mafia Rajan Tiwari: उत्तर प्रदेश और बिहार में ऐसे अपराधियों की कमी नहीं है, जो अपराध करने के बाद इंटरनेशनल बॉर्डर पार कर नेपाल भाग जाते हैं. ऐसा करने वाले अपराधी हमेशा पुलिस का सिरदर्द बने रहते हैं. ऐसे ही एक शातिर अपराधी का नाम है राजन तिवारी. दरअसल, इसी साल यूपी पुलिस ने गैंगस्टर और माफियाओं की जो लिस्ट जारी की है, उसमें राजन तिवारी का नाम भी शामिल है. राजन तिवारी कोई छोटा-मोटा अपराधी नहीं है, बल्कि उसका आतंक देश के दो राज्यों में फैला हुआ था. उसने जरायम की दुनिया से आगे बढ़कर सियासत में कदम रखा और विधायक तक बना. आइए जानते हैं दबंगों की दुनिया में नाम कमाने वाले राजन तिवारी की पूरी कहानी.

कौन है राजन तिवारी?

साल 2016 में राजन तिवारी का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब वो हाथी पर सवार हो गया था. यानी उसने बसपा का दामन थाम लिया था. राजन तिवारी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के सोहगौरा गांव का रहने वाला है. उसका परिवार और रिश्तेदार इसी इलाके में बसे हुए हैं. उसका बचपन इसी गांव में बीता. राजन की प्रारम्भिक शिक्षा भी गोरखपुर जिले में हुई. लेकिन युवा अवस्था में आते-आते उसे दबंगई का चस्का लग गया और इसी दबंगई के चलते उसने कब अपराध की दुनिया में कदम रख दिया, उसे शायद याद ही ना हो. राजन तिवारी ने भले ही जाने अनजाने अपराध की दुनिया में कदम रखा हो, लेकिन बाद में उसने इस काली दुनिया में अपनी अलग पहचान ज़रूर बनाई, वो भी जुर्म की करतूतों के सहारे.

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श्रीप्रकाश शुक्ला गैंग में एंट्री

90 के दशक की बात है. उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए एक माफिया गैंगस्टर सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ था. और वो नाम था माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का. राजन तिवारी उस दौर में श्रीप्रकाश शुक्ला से काफी प्रभावित था. लिहाजा काफी मशक्कत करने के बाद राजन को श्री प्रकाश शुक्ला से मिलने का मौका मिल ही गया. वो हर हाल में श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ जुड़ना चाहता था. उसके साथ काम करना चाहता था. ये जानकर श्रीप्रकाश शुक्ला ने उसे ग्रीन सिग्नल दे दिया और तभी से शुक्ला गैंग के साथ काम करने लगा. श्रीप्रकाश शुक्ला के नाम का आतंक यूपी में इस कदर छाया हुआ था कि लोग उसका नाम अपनी जुबान पर भी नहीं लाते थे. शुक्ला का हाथ सिर पर आते ही राजन तिवारी जुर्म की दुनिया में उड़ने लगा. इस दौरान उसने कई घटनाओं को अंजाम दिया. अब राजन तिवारी यूपी पुलिस के लिए वॉन्टेड अपराधी बन चुका था. यही वजह थी कि अब पुलिस हाथ धोकर राजन और श्रीप्रकाश के पीछे पड़ गई थी. इसी दौरान राजन तिवारी मौका पाकर बिहार भाग निकला था.

तत्कालीन MLA पर जानलेवा हमला

साल 1996 की बात है. यूपी के महराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट विधायक थे वीरेंद्र प्रताप शाही. उस वक्त उन पर एक जानलेवा हमला हआ था, जिसमें राजन तिवारी का नाम भी आया था. दरअसल, वीरेंद्र प्रताप शाही मूल रूप से गोरखपुर कैंट के निवासी थे. वह 24 अक्टूबर 1996 को गोलघर के पास मौजूद अपने दफ्तर से अपने घर की तरफ जा रहे थे. उनके साथ उनका सरकारी गनर जयराम राय भी था. जैसे ही वे कैंट में एक लॉज के पास पहुंचे तो उनकी कार पर बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी. इस हमले में शाही की जांघ में गोली लगी थी. मगर उनकी जान बच गई थी. लेकिन इस हमले के दौरान उनके गनर जयराम की मौत हो गई थी. इस हमले के पीछे नाम आया था माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला और उसके गुर्गे राजन तिवारी का. पुलिस ने इस मामले में श्रीप्रकाश शुक्ला और राजन समेत चार लोगों को नामजद किया था. हालांकि इस मामले में सबूतों के अभाव में राजन तिवारी को 2014 में अदालत ने बरी कर दिया था.

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बृजबिहारी हत्याकांड में मिली थी सजा

इस हमले के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस राजन तिवारी को शिद्दत से तलाश कर रही थी. नतीजा ये हुआ कि राजन तिवारी यूपी छोड़कर बिहार भाग गया. कुछ दिन शांत रहने के बाद वो फिर से अपना रंग दिखाने लगा. उसने बिहार में रहकर अपना गैंग बनाना शुरु किया और कुछ महीनों बाद उसका गैंग बन चुका था. अब उसे किसी दूसरे माफिया गैंगस्टर की ज़रूरत नहीं थी. उसके गैंग ने बिहार में कई वारदातों को अंजाम दिया. लेकिन बिहार में उसका नाम उस वक्त सुर्खियों में आया, जब आरजेडी के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या कर दी गई और इल्जाम लगा राजन तिवारी पर. इस हत्याकांड के बाद उसके नाम के आगे बाहुबली जुड़ गया था. लोग उसके नाम से खौफ खाने लगे थे. वो फरार चल रहा था लेकिन कुछ दिनों की मशक्कत के बाद पुलिस ने इस हत्याकांड के आरोप में राजन तिवारी को गिरफ्तार कर लिया था. सेशन कोर्ट ने उसे बामुशक्कत कैद की सजा सुनाई थी.

हाईकोर्ट ने किया था बरी

आरजेडी के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या के मामले अदालत के फैसला आने के बाद बाहुबली राजन तिवारी बेहद परेशान था. उसने सेशन कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ पटना उच्च न्यायलय में अर्जी दाखिल की. हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई होने लगी. लेकिन इसमें एक लंबा अर्सा बीत गया और आखिरकार 15 साल बाद यानी जुलाई 2014 में हाईकोर्ट ने शातिर अपराधी राजन तिवारी को बृजबिहारी मर्डर केस के आरोप से बरी कर दिया. इसी के बाद राजन तिवारी को जेल से रिहा कर दिया गया था.

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अजीत सरकार हत्याकांड में भी आया था नाम

माफिया राजन तिवारी का नाम बहुचर्चित माकपा विधायक अजीत सरकार के हत्याकांड में भी सामने आया था. पुलिस ने उसे आरोपी बनाया था. राजन तिवारी के अलावा इस मामले में पप्पू यादव भी सजा काट चुके हैं. हालांकि इस मामले में भी पटना हाईकोर्ट ने इन दोनों को बरी कर दिया था. 

बिहार की सियासत में कदम

बृजबिहारी हत्याकांड में जेल जाने से पहले ही राजन तिवारी ने बिहार में सियासी जमीन तलाश कर ली थी. वो राजनीति में सक्रीय हो गया था. यही वजह है कि जेल जाने से पहले और रिहा होने के बाद भी वो राजनीति में सक्रीय था. इतना सक्रीय कि वो बिहार से दो बार विधानसभा के लिए चुना गया. लेकिन वो बिहार नहीं बल्कि यूपी की सियासत में दांव खेलना चाहता था. वो यूपी की राजनीति में एंट्री करने का रास्ता तलाश रहा था. इसी कोशिश के चलते साल 2016 में राजन तिवारी को मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी में जगह मिली. उस दौरान माना जा रहा था कि 2017 के विधान सभा चुनाव में राजन तिवारी पूर्वांचल में अहम भूमिका निभाएगा. उसके कुशीनगर या देवरिया जिले की किसी एक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के कयास भी लगाए जा रहे थे. मगर ऐसा नहीं हो पाया था. बसपा ने राजन को टिकट ही नहीं दिया था.

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बीजेपी की सदस्यता पर मचा था बवाल

बसपा से निराशा हाथ लगने के बाद राजन तिवारी परेशान था. वो कोई दूसरा विकल्प तलाश कर रहा था. उसकी मेहनत रंग लाई और साल 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजन को लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता मिली. जैसे ही उसके भाजपा में आने की खबर बाहर आई, तो इस पर काफी विवाद भी हुआ था, जिसके बाद राजन को पार्टी ने साइडलाइन कर दिया था.

सितंबर 2022 में फिर से गिरफ्तारी
पुलिस काफी अरसे से उसे पकड़ना चाहती थी. उस पर यूपी पुलिस ने 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर रखा था. लेकिन सियासी संरक्षण के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा था. भाजपा में साइडलाइन हो जाने के बाद भी राजन तिवारी जुर्म की दुनिया में लगातार सक्रीय था. पुलिस उसकी निगरानी कर रही थी. इसी दौरान सितंबर 2022 में वो नेपाल भाग जाने की फिराक में था. इसी प्लान के चलते जैसे ही वो भारत नेपाल बॉर्डर पर पहुंचा. यूपी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उसे गोरखपुर जेल ले जाया गया था. लेकिन हाल ही में पता चला है कि उसे अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया है. मगर अब वो कहां है, ये कोई नहीं जानता. यूपी पुलिस ने 61 माफियाओं की जो सूची जारी की है, उसमें राजन तिवारी की नाम भी शामिल है. राजन तिवारी के खिलाफ 60 से ज्यादा मामलों में गैर जमानती वारंट जारी हैं. बता दें कि साल 2005 के बाद से कभी राजन तिवारी कोर्ट में पेश नहीं हुआ.

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