Anti-India Pak Army Chief Asim Munir: पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की सेना के वर्तमान प्रमुख जनरल आसिम मुनीर का नाम भी इस साजिश में सामने आया है. क्योंकि आसिम मुनीर को आज भारत के खिलाफ एक आक्रामक रणनीतिकार के रूप में देखा जाता है. साल 2022 में पाक सेना का शीर्ष पद संभालने वाले आसिम मुनीर को भारत के खिलाफ कठोर रुख अपनाने, आतंकवाद को परोक्ष समर्थन देने और देश के राजनीतिक तंत्र को सेना का गुलाम बनाकर रखने के लिए जाना जाता है.
अतीत में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के प्रमुख के रूप में अपने छोटे लेकिन विवादित कार्यकाल के दौरान आसिम मुनीर ने भारत के खिलाफ कूटनीतिक और खुफिया हमलों को तेज किया था. वर्ष 2019 में भारत-पाक टकराव के समय पुलवामा हमले के बाद हुई कार्रवाई और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की प्रतिक्रिया में उसकी अहम भूमिका बताई गई.
भारतीय एजेंसियों के अनुसार, आसिम मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठनों को खुफिया तौर पर अपना समर्थन जारी रखा, खासकर नियंत्रण रेखा के पार. उनकी रणनीति में आतंक और वार्ता का मिश्रण साफ झलकता है.
पाकिस्तान के सेना प्रमुख बनने के बाद मुनीर ने साल 2023 के राजनीतिक संकट के दौरान इमरान खान के खिलाफ कठोर रुख अपनाया था. यह वही इमरान खान हैं, जिनके कार्यकाल में मुनीर को ISI प्रमुख पद से हटा दिया गया था. जानकारों का मानना है कि आसिम मुनीर अब केवल सेना प्रमुख नहीं, बल्कि पाकिस्तान की डीप स्टेट के सर्वेसर्वा बन चुका है. जो भारत के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा चुनौती है.
जनरल आसिम मुनीर के खिलाफ गंभीर आरोप भी लग चुके हैं. अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ माइकल रुबिन ने उन पर 2025 के पहलगाम हमले को मंजूरी देने का दावा किया है. हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन अगर यह बात सच पाई जाती है, तो यह भारत पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की एक और बड़ी मिसाल होगी.
आसिम मुनीर को कट्टर धार्मिक विचारों वाला व्यक्ति माना जाता है. उसके परिवार को हाफ़िज़ परिवार कहा जाता है, जहां कई सदस्य कुरान को कंठस्थ कर चुके हैं. सेना में रहते हुए उन्होंने खुद भी सऊदी अरब में पोस्टिंग के दौरान हाफ़िज़ की उपाधि प्राप्त की.
सेना में रहते हुए आसिम मुनीर ने ISI और मिलिट्री इंटेलिजेंस दोनों की कमान संभाली है. और यह बात आसिम को पाकिस्तान की खुफिया रणनीतियों का सबसे अनुभवी चेहरा बनाती है. भारत को लेकर आसिम का रुख कठोर, धार्मिक रूप से प्रेरित और उग्र राष्ट्रवादी रहा है.
विशेष निवेश परिषद जैसे कार्यक्रमों के ज़रिये वो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में खाड़ी देशों का पैसा लाकर भारत के मुकाबले सैन्य शक्ति बढ़ाने की कोशिश कर करता रहा. लेकिन भारत में यह आशंका है कि इस पूंजी का उपयोग फिर से आतंकवादी नेटवर्क को पुनर्जीवित करने के लिए किया जा सकता है.
लेफ्टिनेंट जनरल सैयद आसिम मुनीर का जन्म पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में हुआ था. सैयद आसिम मुनीर एक पंजाबी मुस्लिम परिवार से है, लेकिन उसकी जड़ें भारत के पंजाब में जालंधर जिले से हैं. भारत-पाकिस्तान विभाजन (1947) के बाद उनके माता-पिता ने पाकिस्तान का रुख किया और रावलपिंडी के ढेरी हसनाबाद क्षेत्र में बस गए.
उसके पिता सैयद सरवर मुनीर, एफजी टेक्निकल हाई स्कूल, लालकुर्ती, रावलपिंडी के प्रिंसिपल थे और मस्जिद-अल-कुरैश में इमाम के रूप में भी काम करते थे. मुनीर के दो भाई-बहन हैं, जिनमें एक सरकारी स्कूल में शिक्षक है. उसकी प्रारंभिक धार्मिक शिक्षा मरकज़ी मदरसा दार-उल-तजवीद, रावलपिंडी में पूरी हुई. इसके अलावा आसिम ने फ़ूजी स्कूल, जापान, कमांड एंड स्टाफ कॉलेज, क्वेटा, मलेशियाई सशस्त्र बल कॉलेज, कुआलालंपुर. राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय, इस्लामाबाद से सार्वजनिक नीति और सामरिक सुरक्षा प्रबंधन में एमफिल की डिग्री प्राप्त की.
आसिम ने ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल (OTS), मंगला के 17वें कोर्स से प्रशिक्षण प्राप्त किया. फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट की 23वीं बटालियन में कमीशन पाया. और 25 अप्रैल 1986 को सैन्य करियर की शुरुआत की. जनरल आसिम मुनीर न सिर्फ़ पाकिस्तान की सेना बल्कि उसकी नीतियों और खुफिया ऑपरेशनों का भी अहम हिस्सा है. अब भारत को उसकी सभी हरकतों पर कड़ी निगाह रखनी होगी.