
होली के मौके पर बाजार रंग-बिरंगे रंगों से भरा हुआ है. लेकिन उस बाजार का क्या, जो केवल लाल रंगों से पटा पड़ा है. लोग इस इंतजार में हैं कि कब बाजार का रंग बदलेगा? जी हां, हम बात शेयर बाजार (Share Market) की कर रहे हैं. अधिकतर लोगों के पोर्टफोलियो का रंग लाल हो चुका है, खासकर नए निवेशकों के तो पोर्टफोलियो का रंग लाल होने के साथ ही चेहरे का रंग भी उड़ रखा है.
दरअसल, पिछले 6 महीने से शेयर बाजार में तगड़ी गिरावट देखी जा रही है. हर किसी का पोर्टफोलियो बेरंग हो रखा है. पिछले 6 महीने में इंडेक्स यानी सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) 15 फीसदी से ज्यादा टूट चुके हैं. जबकि अधिकतर पोर्टफोलियो 30 से 40 फीसदी तक गिर चुके हैं.
पोर्टफोलियो का रंग देखा नहीं जाता है....
कुछ नए निवेशकों के पोर्टफोलियो में तो शेयर 50 फीसदी से ज्यादा टूट चुके हैं. वैसे जब भी गिरावट आती है तो स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में उसका सबसे ज्यादा असर होता है. इस गिरावट में भी वैसे स्टॉक्स का ही सबसे ज्यादा बुरा हाल है, जो फंडामेंटली मजबूत नहीं हैं. ऐसे स्टॉक्स 70 फीसदी तक टूट चुके हैं. अब जिन निवेशकों के पास ऐसे शेयर शेयर हैं, उनके पोर्टफोलियो का रंग का अंदाज लगाया जा सकता है.
पोर्टफोलियो में लाल रंग गहराने के ये कारण
सबसे पहले जानते हैं कि आपके पोर्टफोलियो का रंग गहरा लाल कैसे हुआ? पहला कारण तो आप ये कह सकते हैं कि बाजार गिरा है तो हर स्टॉक्स पर उसका असर होता है. लेकिन कुछ निवेशका का खासकर रिटेलर के पोर्टफोलियो का रंग काफी गहरा लाल हो चुका है. इसका एक बड़ा कारण ये है कि रिटेल निवेशक वैसे स्टॉक्स में फंस जाते हैं, जो फंडामेंटली मजबूत नहीं होते, जब बाजार में जोरदार तेजी रहती है तो फिर ऐसे स्टॉक्स भी भागने लगते हैं और निवेशक लोभ में पड़कर फंस जाते हैं. लेकिन जब बाजार गिरता है तो फिर ऐसे स्टॉक्स बिखरे जाते हैं, कुछ स्टॉक्स का अभी यही हाल है, 70 फीसदी तक टूट चुके हैं, अब ये उम्मीद करना कि अगले कुछ महीनों में ही ऐसे स्टॉक्स 70 फीसदी तक चढ़ जाएंगे, ये संभव नहीं है.
पोर्टफोलियो का गहरा लाल होने का दूसरा कारण ये है कि आपने बिना सोचे-समझे शेयर खरीदे हैं, सस्ते स्टॉक्स के चक्कर में वो शेयर खरीद लिए जो, बाजार की गिरावट में सबसे ज्यादा और सबसे पहले गिरता है. यही नहीं, जब बाजार में तेजी आती है, तो भी ऐसे शेयरों से बड़े निवेशक दूरी बना लेते हैं, क्योंकि कंपनी का कारोबार मजबूत नहीं होता. वहीं नए निवेशक ऐसे शेयर अक्सर खरीद लेते हैं, क्योंकि इसकी कीमत 100 रुपये से कम होती है. खासकर 10-20 रुपये वाले स्टॉक्स के चक्कर में रिटेल निवेशक फंस जाते हैं.
अब होली तो आ गई है, हर साल होली आती है, अगले साल भी आएगी, लेकिन क्या गारंटी है कि अगले साल आपके पोर्टफोलियो का रंग बदल जाएगा, यानी लाल से हरा हो जाएगा. दरअसल आंकड़ों को देखें तो पिछले दो से तीन साल के दौरान बाजार में निवेश की शुरुआत करने वाले सभी रिटेल निवेशकों के पोर्टफोलियो में लाल रंग चढ़ चुका है. कुछेक ही ऐसे होंगे, जिनके पोर्टफोलियो का रंग हरा होगा, वैसे हर कोई चाहता है कि उसके पोर्टफोलियो का रंग हमेशा हरा रहे.
अब ऐसा क्या किया जाए, जिससे पोर्टफोलियो का लाल रंग हरे में बदल जाए, इसके लिए हर किसी को कम से कम इन तीनों बातों पर ध्यान देना होगा, आप इस होली पर अपने बेरंग पोर्टफोलियो में खुशहाली के रंग भर सकते हैं, आइए जानते हैं कैसे...
1. कमजोर स्टॉक्स से ऐसे छुडाएं पीछा: सबसे पहले अगर आप रिटेल निवेशक हैं तो आपके पोर्टफोलियो का रंग भी लाल होगा. यानी कमाई तो दूर, कैपिटल भी घट गया होगा. आपके पोर्टफोलियो में भी ऐसे मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर होंगे, जो 50 फीसदी से ज्यादा टूट चुके हैं, और वो फंडामेंटली मजबूत नहीं हैं, किसी के कहने पर ले लिया था, और अब उसे पोर्टफोलियो में देखा नहीं जा रहा है. जानकारों कहते हैं कि ऐसे शेयर्स को अब जल्दबाजी में बेचने से और नुकसान हो सकता है. इसलिए सबसे पहले एक लिस्ट बनाएं कि आपके पोर्टफोलियो में कितने मजबूत और कितने कमजोर स्टॉक्स हैं, फिर कमजोर स्टॉक्स को नुकसान के आधार पर देखें, कौन ज्यादा नुकसान दे रहा है और किसमें थोड़ा कम नुकसान हो रहा है.
एक बात तो तय है बाजार हमेशा नीचे नहीं रहता है, भले समय लग जाए, बाजार का ऊपर जाना तय है. ऐसे में कुछ महीनों का इंतजार करें और जैसे-जैसे बाजार में सुधार आए, कमजोर स्टॉक्स से निकलते जाएं, उस पैसे से नए शेयर खरीदने से बचें, पोर्टफोलियो में जो मजबूत शेयर हैं, उसी को और जोड़ लें.
2. डायवर्सीफाई पोर्टफोलियो बनाएं: कोशिश ये करें पोर्टफोलियो डायवर्सीफाई हो, यानी उसमें ब्लूचिप कंपनियां, मिडकैप और स्मॉलकैप हों. एक नए निवेशक को सबसे ज्यादा लॉर्जकैप में निवेश करना चाहिए. उदाहरण के लिए 50 से 60 फीसदी निवेश लॉर्जकैप में रखें, करीब 30 फीसदी मिडकैप में और बाकी 20 फीसदी स्मॉलकैप शेयरों में लगा सकते हैं. मिडकैप और स्मॉल कैप शेयरों के चयन में एक्सपर्ट्स की मदद ले सकते हैं, ताकि किसी कमजोर शेयर में फंसकर अपनी गाढ़ी कमाई न गंवा दें.
3. पेनी स्टॉक्स से रहें दूर: रिटेल निवेशक सबसे ज्यादा पेनी स्टॉक्स के शिकार बनते हैं, क्योंकि वो ये समझकर शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं कि ये तो पैसे बनाने की मशीन है, और फिर 10 हजार लगाकर सालभर में 5 गुना पैसा कर लेंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं है. 90 फीसदी से अधिक आम निवेशक इस चक्कर में कैपिटल भी गवां देते हैं. इसलिए 10-20 रुपये वाले शेयर के चक्कर में बिल्कुल न पड़ें.
साथ ही अगर आप चाहते हैं कि आपकी जिंदगी भी रंगों से सराबोर रहे, तो निवेश से जुड़े फैसलों को इमोशनल होकर बिल्कुल न लें.