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यूपी के इन 5 मेगा प्रोजेक्ट्स से रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगी 'बुलेट ट्रेन' सी रफ़्तार

गंगा एक्सप्रेसवे, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, और बुलेट ट्रेन कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट्स न केवल कनेक्टिविटी सुधारेंगे, बल्कि लखनऊ, आगरा, प्रयागराज और यहां तक कि छोटे शहरों तक भी आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक रियल एस्टेट की मांग को आसमान पर पहुंचा देंगे.

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कैसे बदलने वाली है यूपी के शहरों की तस्वीर (Photo-AI-Generated)
कैसे बदलने वाली है यूपी के शहरों की तस्वीर (Photo-AI-Generated)

देश के सबसे राज्य उत्तर प्रदेश का रियल एस्टेट मार्केट तेजी से बदल रहा है. पहले जहां दिल्ली से सटे नोएडा और गाजियाबाद को रियल एस्टेट का हॉटस्पॉट माना जाता था, अब वहीं पूरे राज्य में कई मेगा प्रोजेक्ट के आने से यहां के कई शहरों का भविष्य बदलने वाला है. यूपी के कई छोटे बड़े शहरों में रेजिडेंशियल के साथ-साथ कमर्शियल स्पेस की भी मांग तेजी से बढ़ने वाली है और निवेश के मौके भी. 

यूपी के कई ऐसे मेगा प्रोजेक्ट हैं, जो पूरे राज्य की तस्वीर बदल देंगे, नोए़डा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, गंगा एक्सप्रेसवे, फिल्म सिटी जैसे कई और ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जो राज्य के विकास की कहानी लिखने के लिए तैयार है. हम बात करेंगे ऐसे प्रोजेक्ट के बारे में जो यहां के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले हैं.

यह भी पढ़ें: नोएडा एयरपोर्ट के पास क्या महंगी होगी जमीन, नए नियम से रियल एस्टेट सेक्टर पर क्या असर

गंगा एक्सप्रेसवे से बदलेगी कई शहरों की तस्वीर 

गंगा एक्सप्रेसवे को यूपी का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे माना जा रहा है, जो राज्य के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों को जोड़ेगा. 594 किलोमीटर लंबा 6 लेन का ये एक्सप्रेसवे करीब 36 हजार करोड़ की लागत से बन रहा है. ये एक्सप्रेसवे यूपी के 12 शहरों से होकर गुजरेगा, जिसका असर रियल एस्टेट सेक्टर पर भी पड़ेगा. यह एक्सप्रेसवे मेरठ, हापुड़, संभल, उन्नाव, रायबरेली जैसे कई शहरों से होकर गुज़रेगा. इन शहरों के आसपास आवासीय और औद्योगिक कॉलोनियों के विकास की संभावनाएं हैं. एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित गांव की जमीन अब औद्योगिक कॉरिडोर और नए टाउनशिप के लिए आकर्षक बन गई हैं, जिससे जमीन के दामों बढ़ोतरी देखी जा सकती है.  एक्सप्रेसवे के साथ ही औद्योगिक क्लस्टर्स और लॉजिस्टिक्स पार्क विकसित करने की भी योजनाएं हैं. 

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नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट 

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के शुरू होने में अभी कुछ वक्त बाकी है, लेकिन इसका असर पहले से ही देखा जा रहा है. यहां के आसपास के इलाकों में प्रॉपर्टी के दामों में तेजी से उछाल आया है और आने वाले वक्त में और तेजी आने की उम्मीद है. ग्रेटर नोएडा, और यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे के इलाकों में आवासीय भूखंडों, फ्लैटों और विला की मांग में तेजी आई है. लोग इसे लंबी अवधि का निवेश मान रहे हैं. वहीं एयरपोर्ट से जुड़ी लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग, कार्गो हब और होटल इंडस्ट्री के लिए कमर्शियल भूमि की मांग तेज़ी से बढ़ी है.

फिल्म सिटी

जेवर एयरपोर्ट के पास यमुना एक्सप्रेसवे इलाके में बनने वाली फिल्म सिटी आने वाले समय में इस इलाके में रियल एस्टेट में तेजी आने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी देगी. यहां फिल्म प्रोडक्शन, मीडिया और एंटरटेनमेंट से जुड़े कर्मचारियों, कलाकारों और तकनीशियनों के लिए किराये के आवास और सर्विस अपार्टमेंट की मांग तेजी से बढ़ेगी. प्रोडक्शन हाउस, स्टूडियो और संबंधित व्यवसायों के लिए कॉर्पोरेट ऑफिस स्पेस और स्टूडियो की मांग बढ़ेगी, जिससे व्यावसायिक रियल एस्टेट को फायदा होगा. वहीं होटलों, रिसॉर्ट्स और मनोरंजन केंद्रों का विकास होगा, जो सीधे टूरिज्म और रियल एस्टेट को बढ़ावा देगा. 

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दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन

ये प्रोजेक्ट भारत की सबसे महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है, इसे 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जो लगभग 800 से 900 किलोमीटर लंबा होगा, दिल्ली और वाराणसी के बीच यात्रा के समय को 10-12 घंटे से घटाकर 3.5 से 4.5 घंटे कर देगा. इसका बड़ा असर रियल एस्टेट सेक्टर पर भी दिखेगा, खासतौर पर नोएडा-जेवर बेल्ट में, जहां नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बुलेट ट्रेन का स्टेशन प्रस्तावित है, जिससे इस इलाके में रेजिडेंशियल, कमर्शियल और लॉजिस्टिक्स संपत्तियों की मांग में उछाल आने की उम्मीद है. इसके अलावा, मथुरा, आगरा, लखनऊ और प्रयागराज जैसे अन्य प्रस्तावित स्टॉपेज के आसपास भी ज़मीन की कीमतों में वृद्धि होगी, जहां ट्रांज़िट ओरिएंटेड डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय रियल एस्टेट मार्केट को एक नया आयाम मिलेगा.

डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर

यह कॉरिडोर देश की रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विकसित किया जा रहा है. इससे रक्षा उपकरण बनाने वाली राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिए औद्योगिक भूखंडों की मांग में भारी उछाल आने की उम्मीद है. झांसी और अलीगढ़ जैसे इलाकों में औद्योगिक रियल एस्टेट का विस्तार होगा, वहीं हज़ारों इंजीनियरों और कुशल श्रमिकों के लिए किफायती आवासीय प्रोजेक्ट्स की जरूरत बढ़ेगी, जिससे टीयर-2 शहरों में भी घरों की डिमांड होगी, जिससे लोगों को निवेश का फायदा मिलेगा. 
 

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