भले ही डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को 14 देशों पर नए सिरे से टैरिफ लगाने के बाद भारत के साथ डील को लेकर राहत भरी खबर दी और कहा कि India-US Trade Deal पूरी होने के बेहद करीब है. लेकिन भारत की ओर से लंबी व्यापार वार्ता में जहां ज्यादातर मुद्दों पर सहमति जताई गई, तो दूसरी ओर सरकार ने उन सेक्टर्स को लेकर अपने रुख पर अड़ी हुई है, जो देश के घरेलू उद्योगों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं. डील में देरी (Delay In India-US Deal) का ये बड़ा कारण है.
घरेलू उद्योगों को नुकसान मंजूर नहीं
आजतक के सहयोगी चैनल बिजनेस टुडे टीवी को सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता को सफल बनाने के लिए अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है. हालांकि, संवेदनशील क्षेत्रों पर देश किसी भी तरह का कोई समझौता करने के पक्ष में नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत ने साफ कर दिया है कि जो मुद्दे भारतीय घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंचा सरके हैं, उनपर हम पीछे नहीं हट सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस अब भारत की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव का आकलन कर रहा है और जल्द प्रतिक्रिया दे सकता है.
Trump बोला- 'हम दोनों समझौते के करीब'
एक ओर जहां भारत ने खासतौर पर एग्रीकल्चर और डेयर प्रोडक्ट्स पर अमेरिकी मांग को लेकर दो टूक कह दिया है कि इस मामले में समझौता नहीं किया जा सकता है, तो वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने दावा किया है कि वाशिंगटन भारत के साथ ट्रेड डील के करीब पहुंच गया है, जो अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने और टैरिफ को आर्थिक लाभ के साधन के रूप में इस्तेमाल करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है. उन्होंने इजरायली पीएमबेंजामिन नेतन्याहू के साथ डिनर के दौरान ये भी बताया कि हमने UK-China के साथ समझौता किया है.
गेहूं-चावल और दूध पर भारत का रुख अडिग
गेहूं-चावल और दूध के साथ ही एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर से जुड़े अन्य सामनों को लेकर भारत अपने रुख पर अडिग बना हुआ है. इसे लेकर जहां केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने स्पष्ट किया कि भारत व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने में जल्दबाजी नहीं करेगा और FTA दोनों देशों के फायदेमंद होना चाहिए. तो वहीं कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कह दिया है कि Nation First हमारा मूल मंत्र है और किसी दबाव में कोई बातचीत नहीं होगी. उन्होंने कहा है कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए India-US Trade Deal पर बातचीत की जाएगी.
दरअसल, एग्रीकल्चर और डेयरी प्रोडक्ट डील में अहम किरदार निभाते नजर आ रहे हैं, जो कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और राजनीति में गहराई से समाहित हैं. अगर अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों पर गौर करें, तो भारत ने सभी से इन मुद्दों को बाहर ही रखा है. ट्रेड वार्ता के दौरान भी भारतीय वार्ताकारों ने छोटे पैमाने के किसानों की कमजोरी और उनके नुकसान का हवाला दिया है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, डेयरी, पोल्ट्री, जीएम सोया और चावल जैसे तगड़ी सब्सिडी वाले अमेरिकी निर्यात से भारत की कृषि अर्थव्यवस्था (India's Agriculture Economy) के लिए गंभीर खतरा है और खाद्य सुरक्षा भी कमजोर हो सकती है.
1 अगस्त तक बढ़ाई गई टैरिफ की डेडलाइन
यहां बता दें कि बीते 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तमाम देशों पर Reciprocal Trariff का ऐलान किया था और भारत को 26% टैक्स की कैटेगरी में रखा था. हालांकि,इसे लागू करने के लिए 90 दिनों की छूट दी गई थी और ये 9 जुलाई को खत्म होने वाली थी, लेकिन अब Tariff Deadline को 1 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है. इससे भारत और अमेरिका के बीत अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने और मुद्दों को सुलझाने के लिए अधिक समय दिए जाने के तौर पर देखा जा सकता है.