हमारे देश में बजट में घर मिलना किसी सपने से कम नहीं होता. खासतौर पर मेट्रो सिटीज में तो घर के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं. मिडिल क्लास लोगों के लिए 2 कमरे का घर लेना मुश्किल हो गया है. लेकिन आज भी कुछ ऐसे शहर हैं, जहां आपके बजट का घर मिलना इतना भी मुश्किल नहीं हैं. नाइट फ्रैंक इंडिया की ताजा फोर्डेबिलिटी इंडेक्स के मुताबिक अहमदाबाद, कोलकाता और पुणे देश में सबसे किफायती शहर बन गए हैं. 2025 की पहली छमाही में इन शहरों में घर लेना आसान हुआ है.
बताया जा रहा है कि इसकी वजह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा फरवरी में रेपो रेट में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती है. जिससे लोगों पर ईएमआई का बोझ थोड़ा कम हुआ है.
यह भी पढ़ें: किफायती घर, शानदार रिटर्न...इन शहरों में मिलेगी आपके बजट की प्रॉपर्टी
सस्ते घरों की लिस्ट में नंबर वन पर गुजरात का अहमदाबाद है. जहां घर की ईएमआई के लिए परिवार की कमाई का सिर्फ 18 फीसदी हिस्सा खर्च होता है. वहीं पुणे में 22 फीसदी और कोलकाता में 23 फीसदी घर की EMI देने में जाता है. ये तीनों भारत के सबसे किफायती शहर हैं. इंडेक्स में 40 फीसदी तक की सीमा को किफायती माना जाता है.
वहीं मुंबई में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. यहां अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स 50% से नीचे आ गया है, जो 2024 में 50 फीसदी था. अब ये 2025 की छमाही में 48 फीसदी हो गया है. अपने पुराने रिकॉर्ड को देखें तो मुंबई में घर खरीदने का ये सबसे किफायती समय है. इसकी सबसे बड़ी वजह होम लोन की कम ब्याज दरें हैं, जिससे सबसे महंगे हाउसिंग मार्केट में किस्त देना थोड़ा आसान हुआ है
यह भी पढ़ें: नोएडा में 3-4-5 BHK फ्लैट्स की बढ़ी मांग, मिडिल क्लास के बजट से बाहर हुए किफायती घर.
दिल्ली-एनसीआर के आंकड़ों की बात करें तो यहां एक परिवार की आय का 28 फीसदी हिस्सा घर की किस्त भरने में जाता है. जो पहले की तुलना में बढ़ा है. क्योंकि यहां घरों की कीमतें पहले से ज्यादा बढ़ी हैं. Knight Frank India के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल कहते हैं- 'घर का किफायती होना खरीदारों की मांग को बनाए रखने और बिक्री को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जो दोनों अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है. लोगों का वित्तीय आत्मविश्वास बढता है, जिससे वो घर में निवेश के लिए प्रेरित होते हैं.'
RBI के 2026 के लिए 6.5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान और ब्याज दरों की स्थिति देखते हुए 2025 में घर खरीदारों की मांग को समर्थन मिलने की उम्मीद है. RBI की हालिया पॉलिसिज-जैसे ब्जाय दरों पर तटस्थ रुख और CRR में कटौती ने बैकिंग सिस्टम में अधिक पैसा डाला है. इसकी वजह से उधार लेने की लागत कम हुई और कर्ज देने के लिए काफी धन उपलब्ध हुआ है, जिससे घर खरीदारों और डेवलपर दोनों को फायदा हुआ है.
यह भी पढ़ें: UP Rera का धोखाधड़ी रोकने का नया प्लान, अब नहीं होगा घर खरीदारों के साथ फ्रॉड
इसके अलावा नियंत्रित मुद्रास्फीति, बढ़ती सैलरी, और स्थिर जीडीपी की वृद्धि जैसे अनुकूल आर्थिक माहौल से भारतीय हाउसिंग सेक्टर में फिर से उछाल देखने को मिल रहा है, जो कोविड के बाद से सबसे अच्छा समय है.