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बेटा मांगे बिजनेस के लिए 10 लाख, पिता को कितना देना चाहिए? इमोशनली नहीं...फैसले लेने का ये है फॉर्मूला

वित्तीय मामलों के जानकारों का कहना होता है कि कभी भी वित्तीय फैसले इमोशनल होकर नहीं लेना चाहिए. उसके वर्तमान और भविष्य के परिणाम को ध्यान में रखकर माता-पिता को फैसला करना चाहिए. अगर माता-पिता को अपने बेटे के प्लान के बारे में पूरी जानकारी नहीं है तो फिर वित्तीय जानकार से मदद ली जा सकती है.

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बेटे को बिजनेस के लिए वित्तीय मदद देने का शानदार फॉर्मूला!
बेटे को बिजनेस के लिए वित्तीय मदद देने का शानदार फॉर्मूला!

हर पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चे बड़ा होकर उनका नाम रोशन करे. बच्चे भी चाहते हैं कि वो लाइफ में कुछ ऐसा करे कि माता-पिता को उनपर गर्व हो. इसलिए हर माता-पिता अपने बच्चे को पेट काटकर अच्छी तालिम देते हैं. बड़े से बड़े स्कूल में पढ़ाते हैं ताकि भविष्य को वो अपने पैरों पर खड़े हो सकें.

हर पिता चाहता है कि जो वो कर रहे हैं, उससे बड़ा काम उनके बच्चे करें. खासकर मध्यमवर्गीय परिवारों में यह धारणा है. कोई माता-पिता अपने बच्चों को असफल होते हुए नहीं देखना चाहता. चाहे वो पढ़ाई में हो या, फिर नौकरी और रोजगार में. अगर बच्चे कुछ बड़ा करने के लिए खासकर कारोबार के क्षेत्र में सपना देखता है, तो माता-पिता उसे हरसंभव मदद करता है. उन्हें लगता है कि ये उनका फर्ज है.

अपने बच्चों को कैसे करें मदद?

देश में कुछ ऐसे मामले में भी आते हैं, जहां अचानक बच्चे अपने माता-पिता से कहते हैं कि मुझे इतना पैसा चाहिए. क्योंकि मैं ये कारोबार शुरू करना चाहता हूं. उसके बाद माता-पिता मांगें पूरी करने में लग जाता है. कई माता-पिता तो अपनी पूरी कमाई और सेविंग अपने बच्चों के पीछे झोंक देते हैं. अगर इतने से भी पैसे पूरे नहीं होते हैं तो घर-जमीन औैर फिर कर्ज तक उठा लेते हैं. क्योंकि वो अपने बच्चों को निराश होते नहीं देखना चाहते. लेकिन वित्तीय तौर किसी माता-पिता को अपनी सारी कमाई अपने बच्चों के पीछे नहीं झोंक देना चाहिए. 

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अब सवाल उठता है कि फिर अगर बेटा कर रहा है पिताजी मुझे बिजनेस शुरू करने के लिए आपसे पैसे चाहिए. फिर ऐसी स्थिति में पिता को किस से बेटे की मदद करनी चाहिए? वित्तीय मामलों के जानकारों का कहना होता है कि कभी भी वित्तीय फैसले इमोशनल होकर नहीं लेना चाहिए. उसके वर्तमान और भविष्य के परिणाम को ध्यान में रखकर माता-पिता को फैसला करना चाहिए. अगर माता-पिता को अपने बेटे के प्लान के बारे में पूरी जानकारी नहीं है तो फिर वित्तीय जानकार से मदद ली जा सकती है.

बिजनेस के बारे में पिता से करें बात

एक उदाहरण से समझते हैं...

अब आइए एक उदाहरण से जानते हैं कि पढ़ाई खत्म करने के बाद एक बेटा अपने पिता से कहता है कि मुझे आप 10 लाख रुपये दे दीजिए, मैं एक कारोबार शुरू कर रहा हूं, जिसमें अच्छी खासी-कमाई है. नौकरी से बेहतर मेरे लिए ये विकल्प है. इस फील्ड में अपना नाम रोशन कर सकता हूं. ऐसी स्थिति में अब पिता क्या करे? एक्सपर्ट्स के मुताबिक सबसे पहले पिता को अपने बेटे से उसके बिजनेस के बारे में विस्तार चर्चा करनी चाहिए. जो बिजनेस कहना चाह रहा है, उसमें सालाना कितनी कमाई हो सकती है, बिजनेस का फ्यूचर ग्रोथ कैसा रहेगा? इस बिजनेस में कौन प्रतिद्वंदी है, और कैसे कमाई संभव है?

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बेटे के जवाब से संतुष्ट होने के बाद फिर खुद विचार करें, आप उसकी 10 लाख रुपये में कितनी मदद कर सकते हैं. ताकि आपकी पूरी जमापूंजी दांव पर न लग जाए. क्योंकि जब बेटे इस तरह से फैसले लेने की उम्र के होते हैं तो तब तक पिता की उम्र 50 से ऊपर हो चुकी होती. अगर उनके पास पैसे जमा हैं, तो उसमें बच्चों की शादी, घर, रिटायरमेंट, हैल्थ से जुड़े खर्चे भी उसी पर निर्भर होते हैं. इसलिए आंख मूंदकर अपनी जमापूंजी बच्चों न थमा दें. क्योंकि अगर किसी कारण से बच्चे कारोबार में असफल हो जाते हैं तो आप आर्थिक तौर पर बेसहारा हो जाएंगे.

पैसे जुटाने के ये तरीके

इसलिए अगर बच्चे 10 लाख रुपये बिजनेस के नाम पर मांग रहे हैं, तो उसे कम से कम निवेश में बिजनेस को शुरू करने की सलाह दें. अगर 10 लाख ही चाहिए तो फिर आप 2 लाख रुपये खुद से दें और बाकी पैसे बैंक से लोन और अपने रिश्तेदार से दिलाने की कोशिश करें. अगर रिश्तेदारों से पैसे लेकर बिजनेस शुरू करेगा, तो लौटाने का दबाव बना रहेगा. साथ ही अगर बैंक से लोन मिल जाता है तो फिर समय-समय पर बैंक लोन की रकम लौटाने के लिए आगाह करता रहेगा.पिता के पैसे को लेकर अधिकतक बच्चे गंभीर नहीं होते हैं. उन्हें लगता है कि अगर बिजनेस नहीं चला तो पिताजी लौटा देना तो नहीं पड़ेगा, यही असफलता का एक कारण बन जाता है. 

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वित्तीय जानकारों का कहना है कि जब बच्चे बिजनेस के नाम पर पैसे मांगे तो अपनी वित्तीय हालात को देखकर अभिभावकों को फैसला लेना चाहिए. सबकुछ दांव पर नहीं लगा देना चाहिए. असफलता की स्थिति में ऐसे अभिभावक आर्थिक तौर पर टूट जाते हैं. इसलिए जब बेटे की मांग पूरी करने की स्थिति में न हों तो उन्हें समझाएं कि अगर बिजनेस नहीं चला तो फिर परिवार की राह आगे आर्थिक तौर पर मुश्किल हो जाएगी. 

इस फॉर्मूले से सफल होने के चांस

गणित के मुताबिक 10 लाख रुपये में से बच्चे को केवल 2 लाख रुपये दें, बाकी 5 लाख रुपये लोन लेकर दें, ताकि चुकाने का जिम्मा बच्चों के ऊपर ही हो और बाकी पैसे रिश्तेदारों से ले सकते हैं. ये भी एक तरह से लोन ही होता है, इस पर केवल ब्याज नहीं लगता है. लेकिन लौटाने के लिए वक्त निर्धारित रहता है. साथ ही सामाजिक तौर पर बच्चों पर रिश्तेदारों के पैसे लौटाने का दबाव होता है. ऐसे में जब पूरी जिम्मेदारी के साथ बच्चे अपने बिजनेस को शुरू करेंगे, तो सफल होने का चांस ज्यादा होता है. और बच्चे कर्ज को ध्यान में रखकर मेहनत करते हैं. 

 

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