यूपी सरकार ने 2047 तक 1575 किलोमीटर लंबा मेट्रो और रैपिड ट्रांजिट नेटवर्क स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जो राज्य के शहरी परिदृश्य और रियल एस्टेट सेक्टर को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखता है. जब भी किसी शहर में मेट्रो की मंजूरी मिलती है, वहां के प्रॉपर्टी बाजार में हलचल मच जाती है.
यूपी सरकार के इस मेगाप्लान का उद्देश्य प्रमुख शहरी केंद्रों में न केवल कनेक्टिविटी को बढ़ाना है, बल्कि इनके आस-पास के इलाकों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना भी है, इससे प्रॉपर्टी की मांग कई गुना बढ़ने की संभावना भी है.
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा तैयार किए गए इस विजन में वर्तमान में परिचालन वाले शहरों के साथ-साथ कई नए शहरों को शामिल किया गया है. इस लक्ष्य के तहत वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, गोरखपुर, झांसी और अन्य तेजी से बढ़ते शहरों में भी मेट्रो या लाइट मेट्रो सिस्टम स्थापित करने की योजना है, जिससे राज्य के लगभग हर महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र को अत्याधुनिक सार्वजनिक परिवहन का लाभ मिल सके.
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मेट्रो का रियल एस्टेट पर असर?
जब भी किसी शहर में मेट्रो का विस्तार होता है तो उसका सबसे बड़ा असर रियल एस्टेट सेक्टर पर दिखता है. यूपी के चार प्रमुख शहरों लखनऊ, कानपुर, आगरा और नोएडा में इस विशाल विस्तार के कारण प्रॉपर्टी की मांग और दाम में दोगुनी वृद्धि होने का अनुमान है.
लखनऊ में पहले से ही मेट्रो का एक चरण परिचालन में है. प्रस्तावित विस्तार परियोजनाएं, विशेष रूप से शहर के बाहरी क्षेत्रों और व्यावसायिक केंद्रों को जोड़ते हुए, रिहायशी और वाणिज्यिक दोनों संपत्तियों की मांग बढ़ाएंगी. आउटर रिंग रोड और नए सैटेलाइट शहरों के पास कनेक्टिविटी बेहतर होने से, किफायती आवास की ओर लोगों का रुझान बढ़ेगा. मेट्रो कॉरिडोर के 2-5 किलोमीटर के दायरे में भूमि मूल्यों में 20% से 40% तक की वृद्धि देखी जा सकती है.
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कानपुर
कानपुर मेट्रो का पहला चरण भी आंशिक रूप से चालू हो चुका है. कानपुर एक प्रमुख औद्योगिक और व्यापारिक केंद्र है, इसलिए मेट्रो के पूरी तरह से विकसित होने से कर्मचारियों की आवाजाही आसान होगी, जिससे औद्योगिक क्लस्टर के आसपास रेंटल प्रॉपर्टी और कार्यस्थल के पास आवास की मांग में भारी उछाल आएगा.
आगरा मेट्रो पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ताजमहल और आगरा किला जैसे विश्व धरोहर स्थलों को रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से जोड़ेगी. पर्यटन और होटल उद्योग से जुड़े कर्मचारियों के लिए आवास की मांग बढ़ेगी. कॉरिडोर के आस-पास सर्विस अपार्टमेंट और होटल व्यवसाय में निवेश बढ़ेगा. यह परियोजना शहर के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों के बीच की दूरी को कम करके पर्यटन-आधारित रियल एस्टेट को बढ़ावा देगी.
नोएडा और ग्रेटर नोएडा
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र का हिस्सा होने के कारण, नोएडा और ग्रेटर नोएडा पहले से ही एक परिपक्व रियल एस्टेट बाजार है. यहां DMRC और NMRC का नेटवर्क पहले से मौजूद है. 1575 किमी के लक्ष्य में, नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो कॉरिडोर का आगे का विस्तार, विशेष रूप से जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को जोड़ने वाली प्रस्तावित लाइनों का निर्माण, वेयरहाउसिंग, लॉजिस्टिक्स और कमर्शियल ऑफिस स्पेस की मांग को दोगुना कर देगा. एक्सप्रेसवे के पास की संपत्तियों और आगामी कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में निवेशकों की रुचि बढ़ेगी, जिससे ये क्षेत्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निवेश के लिए पसंदीदा गंतव्य बनेंगे.
उत्तर प्रदेश का यह 'मेट्रो' मेगाप्लान केवल परिवहन का विस्तार नहीं, बल्कि राज्य को एक आधुनिक, सुव्यवस्थित और आर्थिक रूप से सशक्त प्रदेश बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
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