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Pakistan Crisis: पाकिस्तानी नेताओं की खुली पोल, कंगाली में भी कर रहे ऐसा काम... मानो भरा है सरकारी खजाना!

रोटी-पानी को मोहताज जनता और जरूरी सामानों की कमी...आटे का अकाल और रसोई गैस की किल्लत. ऐसे हैं पड़ोसी देश पाकिस्तान के हालात, लेकिन इन्हें ठीक करने के लिए खर्च करने के बजाय देश की शरबाज शरीफ सरकार ने सांसदों पर पैसों की बारिश की है और उनका विवेकाधीन खर्च 90 अरब पाकिस्तानी रुपये तक बढ़ा दिया है.

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पाकिस्तान ने आर्थिक बदहाली के बीच नेताओं पर खोला खजाना
पाकिस्तान ने आर्थिक बदहाली के बीच नेताओं पर खोला खजाना

सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan Crisis) के हालात किसी से छिपे नहीं है. देश की जनता रोटी-पानी समेत अन्य जरूरी चीजों के लिए मोहताज है. लेकिन बदहाल पाकिस्तान की एक दूसरी तस्वीर भी सामने आई जो सरकार की संवेदनहीनता का जीता-जागता उदाहरण पेश कर रही है. दरअसल, एक ओर जहां देश की जनता रोटी के लिए जान की बाजी लगाने को मजबूर है और सरकार हाथ बांधे बैठे है, तो वहीं नेताओं के लिए सरकारी खजाना खोल दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में सांसदों के बजट (MPs Spending Budget) में 90 अरब पाकिस्तानी रुपये तक कर दिया गया है. 

जजों के घर पर 844 मिलियन खर्च होंगे
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि कंगाल पाकिस्तान के नेता कैसे मालामाल हो रहे हैं. भले ही देश की जनता गैस, पानी और आटे के लिए तरस रही हो, लेकिन इससे देश की सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता. लगातार विकराल होती जा रही खराब आर्थिक स्थिति के बीच पाकिस्तान के सासंदों पर पैसों की बारिश की गई है. दरअसल, शहबाज शरीफ सरकार ने सांसदों के विवेकाधीन खर्च को 90 अरब पाकिस्तानी रुपयों तक बढ़ा दिया है. यहीं नहीं जनता को रोटी मुहैया कराने के बजाय सिर्फ जजों के आवासों के नवीनीकरण के लिए खजाने से 84.4 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. 

लोगों की खाली थाली की परवाह नहीं
पाकिस्तान की सरकार का ये फैसला चौंकाने वाला है, क्योकि देश अपने आर्थिक संकट से निपटने के लिए अमेरिका और यूएई समेत दूसरे देशों से मदद की गुहार लगा रहा है. देश की इकोनॉमी की हालत इतनी खराब (Pakistan Economic Crisis) हो चुकी है कि पाकिस्तान के सामने श्रीलंका (Sri Lanka) की तरह ही डिफॉल्ट का खतरा मंडरा रहा है. लोगों को आटा-दाल और ईंधन के लिए लड़ने-झगड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है और देश के कई शहरों में ब्लैकआउट की स्थिति पैदा हो गई है. लेकिन इन समस्याओं को दरकिनार करते हुए पड़ोसी देश अपने सांसदों पर दिल खोलकर खर्च कर रहा है. नेशनल ऑस्टेरिटी कमिटी (National Austerity Committee) सांसदों का विवेकाधीन खर्च बढ़ाने की सिफारिश की गई थी.

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वित्त मंत्री की अध्यक्षता में फैसला 
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार (Pakistan Finance Minister Ishaq Dar) की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की आर्थिक समन्वय समिति (ECC) ने इस संबंध में कहा है कि देश के सुप्रीम कोर्ट भवन, जजों के आवास-विश्राम गृहों समेत अन्य कार्यालयों के नवीनीकरण के लिए 844.4 मिलियन रुपये का पूरक अनुदान स्वीकृत किया गया है. गौरतलब है कि इस कमेटी के कंधे पर ही देश का डिफॉल्ट से बचाने की जिम्मेदारी है. चरम पर पहुंच चुकी महंगाई और फाइनेंशियल क्राइसिस (Pakistan Financial Crisis) के बीच ये फैसला अब चर्चा का विषय बना हुआ है. 

विदेशी मुद्रा भंडार बस इतना बाकी
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (Pakistan Forex Reserve) लगभग खत्म होता जा रहा है. यह कम होकर अब महज 4.1 बिलियन डॉलर रह गया है. देश में महंगाई दर (Pakistan Inflation) की बात करें तो ये 24.5 फीसदी के स्तर पर है और जरूरी सामान लोगों की पहुंच से दूर होते जा रहे हैं. अपने और परिवार की भूख मिटाने के लिए लोग मरने-मारने तक के लिए तैयार है. सरकार पैसे बचाने के लिए बिजली कटौती के उपाय समेत अन्य कदम उठा रही है. लेकिन जनता को रोटी-पानी और बिजली देने में नाकाम पाकिस्तान सरकार अपने सांसदों (Pakistan MPs) पर पैसे लुटाने को ज्यादा तरजीह दे रही है. 

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