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Patna Hospital Shootout: जेल के बाहर दोस्ती, जेल के अंदर दुश्मनी... चंदन और शेरू के बीच अदावत की दिलचस्प कहानी!

बिहार के बक्सर के कुख्यात डॉन चंदन मिश्रा को पटना के पारस हॉस्पिटल में गोलियों से भून दिया गया. हमला सुनियोजित था, टाइमिंग सटीक और टारगेट तय. अस्पताल के अंदर दाखिल हुए छह शूटरों में से एक तौसीफ बादशाह सबसे पहले कमरे में घुसा और सबसे आखिर में बाहर निकला.

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कुख्यात डॉन चंदन मिश्रा को पटना के पारस हॉस्पिटल में गोलियों से भून दिया गया. (Photo: ITG)
कुख्यात डॉन चंदन मिश्रा को पटना के पारस हॉस्पिटल में गोलियों से भून दिया गया. (Photo: ITG)

बिहार के बक्सर के कुख्यात डॉन चंदन मिश्रा को पटना के पारस हॉस्पिटल में गोलियों से भून दिया गया. हमला सुनियोजित था, टाइमिंग सटीक और टारगेट तय. अस्पताल के अंदर दाखिल हुए छह शूटरों में से एक तौसीफ बादशाह सबसे पहले कमरे में घुसा और सबसे आखिर में बाहर निकला. पुलिस के मुताबिक, गोली चलाने वाला शूटर यही था. उसका नाम अब सुपारी किलिंग से जुड़े एक गैंगस्टर के रूप में सामने आया है.

चंदन के कत्ल की कहानी सिर्फ एक सुपारी शूटिंग नहीं है. यह कहानी शुरू होती है दोस्ती से और खत्म होती है एक खूनी दुश्मनी पर. दोस्ती चंदन मिश्रा और शेरू सिंह के बीच, और दुश्मनी इतनी घातक कि शेरू ने उसी दोस्त की सुपारी एक और डॉन को दे दी. उस डॉन का ही नाम तौसीफ बादशाह है, जो खुद को बिहार का सबसे बड़ा गैंगस्टर मानता है. सोशल मीडिया पर अपनी शेखी बघारता रहता है.

17 जुलाई, सुबह 7:13 बजे. बारिश थम चुकी थी. सड़कें गीली थीं. उसी वक्त दो युवक सीसीटीवी में नजर आते हैं — एक ने हेलमेट पहना है, दूसरा बिना हेलमेट के. कुछ ही सेकंड में चार और युवक उनके पास पहुंचते हैं. छह के छह युवक सड़क किनारे खड़े होकर आपस में बात करते हैं. ठीक 7:15 बजे सभी अस्पताल के ओपीडी गेट से अंदर दाखिल होते हैं. एक शूटर बाहर ही रुक जाता है, बाकी पांच सीधे दूसरी मंजिल की ओर बढ़ते हैं. उन्हें मालूम था कि प्राइवेट वार्ड के कमरे नंबर 209 में उनका टारगेट भर्ती है.

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पहले अस्पताल में कत्ल, फिर सड़क पर जश्न!

रूम नंबर 209 का लॉक खराब था. शायद जानबूझकर. सबसे आगे चल रहा युवक, जिसने न कैप पहनी थी, न हेलमेट, दरवाजे के शीशे से झांकता है. कमर से पिस्टल निकालता है और अंदर घुस जाता है. उसके पीछे चार अन्य शूटर कमरे में दाखिल होते हैं. करीब 10 सेकंड बाद चार शूटर बाहर भाग जाते हैं, लेकिन जो पहले दाखिल हुआ था, वह 36 सेकंड तक कमरे में रुकता है. फिर आराम से वहां से निकलता है.

इस शूटआउट के बाद की फुटेज में एक स्कूल यूनिफॉर्म पहने बच्ची सामने की ओर जाती दिखती है. तभी एक बाइक पर तीन युवक आते हैं. बीच में बैठा युवक हाथ में पिस्टल लहराता है. बच्ची डरकर पीछे लौटती है. यह दृश्य उस कामयाबी का जश्न था, जो सरेआम मनाया जा रहा था. सभी बदमाशों को देखकर यही लगता है कि उनके मन में न पुलिस का खौफ है, न ही कानून का किसी तरह का डर.

Patna Hospital Shootout

चंदन का पहला कत्ल और शेरू से दोस्ती

चंदन मिश्रा बिहार के बक्सर के सोनवर्षा गांव का रहने वाला था. मां-बाप का इकलौता बेटा. एक दिन गांव में हुए झगड़े के बाद उसने अपने पिता की लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली चला दी. यही उसका पहला कत्ल था. वह नाबालिग था, इसलिए उसे रिमांड होम भेजा गया, जहां तीन साल रहा. बाहर आया, तो शेरू सिंह से मुलाकात हुई. दोनों ने मिलकर अपना गैंग खड़ा किया. ये गैंग बाइक पर उल्टा बैठकर सीधे सिर में गोली मारता था.

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साल 2011 में चंदन-शेरू गैंग ने आठ हत्याएं की थीं. जब व्यापारी राजेंद्र केसरी ने रंगदारी देने से मना किया, तो 21 अगस्त 2011 को उसे भी गोली मार दी. इसके बाद दोनों नेपाल भागे. फिर बिहार पुलिस ने कोलकाता से दोनों को गिरफ्तार कर लिया. केसरी हत्याकांड में चंदन को उम्रकैद और शेरू को फांसी की सजा हुई. हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने शेरू की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.

Patna Hospital Shootout

क्यों टूटी दोस्ती? कैसे बने जानी दुश्मनी?

जेल के अंदर चंदन मिश्रा और शेरू सिंह के रिश्ते बिगड़ने लगे. वजह पैसा, शक और जलन था. दोनों को लगता था कि दूसरा पैसे में धोखा दे रहा है. फिर शक होने लगा कि एक-दूसरे की पुलिस से मुखबिरी कर रहे हैं. चंदन को शेरू की उसके परिवार की एक लड़की से नजदीकी पर ऐतराज था. इसके बाद सोशल मीडिया का एंगल आया. चंदन बेऊर जेल से रील बनाता था, शेरू को यह आजादी नहीं थी.

शेरू को लगता था कि जेल प्रशासन भी चंदन के इशारों पर काम करता है. ऊपर से शेरू गैंग के लड़के एक-एक कर एनकाउंटर में मारे जा रहे थे, जबकि चंदन गैंग बच रहा था. शेरू को शक था कि चंदन मुखबिरी कर रहा है. यही शक, दुश्मनी में बदल गया. 3 जुलाई को चंदन को पाइल्स के इलाज के लिए 15 दिन की पेरोल मिली. शेरू को यह पता चला, और उसी दिन उसने चंदन को खत्म करने की साजिश रच दी. 

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तौसीफ बादशाह: नाम से शहर डोलता है!

उसने सोनू शूटर के जरिए पटना के कुख्यात कॉन्ट्रैक्ट किलर तौसीफ बादशाह से संपर्क किया. तौसीफ खुद को सोशल मीडिया पर रॉबिनहुड कहता है. उसका बायो है, 'नाम से शहर डोलता है, ये हम नहीं, अखबार बोलता है.' यही तौसीफ अब इस शूटआउट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, 15 जुलाई को चंदन जब हॉस्पिटल में भर्ती हुआ, तभी प्लान फाइनल हो गया. तौसीफ को अस्पताल की पूरी जानकारी थी. 

शक है कि तौसीफ के इशारे पर रूम नंबर 209 का लॉक खराब किया गया. अब पुलिस इस कड़ी को जोड़ रही है कि क्या तौसीफ ने सिर्फ सुपारी ली थी, या फिर चंदन से उसकी कोई पुरानी दुश्मनी भी थी. एसटीएफ ने शेरू से जेल में लंबी पूछताछ की है. खबर ये भी है कि तौसीफ पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है. सभी छह शूटरों की पहचान हो चुकी है. इनमें सोनू, आकिब मलिक, मुस्तकीम उर्फ कालू, बलवंत सिंह उर्फ भिंडी और मास्टरमाइंड तौसीफ शामिल हैं. छठे शूटर की भी पहचान हो चुकी है. अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि कब ये गिरोह पूरी तरह पुलिस के शिकंजे में आता है.

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