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पुणे पोर्श कार कांड: नाबालिग आरोपी से कम नहीं हैं उसके पिता और दादा, इन आरोपों से घिरे

पुणे में हुए पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में अरबपति अग्रवाल परिवार की कलई धीरे-धीरे खुलती जा रही है. करोड़ों की कार से दो लोगों की जान लेने वाले नाबालिग आरोपी के बाद उसके पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल पुलिस की गिरफ्त में है. पुणे पुलिस का काम काबिले तारीफ है.

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पुणे में हुए पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में पुलिस का काम काबिले तारीफ है.
पुणे में हुए पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में पुलिस का काम काबिले तारीफ है.

Pune Porsche Car Accident Case: महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में गिरफ्तार किए गए नाबालिग आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल को तीन दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने फैमिली ड्राइवर गंगाराम का अपहरण करके अपने बंगले में कैद कर लिया था. वो ड्राइवर पर हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बना रहे थे. उन्होंने उसे पैसे और गिफ्ट देने का लालच दिया था. यही वजह है कि उसने थाने में आकर ये बयान दिया था कि हादसे वाली रात पोर्श कार वो ही चला रहा था. लेकिन पुलिस ने समय रहते इस साजिश का पर्दाफाश कर दिया.
 
आरोपी ने दो की जान ली, पिता शातिर अपराधियों की तरह भागा, दादा ने ड्राइवर को बंधक बनाया

कई बार बच्चे जब अपराध करते हैं, तो कहा जाता है कि गलत संगत में आकर उन्होंने ऐसा किया होगा. लेकिन पुणे पोर्श कांड में आरोपी से कम अपराधी उसके पिता और दादा भी नहीं हैं. नाबालिग ने 18 और 19 मई की दरमियानी रात को पुणे में अपनी करोड़ों की पोर्श कार से दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की जान ले ली. इसके बाद घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने आरोपी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने बिना देर किए उसके अरबपति पिता को सूचना दे दी. इसके बाद पिता विशाल अग्रवाल ने अपने धन-बल का इस्तेमाल करके अपने बेटे को रिहा करा लिया. इससे पहले थाने में उसकी खूब खातिरदारी हुई. एसी कमरे में बिठाया गया.

सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो कोर्ट से सामने आई. जज साहब ने इस खौफनाक वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी को महज ट्रैफिक पर निबंध लिखने की सजा देकर छोड़ दिया. इतनी बड़ी वारदात, उसकी इतनी छोटी सजा, ये देखकर लोग भयंकर नाराज हुए. हर हरफ इंसाफ की मांग उठने लगी. फिर तो लोगों के बढ़ते दबाव को देखते हुए पुलिस को मजबूरन इस केस में एक्शन लेना पड़ा. पहले आरोपी के पिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. उसके बाद कोर्ट से नाबालिग को बालिग मानकर केस चलाने की इजाजत मांगी गई. इधर एफआईआर की सूचना मिलते ही आरोपी का पिता विशाल अग्रवाल घर से फरार हो गया.

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पुलिस को चकमा देने के लिए आरोपी के पिता ने जो किया वो कोई शातिर अपराधी ही कर सकता है 

विशाल अग्रवाल ने फरार होने के बाद पुलिस से बचने की जो तरकीब अपनाई वो किसी शातिर अपराधी की तरह थी. उसने सबसे पहले पुलिस को चकमा देने के लिए अपने घर से तीन कारों को रवाना किया. एक कार को वो खुद ड्राइव कर रहा था, बाकी दो कारों को उसके ड्राइवर चला रहे थे. वो अपनी कार से मुंबई की तरफ निकल गया, जबकि एक ड्राइवर गोवा, तो दूसरा कोल्हापुर की ओर निकल गया. इसके बाद उसने अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर लिया. नए नंबर से अपने परिवार के संपर्क में आ गया. फिर रास्ते में उसने अपनी कार बदल दी. एक दोस्त की कार लेकर छत्रपति संभाजीनगर की ओर निकल गया. 

इस दौरान रास्ते में पड़ने वाले अपने फार्म हाउस में भी गया. 20 मई की रात वो छत्रपति संभाजीनगर में एक लॉज में रात बीताने के लिए रुक गया. इतनी चालाकी करने के बाद भी उसकी एक गलती ने उसे पुलिस के रडार में ला दिया. वो ये कि बीच-बीच में अपने परिजनों को अपनी लोकेशन बता रहा था. पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिए उसके पीछे लगी हुई थी. एक टीम उसके परिजनों पर भी नजर रखे हुए थे. उनसे मिले इनपुट के आधार पर जीपीएस के जरिए उसका लोकेशन ट्रेस कर लिया गया. सीसीटीवी फुटेज से उसकी पहचान भी सुनिश्चित हो गई. इसके बाद पुलिस ने 20-21 मई की दरमियानी रात उसे धर दबोचा.

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77 साल की उम्र में दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने अपने नाबालिग पोते को बचाने के लिए रची ऐसी साजिश

ये तो रही बेटे और बाप के करतूतों की कहानी, अब दादा सुरेंद्र अग्रवाल की सुनिए. 77 साल की उम्र में पैसों की गर्मी इतनी कि अपने ही ड्राइवर को फंसाने और पोते को बचाने की साजिश रच डाली. सबसे पहले उन्होंने ड्राइवर गंगाराम को बंगले पर बुलाया. बहुत सारे पैसे देने का लालच देकर उसे इस बात के लिए तैयार कर लिया कि वो थाने में जाकर ये बयान देगा कि भयानक हादसे के वक्त पोर्श कार को वो ड्राइव कर रहा था. इसके बाद अपने साथ गाड़ी में बैठाकर थाने ले गए. बयान दर्ज करवाया. उसके बाद अपने साथ वापस भी लाए. लेकिन साजिश के तहत उसे घर जाने देने की बजाए बंगले में कैद कर लिया.

इतना ही नहीं सुरेंद्र अग्रवाल ने गंगाराम का मोबाइल फोन भी छीन लिया, ताकि वो किसी से संपर्क ना कर सके. अपने मालिक के इस बर्ताव से हक्का-बक्का ड्राइवर चुप्पी साधे रहा, लेकिन पुलिस मुस्तैद थी. दबाव में भी. क्योंकि सूबे के मुखिया यानी सीएम एकनाथ शिंदे खुद इस मामले में नजर बनाए हुए हैं. पूरे देश में इस घटना को लेकर गुस्सा है. लोग पीड़ित परिवारों के लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं. इधर ड्राइवर की पत्नी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने सुरेंद्र अग्रवाल के बंगले पर छापा मारा, तो पूरी साजिश का खुलासा हो गया. पुलिस ने पूरी कहानी पलट डाली. अब बाप और दादा पुलिस हिरासत में हैं, तो बेटा रिमांड होम में.
 
हादसे के वक्त आखिर कहां था ड्राइवर

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हादसे के वक्त ड्राइवर गंगाराम उसी पोर्श कार में मौजूद था, जिसे नाबालिग आरोपी चला नहीं उड़ा रहा था. दरअसल, नशे की हालत में आने के बाद आरोपी कार चलाने की जिद करते हुए ड्राइवर से चाभी मांगने लगा. इसके बाद ड्राइवर ने आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को फोन करके बताया कि वो नशे की हालत में है, लेकिन कार चलाने की जिद कर रहा है. ऐसी हालत में कार चलाना सुरक्षित नहीं होगा. लेकिन बेटे की हालत जानने के बाद भी पिता ने ड्राइवर को पोर्श कार की चाबी देने की बात कह दी. इसके बाद जब भयानक हादसा हो गया, तो विशाल अग्रवाल ने ड्राइवर को कॉल करके कहा कि वो इस वारदात की जिम्मेदारी खुद ले ले.

बिना रजिस्ट्रेशन के चला रहा था कार

पुलिस के मुताबिक, आरोपी के पिता और दादा साजिश के तहत अपने नाबालिग बेटे को बचाने की कोशिश कर रहे था, जिसने दो बेकसूर लोगों को मारने का गुनाह किया है. पुलिस ने अब उनके खिलाफ दो अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया है. एक आईपीसी की धारा 201 (सबूत नष्ट करने की कोशिश करना) और दूसरी मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 420 (कार के रजिस्ट्रेशन को लेकर झूठ बोलना). इस हादसे के बाद अग्रवाल परिवार ने कार को रजिस्टर्ड बताया था, लेकिन जब पुलिस ने आरटीओ से संपर्क किया तो पता चला कि कार का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. नाबालिग आरोपी बिना रजिस्ट्रेशन के ही कार चला रहा था.

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90 मिनट में पी गया 69 हजार की शराब

पुलिस की माने तो 19 मई की रात को नाबालिग लड़का अपने दोस्तों के साथ 69 हजार की शराब गटक गया था. वो रात को अपने दोस्तों के साथ सबसे पहले पुणे के कोज़ी पब में गया. वहां रात 12 बजे तक जमकर शराब पिया. इसके बाद ड्रिंक्स सर्व करना बंद कर दिया गया, तो वो दोस्तों के साथ ब्लाक मैरिएट पब के लिए रवाना हो गया और जाने से पहले उसने पब में 48 हजार रुपए का बिल दिया. फिर मैरिएट पब में भी 21 हजार की शराब गटक गया. इतनी शराब पीने के बाद नशे की हालत में उसने तीन करोड़ रुपए की पोर्श कार की चाभी अपने हाथ में ली और फर्राटे से सड़क पर उड़ने लगा.

600 करोड़ की संपत्ति, बनाए लग्जरी होटल

रसूखदार अग्रवाल परिवार पूरे पुणे में जाना जाता है. आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल के स्वामित्व वाली कंपनियों की कुल नेट वर्थ 601 करोड़ रुपए के आसपास है. उनकी कई पीढ़ी कंस्ट्रक्शन के बिजनेस में रही है. ब्रम्हा कोर्प नाम की कंस्ट्रक्शन कंपनी को आरोपी के परदादा ब्रम्हदत्त अग्रवाल ने शुरू की थी. उसके बाद उसका पिता विशाल इस करीब 40 साल पुरानी कंपनी के मालिक हैं. ब्रम्हदत्त ने पुणे के वडगांव शेरी, खराड़ी, विमान नगर इलाकों में कई बड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाए हैं. इसके अलावा आरोपी के परिवार का ब्रम्हा मल्टीस्पेस, ब्रम्हा मल्टीकॉन जैसी बिजनेस कंपनियां भी है. ज्यादातर कंपनियां प्रॉफिट में हैं. 

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इनपुट- पुणे से दिव्येश सिंह और ओमकार.
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