scorecardresearch
 

लापता लड़की, ट्रॉली बैग में लाश और 2400 KM की मिस्ट्री... ऐसे खुला सनसनीखेज कत्ल का राज, हैरान कर देगी कहानी

Bengaluru Riya Murder Case: ट्रॉली बैग में लाश के अलावा पुलिस को ऐसी एक भी चीज नहीं मिली थी, जिससे लड़की की शिनाख्त हो पाती. बस शुक्र इतना था कि लाश का चेहरा सही सलामत था. यही इस केस का सबसे अहम सुराग बनने वाला था.

Advertisement
X
 रिया की लाश नवादा से 2400 किमी दूर बेंगलुरु में मिली थी
रिया की लाश नवादा से 2400 किमी दूर बेंगलुरु में मिली थी

Nawada Girl Riya Murder in Bengaluru: बेंगलुरु में एक रेलवे ब्रिज के नीचे एक लावारिस ट्रॉली बैग मिलता है. जिसमें एक लड़की की लाश थी. लेकिन उस बैग में ऐसा कोई सुराग नहीं था, जिससे लाश की शिनाख्त की जा सके. हालांकि बैग ठूंसी गई लड़की की लाश का चेहरा बिल्कुल साफ था. और उस लड़की का वो चेहरा सोशल मीडिया के ज़रिए बेंगलुरु से 2400 किलोमीटर दूर बिहार के नवादा जिले तक जा पहुंचा, जहां से 15 मई को एक लड़की गायब हो गई थी. 

21 मई की सुबह बेंगलुरु के बाहरी इलाके में मौजूद चंदापुरा रेलवे ब्रिज के नीचे नीले रंग का एक ट्रॉली बैग लावारिस हालत में पड़ा था. इस रेलवे के ऊपर मेन रेलवे लाइन है. वहां से बेंगलुरु तक आने जाने वाली तमाम ट्रेनें गुजरती हैं. सुबह का वक्त था, तभी कूड़ा बीनने वाले एक शख्स की नजर इस बैग पर पड़ती है. इस लालच में कि बैग के अंदर कोई कीमती सामान हो, कूड़ा बीनने वाला बैग खोलने की कोशिश करता है. लेकिन बैग उससे खुलता नहीं है. तब वो बैग के ऊपरी सिरे के एक हिस्से को किसी नुकीली चीज से काट देता है. अब जैसे ही बैग के अंदर उसकी नजर पड़ती है, वो चीखता हुआ वो वहां से भाग जाता है. दरअसल, उस बैग के अंदर एक लड़की की ठूंसी हुई लाश थी.

Advertisement

थोड़ी देर बाद बेंगलुरु के सूर्यनगर पुलिस स्टेशन को एक फोन आता है. फोन करने वाला चंदापुरा रेलवे ब्रिज के नीचे लावारिस पड़े इस बैग और बैग में रखी एक लड़की की लाश की जानकारी देता है. थोड़ी ही देर में पुलिस मौके पर थी. बैग और लाश दोनों की तलाशी ली जाती है. लेकिन पुलिस को मायूसी हाथ लगती है. बैग के अंदर ऐसी एक भी चीज नहीं थी, जिससे लड़की की शिनाख्त हो पाती. बस शुक्र इतना था कि लाश का चेहरा सही सलामत था. पुलिस लाश को सरकारी अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भेज देती है.

जिस तरह रेलवे ब्रिज के नीचे ये बैग और बैग के अंदर से लाश बरामद हुई थी, उसे देखते हुए पहली नजर में पुलिस को यही लगा कि कातिल ने किसी चलती ट्रेन से इस बैग को यहां फेंका है. पहले चश्मदीद यानी कूड़ा बीनने वाले से पूछताछ के बाद अब बेंगलुरु पुलिस इस जांच में जुट जाती है कि अंदाजन जिस वक़्त ये बैग इस रेलवे ब्रिज के नीचे फेंका गया, तब क्या वक़्त हुआ होगा और कौन कौन सी ट्रेन उस वक्त यहां से गुजरी होगी? लेकिन बेंगलुरु पुलिस के हाथ कोई कामयाबी नहीं लगी. यहां तक कि बैग से बरामद लड़की की शिनाख्त भी नहीं हो पाती. हालांकि तब तक मीडिया और सोशल मीडिया में ये खबर फैल जाती है. बैग के ऊपरी फटे हुए हिस्से से लड़की का चेहरा साफ-साफ दिख रहा था. यही चेहरा सोशल मीडिया पर कई जगह इस बैग के साथ दिखाया जाने लगा.

Advertisement

बेंगलुरु से लगभग 2400 किमी दूर बिहार के नवादा जिले के हिसुआ गांव. नवादा के इस हिसुआ गांव से 15 मई को 17 साल की एक लड़की अचानक अपने घर से गायब हो जाती है. घर वाले उसे हर तरफ ढूंढते हैं. पर लड़की का कोई सुराग नहीं मिलता. थक हार कर लड़की के पिता हिसुआ थाने में बेटी की किडनैपिंग की शिकायत दर्ज करा देते हैं. पुलिस शिकायत तो दर्ज कर लेती है, लेकिन निर्मल दास की बेटी का कोई सुराग नहीं मिलता. 

इसी दौरान अचानक 23 मई को सोशल मीडिया पर बेंगलुरु के लाश वाली बैग की कहानी और तस्वीरें दिखाई जाने लगती हैं. इत्तेफाक से बेंगलुरु में बैग से मिली लड़की की लाश की खबर और तस्वीर सोशल मीडिया के जरिए हिसुआ पुलिस तक पहुंचती है. पुलिस जब बैग से झांकती लड़की की लाश के चेहरे को देखती है, तो उसे यकीन हो जाता है कि ये उसी लड़की की लाश हो सकती है, जो 15 मई से हिसुआ से गायब है.

बेंगलुरु के सूर्यनगर पुलिस स्टेशन से ये कनफर्म होते ही कि बैग से बरामद लाश निर्मल दास की बेटी की ही है, फौरन हिसुआ पुलिस की एक टीम बेंगलुरु के लिए रवाना हो जाती है. वहां लड़की के पिता अपनी बेटी की लाश की शिनाख्त कर लेते हैं. और इस तरह 21 मई को बेंगलुरु के चंदापुर रेलवे ब्रिज के नीचे मिले ट्रॉली बैग और उस बैग से मिली लड़की की शिनाख्त पूरी हो जाती है. पर कहानी अभी अधूरी थी, क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हिसाब से लड़की का कत्ल करने के बाद उसकी लाश को बैग में ठूंसा गया था. 

Advertisement

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक लड़की को गला घोंट कर मारा गया था. उसकी गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई थी. लड़की के सीने पर बैठ कर उसका गला घोंटा गया था. अब दो सवाल थे-

सवाल नंबर एक- लड़की का कातिल कौन है?

सवाल नंबर दोबिहार के नवादा के हिसुआ गांव की रहने वाली एक नाबालिग लड़की गांव से 2400 किलोमीटर दूर बेंगलुरु कैसे पहुंच गई?

चूंकि लाश बेंगलुरु में मिली थी और केस बेंगलुरु के सूर्यनगर पुलिस स्टेशन में दर्ज था, लिहाजा केस बेंगलुरु पुलिस का ही था. लेकिन दूसरी तरफ लड़की की किडनैपिंग का केस बेंगलुरु से दूर नवादा के हिसुआ थाने में दर्ज हुआ था. लिहाजा, अब दोनों राज्यों की पुलिस ने एक दूसरे की मदद से केस को सुलझाने का फैसला किया.

लड़की के पिता निर्मल दास ने अपनी शिकायत में ये अंदेशा जताया था कि उनकी बेटी का किडनैप हुआ है और किडनैप करने वाले का नाम आशिक कुमार है. आशिक कुमार हिसुआ के बराबर वाले गांव का रहने वाला है. शादीशुदा आशिक की पत्नी और बच्चे यहीं नवादा में रहते हैं. जबकि वो खुद बेंगलुरु में नौकरी करता है. पुलिस में रिपोर्ट लिखाने के बाद लड़की के पिता निर्मल दास आशिक कुमार के घर भी गए थे. उसकी मां और पत्नी से मिले.

Advertisement

अब चूंकि किडनैपिंग की रिपोर्ट नामजद थी, लिहाजा, हिसुआ पुलिस ने सबसे पहले आशिक कुमार के गांव में दबिश दी. इत्तेफाक से आशिक कुमार गांव में ही मिल गया. उससे पूछताछ शुरू हुई. पूछताछ खत्म होते-होते अब आशिक कुमार के साथ-साथ कुल सात लोग हिसुआ पुलिस की हिरासत में थे. इनमें आशिक के दोस्तों के अलावा बेंगलुरु में रहने वाले उसके फूफा-फूफी भी शामिल थे.

अब तक बेंगलुरु पुलिस भी नवादा पहुंच चुकी थी, चूंकि केस बेंगलुरु पुलिस का था, लिहाजा सभी आरोपियों को नवादा पुलिस बेंगलुरु पुलिस को सौंप देती है. सभी आरोपियों को अब बेंगलुरु ले जाया जाता है. पूछताछ के बाद ट्रॉली बैग और बैग से बरामद लड़की के कत्ल की जो कहानी सामने आती है, वो कुछ यूं है- आशिक कुमार 3 साल पहले नौकरी के लिए बेंगलुरु गया था. बेंगलुरु में उसके फूफा-फूफी पहले से ही एक प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रहे थे. फूफा ने ही आशिक की नौकरी एक प्राइवेट कंपनी में लगा दी थी. वो बेंगलुरु में फूफा-फूफी के साथ उन्हीं के घर में रहता था. 

इधर, बेंगलुरु जाने से पहले की कहानी ये है कि नाबालिग लड़की के साथ उसकी जान-पहचान थी. मई में छुट्टी में आशिक कुमार घर आया. फिर बहला-फुसला कर नाबालिग लड़की को अपने साथ बेंगलुरु चलने के लिए तैयार कर लिया. इसके बाद 15 मई को आशिक कुमार लड़की के साथ नवादा के हिसुआ गांव से सड़क के रास्ते गया रेलवे स्टेशन पहुंचता है. हिसुआ से गया रेलवे स्टेशन की दूरी करीब 45 किलोमीटर है. गया जंक्शन से दोनों एक ट्रेन में बैठते हैं और कोलकाता पहुंचते हैं.

Advertisement

गया से कोलकाता तक की दूरी 483 किमी है. कोलकाता पहुंचने के बाद आशिक कुमार बेंगलुरु की ट्रेन में सवार हो जाता है. कोलकाता से बेंगलुरु तक की दूरी 1875 किमी है. इस तरह करीब 2400 किमी का सफर तय कर आशिक कुमार नाबालिग लड़की को अपने साथ बेंगलुरु ले आता है. बेंगलुरु में वो उसे अपने फूफा-फूफी के घर ले जाता है. अब दोनों वहीं साथ रहते हैं. 

वो 20 मई की तारीख थी. सुबह फूफा-फूफी ड्यूटी पर जा चुके थे. घर में आशिक कुमार और नाबालिग लड़की अकेले थे. तभी किसी बात पर दोनों में झगड़ा हो जाता है. इसी झगड़े के दौरान आशिक कुमार उसका गला घोंटने लगता है. उसे जमीन पर पटकता है, फिर उसके सीने पर बैठ कर उसका गला घोंट देता है. थोड़ी देर बाद जब उसे अहसास होता है कि वो मर चुकी है, तब वो घबरा कर अपने दोस्तों को फोन करता है. वो उन्हें अपने उसी घर में बुलाता है, जहां उसने अभी-अभी कत्ल किया था. लेकिन दोस्तों को वो कत्ल वाली बात नहीं बताता.

जैसे ही दोस्त घर पहुंचते हैं, तब पहली बार वो फर्श पर पड़ी नाबालिग लड़की की लाश देखते हैं. उसके दोस्त घबरा जाते हैं. तब वो उन्हें धमकाता है कि तुम्हें पुलिस को यही बयान देना है कि इसने फंदा लगा कर खुदकुशी कर ली है. वरना तुम सबको भी अपने साथ फंसा दूंगा. डर के मारे सभी दोस्त तैयार हो जाते हैं. इसके बाद खुदकुशी की कहानी गढ़ने के लिए वो घर की खिड़की की शीशा तोड़ देते हैं. ताकि पुलिस को यही लगे कि दरवाजा अंदर से बंद था और खिड़की का शीशा तोड़ कर ये लोग उस नाबालिग लड़की को बचाने अंदर दाखिल हुए थे. 

Advertisement

पर उन्होंने गलती ये कि खिड़की का शीशा अंदर से तोड़ा. लिहाजा टूटे हुए शीशे बाहर की तरफ गिरे. अगर वो बाहर से तोड़ते तो शीशे अंदर की तरफ गिरते. बाद में जब पुलिस मौके पर गई, तब भी शीशे बाहर ही पड़े मिले. ये इस केस में एक अहम सबूत था. अब शाम हो चुकी थी. फूफा फूफी ड्यूटी से घर लौट चुके थे. लाश अब भी घर में पड़ी थी. 

आशिक फूफा फूफी को भी धमकाता है. तब पहली बार आशिक के फूफा ही उसे ये सलाह देते हैं कि ये सब छोड़ो और लाश को ले जाकर ऐसी जगह ठिकाने लगा दो कि कभी लाश मिले ही नहीं. इसी के बाद आशिक और उसके दोस्त एक ट्रॉली बैग में नाबालिग लड़की की लाश को पैक करते हैं, फिर आशिक के फूफा ऑनलाइन एक कैब बुक करते हैं. इसके बाद उसी कैब में रात के अंधेरे में आशिक और उसके दोस्त ट्रॉली बैग लेकर चंदापुरा रेलवे ब्रिज के करीब पहुंचते हैं. हालांकि ट्रॉली बैग और फिर यूं सुनसान जगह पर कैब से उतरने पर कैब ड्राइवर को शक तो होता है, पर वो अपना किराया लेकर निकल जाता है.

इसके बाद मौका देखते ही इस बैग को आशिक और उसके दोस्त चंदापुरा रेलवे ब्रिज के नीचे ठीक इसी जगह फेंक कर चले जाते हैं. फिर अगले दिन यानी 21 मई की सुबह बेंगलुरु पुलिस तक इस बैग और बैग में बंद लाश की खबर पहुंचती है. और इस तरह 2400 किमी लंबी खूनी साजिश अपने अंजाम तक पहुंचती है. मरने वाली लड़की का नाम रिया था.

(बेंगलुरु से सगय राज और नवादा से सुमित भगत का इनपुट) 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement