भारत का कपड़ा उद्योग सदियों पुराना है जो हैंडलूम से मॉडर्न कपड़ा मिलों तक पहुंच गया है. कभी भारतीय कपड़ों की दुनियाभर में तूती बोलती थी. कई देशों में तो भारत नाम ही कपास की पहचान था. पड़ोसी देश चीन से रेशम और भारत से कपास पश्चिमी देशों को एक्सपोर्ट किए जाने वाले सबसे ज्यादा डिमांड वाले सामानों में शामिल थे.
लेकिन भारत अपने इस दबदबे को कायम नहीं रख पाया और चीन, जर्मनी, वियतनाम बांग्लादेश जैसे देशों ने ग्लोबल कपड़ा मार्केट पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली. अब बांग्लादेश में जारी राजनीतिक हलचल और हिंसा ने एक बार फिर से वैश्विक कपड़ा बाजार में भारत को अपने पैर मजबूत करने का मौका दे दिया है. फिलहाल भारत ग्लोबल कपड़ा मार्केट के टॉप-5 देशों में शुमार है.
चीन का कपड़ा मार्केट में राज!
ग्लोबल कपड़ा मार्केट में उत्पादन की कम लागत, बेहतर मशीनरी, कपास का सबसे ज्यादा उत्पादन होने और बढ़िया क्वालिटी के कच्चे माल की वजह से चीन का दबदबा है. चीन के बाद जर्मनी, बांग्लादेश और वियतनाम का नंबर आता है जबकि भारत पांचवें नंबर पर है. यहां पर ये जानना बेहद जरुरी है कि बड़ी टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री के बावजूद भारत निर्यात में बांग्लादेश से पीछे है.
आंकड़ों के मुताबिक भारत की टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री 150 अरब डॉलर की है जबकि बांग्लादेश की इंडस्ट्री साइज में काफी छोटी है. लेकिन भारत का निर्यात करीब 40 अरब डॉलर का है जबकि बांग्लादेश का 45 अरब डॉलर का है. भारत का रेडीमेड गारमेंट एक्सपोर्ट बांग्लादेश के मुकाबले एक तिहाई है.
भारत को करनी होगी कड़ी मेहनत!
सरकार ने 2027 तक निर्यात को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है और उस दिशा में जरूरी कदम भी उठाए जा रहे हैं. लेकिन भारत को ग्लोबल कपड़ा उद्योग में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधार समेत कई कदम उठाने होंगे जिनमें शामिल हैं प्रतिस्पर्धा की दौड़ में पिछड़ चुके घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देना, कच्चे माल की उपलब्धता और आधुनिक मशीनरी मुहैया कराना, कम जमीन पर ज्यादा कपास का उत्पादन करना, यूरोप और अमेरिका जैसे बड़े कपड़ा बाजारों में पहुंच बढ़ाना और टेक्सटाइल उद्योग की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करना.
भारत को बढ़ाना होगा कपास उत्पादन!
चीन भारत के मुकाबले कम जमीन पर ज्यादा कपास उगाता है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में एक हेक्टेयर में केवल 460 किलो कपास पैदा होता है जबकि वैश्विक औसत 780 किलो प्रति हेक्टेयर है. चीन में ये 2 हजार किलो और ब्राजील में 18 सौ किलो प्रति हेक्टेयर है. बीते 6 महीने में कपास का भाव 30 फीसदी घटा है. लेकिन सरकार ने किसानों को घाटे से बचाने के लिए आयात शुल्क ड्यूटी लगा रखा है. इससे टेक्सटाइल कंपनियों को ना तो घरेलू मार्केट में सस्ता कपास मिलता है और ना ही वो बाहर से सस्ता कपास मंगा सकती हैं. ऐसे में कपास की पैदावार बढ़ाने की जरूरत है जिसके लिए सरकारी मदद, ठोस रणनीति और इनोवेशन की जरूरत रहेगी.