जेवर एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर तक कंस्ट्रक्शन के लिए नये नियम लागू होने से लोगों में कई तरह की आशंकाएं हैं, जिन निवेशकों ने मुनाफे की उम्मीद में प्लॉट या प्रोजेक्ट में पैसा लगाया वो घबराए हुए हैं कि उनके निवेश का क्या होगा. बता दें कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने जेवर एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर के दायरे में ऊंचाई से संबंधित सख्त नियम लागू किए हैं. लोग अब इस बात से परेशान हैं कि उन पर क्या असर पड़ेगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक हाईराइज इमारतों पर इसका असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ज्यादातर हाईराइज इमारतें सेक्टर 17 ए, 19 और सेक्टर 22डी में हैं और इन सेक्टरों की एयरपोर्ट से दूरी 20 किलोमीटर से अधिक हैं. यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के सेक्टर 22डी में सुपरटेक, ग्रीनबे, सनवर्ल्ड, लॉजिक्स बिल्डस्टेट, अजय रियलकॉ, स्टारसिटी और रियल्टी को जमीन आवंटित किया गया है. अथॉरिटी का कहना है कि ये प्रोजेक्ट एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर के दायरे से बाहर हैं या उनकी उंचाई नियमों के मुताबिक है.
जेवर और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए यह नियम कई तरह से प्रभाव डाल सकता है.
स्थानीय लोग जो अपने घरों का विस्तार या नई इमारतें बनाने की योजना बना रहे थे, उन्हें अब AAI से NOC लेना होगा. यह प्रक्रिया समय लेने वाली और जटिल हो सकती है, जिससे व्यक्तिगत निर्माण योजनाओं में देरी हो सकती है.
जेवर क्षेत्र में रियल एस्टेट और निर्माण गतिविधियां स्थानीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. नये नियमों से स्थानीय ठेकेदारों, मजदूरों और संबंधित व्यवसायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोग इन नियमों से अनजान हो सकते हैं. बिना NOC के निर्माण करने पर उनकी इमारतें तोड़ी जा सकती हैं, जिससे आर्थिक नुकसान और कानूनी परेशानियां हो सकती हैं.
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जेवर एयरपोर्ट के निर्माण की घोषणा के बाद से, यमुना एक्सप्रेसवे और आसपास के क्षेत्रों में रियल एस्टेट में निवेश में भारी उछाल आया है. 2018 से ही जमीनों और प्लॉटों की कीमतों में तेजी देखी गई है, और कई बिल्डरों ने आवासीय और व्यावसायिक प्रोजेक्ट लॉन्च किए हैं. हालांकि, निर्माण प्रतिबंध ने निवेशकों के लिए नई चुनौतियां खड़ी की हैं. इसके कई साइड इफेक्ट्स भी पड़ सकते हैं.
प्रोजेक्ट्स में देरी: जिन बिल्डरों ने बिना NOC के निर्माण शुरू किया है, उन्हें अब अपने प्रोजेक्ट्स रोकने पड़ सकते हैं, इससे प्रोजेक्ट की समय सीमा और लागत पर असर पड़ेगा, जिसका सीधा प्रभाव उन निवेशकों पर होगा, जिन्होंने फ्लैट्स या प्लॉट्स में पैसा लगाया है.
आर्थिक नुकसान: अगर कोई प्रोजेक्ट अवैध घोषित होता है या उसे तोड़ा जाता है, तो निवेशकों को भारी नुकसान हो सकता है. यमुना अथॉरिटी के रेट (लगभग 34,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर) और मार्केट रेट (80,000-95,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर) के बीच भारी अंतर के कारण, निवेशकों की पूंजी का मूल्यांकन भी प्रभावित हो सकता है.
नए नियमों और सख्ती से निवेशकों का विश्वास डगमगा सकता है, खासकर उन लोगों का जो भविष्य की संभावनाओं को देखकर जेवर में निवेश कर रहे थे.
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