बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) मिडिल क्लास को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख की सालाना आमदानी पर 0 टैक्स का ऐलान किया, जो मिडिल क्लास के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. इसके अलावा, TDS को लेकर भी सरकार ने सीनियर सिटीजन को तोहफा देते हुए 50,000 की लिमिट को बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया था. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह तो एक शुरुआती राहत है, अभी बड़ा ऐलान तो बाकी है.
दरअसल, RBI मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक (MPC) 5 से 7 फरवरी के बीच होने वाली है. ऐसे में ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए अब RBI बड़ा कदम उठा सकता है. कई एक्सपर्ट्स का मनना है कि भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. ताकि मिडिल क्लास को लोन ब्याज दर को लेकर थोड़ी राहत मिल सके. यह कटौती 25 बेसिस पॉइंट हो सकती है.
अगर ब्याज दरों में कटौती की जाती है तो कंजम्पशन बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था ग्रोथ को भी मजबूती मिलेगी. वहीं लोन में राहत मिलने से मिडिल क्लास की आमदनी थोड़ी और बचेगी, जिसका लाभ वे बैंक एफडी, सरकारी योजनाओं या अन्य जगहों पर निवेश करके ले सकते हैं.
आरबीआई का GDP पर भी रहेगा फोकस
वहीं मोतीलाल ओसवाल के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल ने का कहना है कि RBI का फोकस 7 फीसदी GDP ग्रोथ पर रहेगा. साथ ही क्रेडिट फ्लो भी सुधारने पर फोकस रहेगा. ऐसे में अनुमान है कि सरकार कंजम्पशन को और बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कटौती कर सकती है. रामदेव ने कहा कि यह बजट काफी बेहतरीन है और बजट में कंजम्पशन को बूस्ट दिया गया है.
लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए आरबीआई ने लिया फैसला
अभी हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. आरबीआई ने सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए 60,000 करोड़ रुपये की सरकारी सिक्योरिटी खरीदेगा का फैसला किया है. डॉलर-रुपया स्वैप ऑक्शन के जरिए भी लिक्विडिटी बढ़ाने की तैयारी है. ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि आरबीआई लोन रेट में भी कटौती करके लिक्विडिटी बढ़ा सकती है.
फरवरी 2023 से नहीं हुआ कोई बदलाव?
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फरवरी 2023 से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. इस दौरान 11 मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक हो चुकी है, जिसमें ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. ऐसे में आरबीआई इस बार राहत देने के बारे में सोच रही है. इस दौरान रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर रहा है. भारतीय रिजर्व ने महंगाई को कंट्रोल रखने के लिए ये फैसला रखा था.