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ऑपरेशन सिंदूर, PAK एयरबेस पर हमला और फिर कांप उठी धरती... भूकंप था या कोई न्यूक्लियर टेस्ट, जानें पूरी कहानी

क्या 10 मई को पाकिस्तान के चगाई हिल्स में भूकंप आया था? या फिर उसने कोई न्यूक्लियर टेस्ट किया था? या उसके न्यूक्लियर बेस पर हमला हुआ था? जानिए पाकिस्तानी सीमा में रेडिएशन ट्रैकिंग प्लेन और सीजफायर के पीछे की पूरी कहानी.

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पाकिस्तान अपने नुकसान की बात छुपाने की कोशिश कर चुका है
पाकिस्तान अपने नुकसान की बात छुपाने की कोशिश कर चुका है

Operation Sindoor: क्या 10 मई की रात अफगान बॉर्डर के नजदीक पाकिस्तान के चगाई हिल्स में भूकंप आया था? या फिर नूर खान एयरबेस के करीब पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर हमला हुआ था? और उसी हमले में पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को नुकसान पहुंचा. ये सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि 10 मई को ही पाकिस्तान की सीमा में दो ऐसे विमान चक्कर काटते नजर आए, जो रेडिएशन का पता लगाने और उसे कम करने के काम आते हैं. जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी.

न्यूक्लियर बम की ब्लैकमेलिंग से नहीं डरता भारत 
दुनिया जानती है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही न्यूक्लियर पावर देश हैं. यानि दोनों के ही पास परमाणु बम है. अब दो ऐसे देश जो परमाणु बमों से लैस हों अगर उनके बीच जंग छिड़ जाए तो सबसे ज्यादा खतरा इसी बात का होता है कि हार का खतरा देखते हुए दोनों में से कोई एक देश परमाणु जंग ना छेड़ दे. पाकिस्तान हमेशा से ही न्यूक्लियर पावर कंट्री होने का ना सिर्फ ढिंढोरा पीटता है बल्कि वहां की सरकार, नेता, मंत्री और यहां तक की पाक सेना भी जब तब परमाणु बम की धमकी दिया करती है. अब सवाल ये है कि सौ घंटे की लड़ाई के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जब सीजफायर हो चुका तो फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को साफ साफ ये चेतावनी क्यों दी कि अब भारत पाकिस्तान के न्यूक्लियर बमों की ब्लैकमेलिंग से नहीं डरेगा. तो इसी सवाल में छुपा है एक ऐसा सच जिस सच के तार ना सिर्फ पाकिस्तान के न्यूक्लियर बम बल्कि इस सीजफायर से भी जाकर जुड़ते हैं.

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भूकंप के झटके या न्यूक्लियर टेस्ट?
10 मई की रात 1 बजकर 44 मिनट पर अफगान बॉर्डर के नजदीक बलूचिस्तान के चगाई हिल्स के इर्द-गिर्द भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4 थी. इसी भूकंप के लगभग 16 घंटे बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक ट्वीट आता है. जिसमें वो ये ऐलान कर दुनिया को चौंका देते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो चुका है. और सचमुच 10 मई की शाम 5 बजे से ही सीजफायर लागू हो जाता है. अब सवाल ये था कि चगाई हिल्स में भूकंप का वो झटका और उसके चंद घंटे बाद सीजफायर का आपस में क्या लेना देना था? क्या 10 मई की सुबह चगाई हिल्स के इर्द गिर्द सचमुच भूकंप के झटके ही महसूस किए गए या फिर वहां जमीन के अंदर पाकिस्तान ने कोई न्यूक्लियर टेस्ट किया था. या फिर पाकिस्तान के परमाणु सुविधा ठिकाने पर हमला हुआ था?

पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर हमला
चगाई हिल्स पर हुई इस हलचल के बाद भारत ने 10 मई को तड़के चार बजे पाकिस्तान के कई एयरबेस पर ताबड़तोड़ हमले किए. इन्हीं हमलों के दौरान खासतौर पर दो एयरबेस जिनमे से एक मुसाफ एयरबेस और दूसरे नूरखान एयरबेस को इन हमलों से काफी नुकसान पहुंचा. इन दोनों ही एयरबेस की पाकिस्तान के लिए खास अहमियत है. क्योंकि मुसाफ एयरबेस पाकिस्तान का एक अहम न्यूक्लियर बेस भी है. और ठीक उसी तरह नूरखान एयरबेस भी पाकिस्तान के न्यूक्लियर क्षमता की रीढ़ की हड्डी माना जाता है.

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PAK के परमाणु हथियारों को नुकसान
इसी हमले के बाद 10 मई की सुबह करीब 8 बजे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ NCA यानि न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी कि एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाते हैं. ये मीटिंग इसलिए बुलाई गई थी ताकि ये पता किया जा सके कि पाकिस्तान के खासतौर पर नूरखान एयरबेस के न्यूक्लियर एयरबेस को कितना नुकसान पहुंचा. और बस यहीं से ये खबर आनी शुरु हो गई कि नूरखान एयरबेस पर हुए हमले में पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को भी नुकसान पहुंचा है. अब जाहिर है अगर परमाणु हथियारों को नुकसान पहुंचेगा तो आसपास रेडिएशन भी फैलेगा. इसी के बाद सामने आई दो तस्वीरों ने इस बात को और भी हवा दे दी कि सचमुच पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को नुकसान पहुंचा है.

(GFX Image - ChatGPT)

अमेरिकी विमान ने किया एरियल मैप सर्वे
पहली तस्वीर अमेरिकी ऊर्जा विभाग के परमाणु आपातकालीन सहायता विमान B350 AMS की है. इस विमान के पाकिस्तान में हवा में चक्कर काटने का ट्रैकिंग डेटा फ्लाइट रडार 24 पर भी मौजूद है. इसी विमान के पाकिस्तानी आसमान पर चक्कर काटने की समाने आई तस्वीर के बाद ही ये अटकले लगाई जाने लगी कि नूर खान एयरबेस के इर्द-गिर्द रेडिएशन फैल रहा है. असल में इस विमान का काम मुख्य रूप से हवा में रेडिएशन को ट्रैक करना और उसकी निगरानी करना होता है. इसीलिए इस विमान के साथ AMS का नाम इसलिए जोड़ा जाता है क्योंकि ये एरियल मैप सर्वे का हिस्सा होता है.

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मिस्र के कार्गो विमान ने किया रसायन छिड़काव
10 मई की ही दूसरी तस्वीर सामने आई. जिसमें मिस्र का एक कार्गो विमान है. 10 मई को ही गुपचुप तरीके से मिस्त्र का वो कार्गो विमान पाकिस्तान में दाखिल हुआ. खबर है कि इस कार्गो विमान के जरिए बोरॉन नाम का रासायनिक तत्व लाया गया था. जिसका इस्तेमाल परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा और मरम्मत में किया जाता है. फ्लाइट रडार 24 में वो विमान भी कैद हुआ है. उस तस्वीर को अगर गौर से देखा जाए तो अमूमन फ्लाइट ज्यादातर सीधे उड़ान भरती हैं. पहाड़ी सड़कों की तरह जिग जैग यानि आढ़े टेढ़े उड़ान नहीं भरती. अब फ्लाइट रडार 24 के इस लाइव इमेज को देखें तो इसमें मिस्त्र से आया विमान पाकिस्तानी वायु सीमा में सीधे नहीं बल्कि आढ़े टेढे उड़ते हुए आया. एक्सपर्ट्स की मानें तो इस अंदाज में मिस्त्र के इस कार्गो विमान का पाकिस्तान के आसमान में उड़ना ये सबूत है कि वो नूरखान एयरबेस के आसपास के इलाकों में विमान से बोरॉन नाम के केमिकल का छिड़काव किया गया. ताकि रेडिएशन पर कंट्रोल पाया जा सके. बोरॉन वो केमिलकल है जो मिस्त्र की मशहूर नील नदी में सबसे ज्यादा पाया जाता है.

भारत ने किया हमले से इनकार
इन्हीं दो तस्वीरों के बाद पूरी दुनिया में इस बात पर चर्चा हो रही है कि पाकिस्तान के नूरखान एयरबेस पर हुए हमले में उसे न्यूक्लियर हथियारों को काफी नुकसान पहुंचा है. हालांकि भारत ने इस बात से साफ इनकार किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत उसने पाकिस्तान के किसी न्यूक्लियर ठिकाने को निशाना बनाया. भारत का कहना है कि हवाई हमलों में सिर्फ पाकिस्तानी एयरबेस और सैन्य ठिकानों को ही निशाना बनाया गया है.

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अलग-अलग हिस्सों में रखा जाता है न्यूक्लियर हथियार
भारत ने पाकिस्तान के जिन एयरबेस पर हमले किए वो सारे हमले ब्रह्मोस मिसाइल से किए गए. ब्रह्मोस मिसाइल की स्पीड आवाज से भी तीन गुना तेज है. ये मिसाइल ना दिखाई देता है और ना ही किसी रडार के पकड़ में आता है. भारत ने पाकिस्तान के सभी एयरबेस और सैन्य ठिकानों पर इसी ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया. हमला पूरी प्लानिंग के साथ हुआ था. न्यूक्लियर पावर कोई भी देश अपने न्यूक्लियर हथियार को कभी एक साथ नहीं रखता. उन्हें तीन अलग अलग हिस्सों में बांटकर रखा जाता है.

PAK जमीन या हवा से कर सकता है परमाणु हमला
इनमें से पहला है फिजन. फिजन ये एक तरह से नयूक्लियर हथियार की चाभी है. न्यूक्लियर बम या हथियार बनाने के लिए रॉ मैटेरियल का काम करता है. फिजन यानि न्यूक्लियर हथियार की चाभी को किसी अलग ठिकाने पर रखा जाता है. बम फिजन के बाद जब बम बनकर तैयार हो जाता है, तब उसे डेटोनेट करने के लिए दूसरे परमाणु ठिकानों पर रखा जाता है या ले जाया जाता है. कैरियर जब परमाणु हथियार बनकर तैयार हो जाते हैं, तब आती है बारी कैरियर की. यानि जमीन, समंदर या हवा के जरिए परमाणु बमों को लॉंच करना और उन्हें तय टारगेट पर गिराना. अमूमन इसके लिए तीन तरह के कैरियर इस्तेमाल किए जाते हैं. जमीन पर कोई ट्रक या भारी गाड़ी, हवा में फाइटर प्लेट और समंदर में सबमरीन और दूसरे जंगी जहाज. पाकिस्तान के पास फिलहाल समंदर के रास्ते परमाणु बम छोड़ने की सुविधा नहीं है. जबकि भारत के पास है. इस तरह पाकिस्तान या तो जमीन से या तो हवा से मिराज 3 या चीन से मिले जेएफ 17 फाइटर जेट से परमाणु बम छोड़ सकता है.

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ऐसे बनी सीजफायर पर सहमति
नूरखान एयरबेस पर जो हमले हुए वहां से सिर्फ 19 किलोमीटर की दूरी पर नीलोर में पाकिस्तान का एक अहम परमाणु ठिकाना है. यहां फिजन यानि रॉ मैटेरियल से परमाणु हथियार बनाए जाते थे. जब नूरखान एयरबेस पर हमला हुआ तब पाकिस्तान घबरा गया. क्योंकि ये हमला एक तरह से उसके परमाणु ठिकाने के बिल्कुल करीब हुआ था. इसी हमले के बाद पहली बार पाकिस्तान ने अमेरिका से गुहार लगाई कि वो जंग रोकने के लिए भारत को तैयार करे. तब पाकिस्तान के DGMO यानि डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन ने 10 मई की सुबह भारत के DGMO को फोन लगाया. यहां से पाकिस्तान को मना कर दिया गया. इस्लामाबाद ने फिर अमेरिका से बात की. इसके बाद अमेरिका ने भारत से बात की. फिर अमेरिका ने पाकिस्तान से कहा कि तुम दिल्ली से पहले बात करो. इसी के बाद 10 मई की दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO को फोन किया. सीजफायर की बात की. और फिर दोनों देश इसके लिए राजी हो गए.
 
PAK के परमाणु ठिकानों पर आतंकी कब्जे का डर
पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों को नुकसान पहुंचने की खबर के बाद इस बात की भी चिंता बढ़ गई थी कि कहीं वहां के परमाणु ठिकानों पर आतंकवादी संगठनों का कब्जा ना हो जाए. वैसे भी पाकिस्तान का न्यूक्लियर कमांड शुरु से ही चिंता का विषय रहा है. अमेरिका ने कई बार कोशिश की कि वो पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों को बैकडोर से कंट्रोल कर सके. यानि वो किसी चिप या कोड के जरिए पाकिस्तनी न्यूक्लियर सिस्टम मे सेंध लगाए और दूर बैठकर ही हथियारों को डिएक्टिवेट कर सके. हालांकि पाकिस्तान के मुकाबले भारत का न्यूक्लियर सिस्टम काफी सेफ माना जाता है. ये न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के तहत काम करता है. देश के प्रधानमंत्री इसके प्रमुख होते हैं और तीनों सेनाओं के प्रमुख इसके सलाहकार. फिर ऊपर से भारत ने न्यूक्लियर हथियारों को लेकर नो फर्स्ट यूज पॉलिसी भी बना रखी है. यानि किसी भी हाल में भारत पहला वार नहीं करेगा.

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पाकिस्तान के पास हैं 170 परमाणु हथियार
बुलेटिन ऑफ द एटोमिक साइंटिस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास इस वक्त कुल 170 न्यूक्लियर वॉर हेड है. यानि न्यूक्लियर हथियार है. लेकिन इनमें से सिर्फ 36 ही ऐसे न्यूक्लियर हथियार हैं जिनको फाइटर प्लेन से कैरी किया जा सकता है. यानि इन न्यूक्लियर बमों को फाइटर प्लेन में रखकर तय टारगेट पर गिराया जा सकता है. पाकिस्तान के पास इन न्यूक्लियर बमों को कैरी करने के लिए फिलहाल दो तरह के फाइटर जेट हैं. मिराज 3 और चीन का बना जेएफ 17. 

समंदर से परमाणु वार नहीं कर सकता PAK
36 न्यूक्लियर हथियार के अलावा बाकी जितने भी हथियार पाकिस्तान के पास हैं वो लैंड बेस्ड हथियार हैं. यानि उन्हें जमीन से ही मिसाइल के जरिए ग्राउंड टू ग्राउंड मारा जा सकता है. समंदर के जरिए न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल करने के लिए फिलहाल, पाकिस्तान ट्रायल फेज मे हैं. यानि वो इसकी तैयारी अभी कर रहा है. 

न्यूक्लियर हथियारों के हवाई इस्तेमाल के लिए फिलहाल पाकिस्तान के पास 5 एयरबेस है. नूर खान एयरबेस, मिनहास उर्फ कामरा एयरबेस, शहबाज एयरबेस, रफीक एयरबेस और मसरुर एयरबेस. 

फाइटर जेट से न्यूक्लियर वॉर हेड का इस्तेमाल करने के अलावा लैंड बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइल के जरिए न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल करने के लिए भी पाकिस्तान 5 जमीनी बेस का इस्तेमाल करता है. ये पांच बेस हैं- सरगोधा आर्मी कैंप, खुज़दार आर्मी कैंप, गुजरावाला आर्मी कैंप, पानो आकिल आर्मी कैंप और अर्को आर्मी कैंप.

इन न्यूक्लियर कैरियर ठिकानों के अलावा पाकिस्तान के पास 40 एयरबेस हैं. लेकिन हर एयरबेस से न्यूक्लिर वॉर हेड को ले जाने की सुविधा नहीं है. इसीलिए जब नूरखान एयरबेस जो पाकिस्तान के परमाणु प्रोगाम की रीढ़ की हड्डी है, पर हमला हुआ तो पाकिस्तान घबरा गया. इसी हमले में उसे झुकने और सीजफायर पर मजबूर कर दिया.

(मनीषा झा और सुप्रतिम बनर्जी के साथ दीपक सिंह की रिपोर्ट)

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