नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में लोगों ने लाखों रुपये लगाकर फ्लैट खरीदे, लेकिन कुछ साल पहले ही बनी इन सोसायटीज के फ्लैटों का ये हाल है कि जरा सी आंधी और तेज हवा का सामना भी नहीं कर पा रही हैं. पिछले दिनों हुई तेज बारिश और आंधी में कई सोसायटीज के घरों को नुकसान पहुंचा, प्लास्टर गिरने और खिड़कियों के टूटने की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिससे लोग दहशत में आ गए.
सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने घरों के वीडियोज शेयर कर खराब कंस्ट्रक्शन की शिकायतें कीं. 17 मई को ग्रेटर नोएडा वेस्ट की अजनारा होम्स सोसायटी में तेज आंधी और बारिश के दौरान ऊपरी फ्लोर से प्लास्टर गिर गया, जिससे ओपन एरिया में खड़ी एक गाड़ी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई. वहीं नोएडा के सेक्टर 151 की जेपी अमन सोसायटी में आंधी से खिड़कियां और दरवाजे टूट गए, जिससे लोगों को काफी नुकसान पहुंचा है. सोसायटी के बाहर बना सफल स्टोर तेज हवाओं की चपेट में आ गया, और उसकी छत कागज की तरह उड़कर दूर जा गिरी. लोगों ने बिल्डर पर घटिया निर्माण का आरोप लगाया है.
इस घटना ने सोसायटी की सुरक्षा और निर्माण गुणवत्ता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. जेपी अमन सोसायटी के अध्यक्ष ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ से अपील की है कि स्ट्रक्चर की मजबूती और गुणवत्ता की जांच कराई जाए. लोगों का आरोप है कि बिल्डर द्वारा की गई निर्माण सामग्री घटिया गुणवत्ता की थी, जिस कारण मामूली तूफान में भी इतनी बड़ी क्षति हुई.
दिल्ली और एनसीआर ऐसे क्षेत्र में है जहां भूकंप का खतरा अधिक है, इसलिए, यहां के भवनों को भूकंप के लिए तैयार करने के लिए विशेष नियम हैं. इन नियमों के अनुसार, भवनों को मजबूत और सुरक्षित बनाने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया जाता है. इमारतों को इस तरह से डिज़ाइन करने का प्रावधान है कि वे भूकंप के दौरान सुरक्षित रहें, लेकिन इस तरह से आंधी में जिस तरह से कई घटनाएं सामने आई इसको लेकर सवाल ये है कि जरा सी आंधी नहीं झेल पाने वाली ये सोसायटीज अगर भूकंप आ जाए तो क्या झेल पाएंगी?
aajtak.in ने भू वैज्ञानिक नीतीश प्रियदर्शी से बात की. उन्होंने बताया- आंधी-तूफान और भूकंप दोनों का असर अलग-अलग होता है. आंधी-तूफान खिड़की और दरवाजे पर डायरेक्ट प्रेशर डालता है. तेज हवाओं से वैक्यूम क्रिएट होता है और खिड़कियां खुल जाती हैं. जहां तक भूकंप की बात है तो दिल्ली और एनसीआर तो वैसे ही सिसमिक जोन में है. भूकंप आने पर क्या स्थिति होगी वो भूकंप के आने के बाद ही सही तरीके से पता चल पाएगा.
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अगर रिक्टर स्केल पर 6 से अधिक तीव्रता वाला भूकंप आता है तो गंभीर क्षति पैदा कर सकता है, जिसमें इमारतें गिर सकती हैं, दरारें पड़ सकती हैं. नीतीश बताते हैं कि जितनी ऊंची इमारत होगी उसका प्रभाव उतना ही ज्यादा होगा. नीचे के फ्लोर पर रहने वाले लोगों के लिए ज्यादा खतरा तो नहीं है, लेकिन ऊंची इमारतें में रहने वाले लोगों के लिए ज्यादा खतरा है. भूकंप धरती के नीचे से आता है, इसलिए इसका प्रभाव अलग पड़ता है. वहीं तूफान का प्रेशर ऊपर से बनता है, इसलिए उसका प्रभाव अलग पड़ता है. दिल्ली ही नहीं उत्तर भारत के वो क्षेत्र जो हिमालय के नजदीक हैं सबके लिए खतरा है.
दिल्ली एनसीआर की इमारतों के बारे ये दावा किया जाता है कि वो भूकंपरोधी (Earthquake resistant) हैं, तो क्या ये इमारतें भूकंप से सुरक्षित हैं. इस सवाल के जवाब में नीतीश कहते हैं- बिल्डर भले ही ये बात कहें लेकिन हम लोगों को कैसे पता है कि भूकंप में इमारत को नुकसान नहीं होगा. रिएलिटी चेक तब होगा जब भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6 से अधिक होगी. नोएडा से गुड़गांव तक हजारों हाईराइज इमारतें हैं, जिनके लिए ज्यादा खतरा है. दिल्ली और एनसीआर में लोगों में अवेयरनेस लाने की जरूरत है कि अगर भविष्य में ऐसी घटना होती है तो उससे कैसे निपटाया जाए.
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लोगों को सुरक्षित रखने के लिए और बिल्डिंग की मजबूती को परखने के लिए ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसायटियों के एओए की टीम स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का काम कर रही हैं. ग्रेटर नोएडा वेस्ट की वाइट आर्किड, गौड़ सौंदर्यम, अरिहंत गार्डन, गौड़ सिटी 1, गौड़ सिटी 2 जैसी सोसायटीज स्ट्रक्चरल ऑडिट कराएंगी. आए दिन हो रही घटनाओं को देखते हुए एहतियतन ये कदम उठाए जा रहे हैं.