
उत्तर प्रदेश की एक लड़की को धोखे से दुबई ले जाया जाता है. वहां ले जाने के बाद उसे बंधक बनाकर एक घर में रखा जाता है. उससे घर में नौकरानी का काम कराया जाता है. एक दिन उसी घर में एक छोटे बच्चे की मौत हो जाती है. बाद में यूएई की एक अदालत उस बच्चे की मौत के लिए उसी भारतीय लड़की को जिम्मेदारी ठहराती है और उसे मौत की सजा सुनाती है. अब भारत में मौजूद उस लड़की के परिवार वाले भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. क्योंकि 20 सितंबर के बाद उस लड़की को कभी भी सजा-ए-मौत दी जा सकती है.
फांसी की सजा
बेटी हिंदुस्तान से क़रीब ढाई हज़ार किलोमीटर दूर दुबई की जेल में बंद है और यहां यूपी में बुजुर्ग मां-बाप का कलेजा तकलीफ़ से फटा जा रहा है. बात सिर्फ जेल की होती, तो भी शायद वो दिल को समझा लेते. लेकिन यहां तो बेटी की जान पर ही आन पड़ी है. दुबई की सरकार ने उसे फांसी की सज़ा सुनाई है और 20 सितंबर के बाद उसे किसी भी रोज़ फांसी के फंदे पर लटका दिया जा सकता है.
बेबस बूढ़े मां-बाप का बुरा हाल
वैसे तो हर मां-बाप के लिए उसकी बेटी शहज़ादी ही होती है. लेकिन यहां बेटी का नाम भी शहज़ादी ही है. तो शहज़ादी दुबई से अपनी ज़िंदगी की इकलौती उम्मीद यानी अपने बुजुर्ग मां-बाप को फोन कर रही है. खुद को बचा लेने की फरियाद कर रही है. और इधर गांव में रहने वाले शहज़ादी के भोले-भाले और बेबस मां-बाप फूट-फूट कर रो रहे हैं. कभी सीएम तो कभी पीएम से अपनी लाडली की जिंदगी बचा लेने की गुहार लगा रहे हैं.

ऐसे बदली शहजादी की जिंदगी
आंखों में एक खुशगवार जिंदगी का सपना लिए आज से कोई साढ़े तीन साल पहले जब इनकी बेटी दुबई के लिए रवाना हुई थी, तो उन्हें उम्मीद थी कि अब उसकी जिंदगी में सबकुछ अच्छा ही होगा. मगर उन्हें क्या पता था कि कुछ साल गुजरते-गुजरते परदेस में बेटी को सीधे सज़ा-ए-मौत ही मिल जाएगी. अब जिंदगी 360 डिग्री पर घूम चुकी है. बेहतर ज़िंदगी के सपने चकनाचूर हो चुके हैं. अब बस एक अरमान बाकी है कि किसी तरह उनकी लाडली की ज़िंदगी बच जाए.
कैसे हुआ ये हाल?
लेकिन आखिर 33 साल की शहज़ादी का ये हाल हुआ कैसे? क्यों और कैसे उसे दुबई में सज़ा ए मौत सुनाई गई? कैसे वो दुबई पहुंची? और वहां उसने ऐसा कौन सा जुर्म कर दिया कि उसे जान के लाले ही पड़ गए? तो इन सारे सवालों का जवाब जानने के लिए आपको आज से कोई 25 साल पीछे जाना होगा.
25 साल पहले हादसे का शिकार बनी थी शहजादी
यूपी के बांदा जिले के छोटे से गांव गोयरा मुगली के रहने वाले शब्बीर खां की बेटी शहज़ादी तभी कोई आठ साल की रही होगी, जब वो चूल्हे पर खाना बनाते हुए एक रोज़ बुरी तरह झुलस गई. ये हादसा इतना भयानक था कि उसका पूरा का पूरा चेहरा ही जल गया. इसके बाद महीनों तक उसका इलाज चलता रहा, लेकिन पहले जैसी सूरत वापस नहीं मिली. लेकिन शहज़ादी ने हार नहीं मानी और बड़ी होने के बाद बांदा के ही एक सामाजिक संस्था के साथ मिलकर काम करने लगी. गरीबों की मदद करती रही.

आगरा के उज़ैर ने दिया था झांसा
लेकिन इसी दौरान शहज़ादी की लाइफ में तब एक बड़ा ट्विस्ट आया, जब फेसबुक पर उसकी मुलाकात आगरा के रहनेवाले एक लड़के उज़ैर से हुई, जिसने उसे दुबई में अपने बुआ-फूफा के पास भेजने, उसके रहने खाने का इंतज़ाम करने और उसके चेहरे का इलाज करवा देने का झांसा दिया. बचपन से अपने झुलसे हुए चेहरे के साथ बड़ी हो रही शहज़ादी के लिए ये ऑफर किसी ख्वाब के पूरा हो जाने जैसा था. वो फौरन उज़ैर के बुआ-फूफा के घर दुबई जाने के लिए राज़ी हो गई. लेकिन उसे क्या पता था कि दुबई में एक अलग ही मुसीबत उसका इंतज़ार कर रही है.
19 दिसंबर 2021 को पहुंची थी दुबई
वीजा वगैरह लगवा देने के बाद उज़ैर ने 19 दिसंबर 2021 को शहज़ादी को दुबई की फ्लाइट में बिठा दिया और उधर दुबई में उज़ैर के फूफा फैज़ ने उसे रिसीव कर लिया. लेकिन इसके बाद उसके साथ जो कुछ हुआ, वो बड़ा भयानक था. फ़ैज और उसकी बीवी नाज़िया ने उसे बंधक बना लिया और उसे घरेलू काम काज करवाने लगे. शहज़ादी के घरवालों की मानें तो उज़ैर ने उसकी कोई मदद नहीं की थी, बल्कि कोई डेढ़ लाख रुपये में उनकी बेटी शहज़ादी को अपने ही बुआ-फूफा के हाथों बेच दिया था.
चार महीने के बच्चे की मौत
इस तरह दुबई जा कर अब शहज़ादी फंस चुकी थी. लेकिन उसके पास वहां से बच निकले का कोई रास्ता नहीं था. लेकिन इसके बाद बात तब और बिगड़ गई जब उज़ैर के बुआ और फूफा यानी नाज़िया और फ़ैज के चार महीने के बच्चे की मौत हो गई. असल में शहज़ादी उनकी गैर हाजिरी में बच्चे का ख्याल रखती थी. एक रोज़ टीका लगवाने के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई. तब नाजिया के कहने पर उसने बच्चे को दवाई भी दी.

शहज़ादी को ठहराया मासूम की मौत का ज़िम्मेदार
यहां तक कि उस रोज़ बच्चे की दादी भी घर में मौजूद थी, जो बच्चे का ख्याल रख रही थी. लेकिन बच्चा ठीक नहीं हुआ और आखिरकार अस्पताल में उसकी मौत हो गई. लेकिन हद तब हो गई जब बच्चे के मां-बाप ने शहज़ादी को ही मासूम की मौत का ज़िम्मेदार ठहरा दिया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया. और आनन-फानन में वहां की अदालत ने शहज़ादी को इसके लिए फांसी की सज़ा भी सुना दी.
मोदी और योगी से मदद की गुहार
फिलहाल, हालत ये है कि बांदा के गांव में रहने वाले शहज़ादी के बुजुर्ग मां-बाप वहां से बेटी का फोन आने के बाद से ही लगातार तड़प रहे हैं. उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी से अपनी बेटी को बचा लेने की फरियाद की है. हालांकि शहज़ादी के बुजुर्ग माता-पिता अपनी की जान की अमानत मांगने दिल्ली विदेश मंत्रालय भी गए थे, जहां से उन्हें मदद का भरोसा भी मिला है, लेकिन मां-बाप का दिल है कि जब तक उन्हें बेटी की ज़िंदगी बच जाने की गारंटी नहीं मिलती, उनका कलेजा फट रहा है.
उज़ैर के खिलाफ मामला दर्ज
अब शहज़ादी के घरवालों ने उज़ैर और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ गलत तरीके से उनकी बेटी को मानव तस्करी के ज़रिए दुबई भिजवाने और वहां उसकी जिंदगी खतरे में डालने के जुर्म में मुकदमा दर्ज करवाया है. बांदा पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. लेकिन जब तक शहज़ादी के घरवालों को अपनी बेटी की जिंदगी की बच जाने की खबर नहीं मिल जाती, उनकी सांसें भी हलक में अटकी हुई है.
ऐसे बच सकती है शहजादी
उनका कहना है कि अगर सरकार इस मामले पर पहल करे और दुबई के शाह से बाद कर उनकी बेटी की सज़ा माफ करवा दे तो रास्ता खुल सकता है. दूसरा तरीका अगर बच्चे के मां-बाप उनकी बेटी को इल्ज़ामों से मुक्त कर दे, तो भी जिंदगी बच सकती है. ऐसे में उम्मीद कीजिए कि मां-बाप और सरकार की कोशिश रंग लाए और शहज़ादी की ना सिर्फ जिंदगी बच जाए, बल्कि वो आज़ादी के बाद अपने वतन वापस लौट आए.
(बांदा से सिद्धार्थ गुप्ता का इनपुट)