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'महंगाई दर' घटने के बावजूद घर का बजट कम क्यों नहीं हो रहा है? हर घर का ये 5 कारण

Family Budget: जुलाई 2025 में खुदरा महंगाई दर (CPI आधारित) लुढ़कर 1.55 फीसदी पर पहुंच गई, जो जून- 2017 के बाद सबसे कम है. यानी महंगाई आठ साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई. फिर भी, लोगों के घरेलू बजट पर राहत नहीं मिल रही.

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महंगाई दर में गिरावट का असर रसोई बजट पर क्यों नहीं दिख रहा. (Photo: AI)
महंगाई दर में गिरावट का असर रसोई बजट पर क्यों नहीं दिख रहा. (Photo: AI)

पायल कहती हैं, 'खुदरा महंगाई दर 2 फीसदी से नीचे आ गई, सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि देश में महंगाई 8 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई. लेकिन चीजें तो सस्ती हो नहीं रही हैं, फिर ये महंगाई में गिरावट के क्या मायने हैं?' पायल ही नहीं, हर आम आदमी का सवाल यही है कि महंगाई दर में जब गिरावट आती हैं, तो उसका असर आम आदनी पर दिखना चाहिए. लेकिन खाने-पीने से लेकर हर चीजें महंगी होती जा रही हैं, फिर महंगाई दर में गिरावट को कैसे समझें?

दरअसल, जुलाई 2025 में खुदरा महंगाई दर (CPI आधारित) लुढ़कर 1.55 फीसदी पर पहुंच गई, जो जून- 2017 के बाद सबसे कम है. यानी महंगाई आठ साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई. फिर भी, लोगों के घरेलू बजट पर राहत नहीं मिल रही. इसके कई कारण हैं?

1. जरूरत की चीजें अब भी महंगी 
भले ही खाद्य महंगाई दर फिसलकर -1.76% तक पहुंच गई हो, लेकिन कुछ जरूरी सामान जैसे दाल, तेल, और मसाले अभी भी महंगे हैं. उदाहरण के लिए प्याज की कीमतें स्थिर हैं, लेकिन टमाटर के भाव चढ़ने लगे हैं, जो कि आपके रसोई बजट को सीधे प्रभावित करता है.

पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (LPG) की कीमतें वैसे तो कुछ महीनों से स्थिर हैं, लेकिन कुछ परिवारों के लिए ये कीमतें भी ज्यादा है. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं खाने-पीने की चीजों के मुकाबले ज्यादा महंगी हुई हैं. मध्यम वर्ग शिक्षा और स्वास्थ्य के खर्चों से ज्यादा परेशान हैं, स्कूल की फीस, किताबें की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. 

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2. आय में वृद्धि न होना
महंगाई दर कम होने का मतलब यह नहीं कि कीमतें घटी हैं, यह केवल कीमतों की बढ़ोतरी की गति धीमी हुई है. लेकिन अधिकांश लोगों की आय (वेतन) में बढ़ोतरी महंगाई की तुलना में धीमी रही. यानी अगर आपकी सैलरी सही से नहीं बढ़ रही है तो आपको महंगाई परेशान करेगी ही. NSSO के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रियल वेज ग्रोथ (महंगाई समायोजित आय वृद्धि) 2024-25 में 1-2% से कम रही.

3. फिजूलखर्ची एक बड़ा कारण
फिजूलखर्ची कुछ हद तक घरेलू बजट पर दबाव का कारण है, आज के दौर में अधिकतर लोग अपनी आय से ज्यादा खर्च कर रहे हैं, वो भी गैर-जरूरी चीजों पर. जैसे महंगे स्मार्टफोन, इंटरनेट, ओटीटी सब्सक्रिप्शन का क्रेज बढ़ा है, जो बजट का बड़ा हिस्सा लेते हैं. ये खर्च अब जरूरी माने जाते हैं. बाहर खाने का कल्चर तेजी से बढ़ा है, जो सीधे तौर पर आय और बजट को प्रभावित करता है. 

4. क्रेडिट कार्ड ने बिगाड़ा बजट
मध्यम वर्ग आज के दौर में ब्रांडेड कपड़े और जूते खरीदने से हिचकते नहीं हैं. जबकि बाजार में सस्ते विकल्प भी उपलब्ध हैं. दरअसल, इन सबका एक बड़ा कारण है क्रेडिट कार्ड.  क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन शॉपिंग और मॉल कल्चर ने मिलकर शॉपिंग का नजरिया बदल दिया है. कुछ लोग तो ऑफर के चक्कर में गैर-जरूरी चीजें भी खरीद लेते हैं, जिसे वो बाद में कभी इस्तेमाल भी नहीं करते. 

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5. लिस्ट बनाने का कल्चर खत्म
पहले लोग पूरे महीने के खर्च के लिए लिस्ट बनाते थे, उसके बाद शॉपिंग करते थे, लेकिन अब हर घर में तरीके बदल चुके हैं, क्या खरीदना है, क्या नहीं खरीदना है, ये अब परिवार बैठकर तय नहीं करता है. सीधे मॉल में पहुंचते, और फिर बजट से बाहर की चीजें भी खरीद लेते हैं. क्योंकि हाथ में लिस्ट नहीं होती है, और जेब में क्रेडिट कार्ड होता है. 

इसके अलावा घर किराया और EMI की बोझ से भी आम आदमी परेशान है. होम लोन आसानी से मिल जाने के कारण बड़े शहरों में घर खरीदने का कल्चर बढ़ गया है. क्रेडिट कार्ड या EMI पर खरीदारी बढ़ने से कर्ज का बोझ बढ़ता है, जिसके ब्याज और लेट फीस बजट को और दबाव में डालते हैं. 

गौरतलब है कि महंगाई दर राष्ट्रीय औसत को दर्शाती है, लेकिन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कीमतों का प्रभाव अलग-अलग होता है. उदाहरण के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य कीमतों का असर अधिक है, जबकि शहरी क्षेत्रों में परिवहन और किराये का बोझ ज्यादा है. कुछ वस्तुओं पर GST (जैसे पैकेज्ड फूड, रेस्तरां) और स्थानीय करों ने खर्च बढ़ाया है. भले ही महंगाई कम हो, करों के कारण वास्तविक लागत अधिक रहती है. 

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फिर क्या करें?
- ऑनलाइन शॉपिंग से पहले सोचें कि क्या जो चीज आप खरीदने जा रहे हैं, वह वाकई जरूरी है. सस्ते विकल्प चुनें, जैसे लोकल ब्रांड्स या सेकंड-हैंड प्रोडक्ट्स. 
- क्रेडिट कार्ड का उपयोग कम करें और हर महीने पूरा बिल चुकाएं ताकि ब्याज न देना पड़े. उच्च ब्याज वाले कर्ज (जैसे पर्सनल लोन) को प्राथमिकता देकर जल्दी चुकाएं. 
- बाहर खाने की आदत कम करें, थोक में राशन खरीदें और सीजनल सब्जियों का उपयोग करें. 
- सार्वजनिक परिवहन या कारपूलिंग का उपयोग करें ताकि पेट्रोल/डीजल खर्च कम हो. 

गौरतलब है कि फिजूलखर्ची, जैसे गैर-जरूरी खरीदारी और जीवनशैली खर्च, बजट पर बोझ डालती है, लेकिन इसे वित्तीय अनुशासन, बजटिंग, और स्मार्ट निवेश से नियंत्रित किया जा सकता है. आय बढ़ाने और खर्चों को प्राथमिकता देने से आपको आर्थिक तौर पर राहत मिलेगी.

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