उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित जेवर नगर (Jewar) आज देश के शहरी और औद्योगिक नक्शे पर तेजी से उभरता हुआ एक महत्वपूर्ण स्थान बनता जा रहा है. यह कस्बा न केवल अपनी भौगोलिक स्थिति, बल्कि हाल के वर्षों में हुए आधारभूत ढांचे के विकास की वजह से भी चर्चा में है. खासतौर पर नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (जेवर एयरपोर्ट) की स्थापना ने इस क्षेत्र को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दी है.
जेवर नगर यमुना एक्सप्रेसवे के पास स्थित है, जो इसे दिल्ली, नोएडा, आगरा और मथुरा जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ता है. यहां से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र भी सुविधाजनक दूरी पर है. इसके कारण यह क्षेत्र व्यापार, निवेश और उद्योग के लिए अत्यंत अनुकूल बनता जा रहा है.
जेवर एक पारंपरिक कस्बा है, जिसकी जड़ें कृषि प्रधान जीवनशैली में रही हैं. यहां की स्थानीय आबादी वर्षों से गेहूं, बाजरा, सरसों और आलू जैसे फसलों की खेती करती आई है. समय के साथ यहां के लोग शिक्षा और व्यवसाय के क्षेत्र में भी आगे बढ़े हैं. जेवर में विभिन्न जातियों और समुदायों का शांतिपूर्ण सहअस्तित्व इसकी सामाजिक समरसता को दर्शाता है.
2021 में शुरू हुआ नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर एयरपोर्ट) का निर्माण जेवर के लिए गेम-चेंजर साबित हो रहा है. इसके पूर्ण रूप से चालू होने के बाद यह एशिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक होगा. इसका पहला चरण 2025 तक शुरू होने की संभावना है.
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट अपने अंतिम चरण में है और लॉन्च से पहले यहां तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. एक खास बात यह है कि यह एयरपोर्ट 'डिजी यात्रा' को अपने पूरे संचालन का आधार बना रहा है, जहां एंट्री से लेकर बोर्डिंग तक सब कुछ चेहरे की पहचान पर आधारित होगा.
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, यात्रियों की सुविधा के लिए हाई-टेक डिजी यात्रा सुविधा लेकर आ रहा है. जेवर एयरपोर्ट पर ऐसी टेक्नोलॉजी का यूज किया जा रहा है, जो आपकी एंट्री बस आपके चेहरे की पहचान से कर देगी. अब आपका चेहरा ही आपका एंट्री पास होगा.
जेवर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन 30 अक्टूबर 2025 को होगा. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने बताया कि 45 दिन के भीतर यहां फ्लाइट संचालन शुरू हो जाएगा. शुरुआती चरण में एयरपोर्ट दस शहरों से जुड़ेगा और कार्गो कनेक्टिविटी पर भी ध्यान दिया जाएगा. लगभग 95 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और ORAT प्रोग्राम के तहत सुविधाओं की टेस्टिंग जारी है.
जेवर एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर दायरे में निर्माण पर बने नए नियम सुरक्षा के लिए जरूरी है, लेकिन यह स्थानीय लोगों और निवेशकों के लिए कई चुनौतियां लाता है. स्थानीय निवासियों को निर्माण में देरी और आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.