प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को गुजरात के गांधीनगर में एक कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की सफलता का जिक्र किया. इस दौरान उन्होंने देश के 140 करोड़ नागरिकों से बड़ी अपील करते हुए विदेशी सामानों पर निर्भरता खत्म करने के लिए कहा. बिना नाम लिए पीएम मोदी ने चीन पर निशाना साधा, ये ऐसे ही नहीं है, खिलौनों समेत कई ऐसे चीनी सामान (Chinese Product) हैं, जिनके लिए भारत एक बड़ा बाजार है. खासतौर पर Toy's की बात करें तो काफी हद तक भारत इसमें आत्मनिर्भर बना है और दुनिया को निर्यात कर रहा है. अब पीएम मोदी की ताजा अपील ड्रैगन को करारी चोट देने वाली साबित हो सकती है.
PM बोले- 'विकसिल भारत के लिए ये जरूरी'
पीएम मोदी ने कहा '2047 तक विकसित भारत बनाने और अर्थव्यवस्था को चौथे से तीसरे पायदान पर लाने के लिए विदेशी सामानों के बहिष्कार जरूरी है. अब हम कोई विदेशी चीज का इस्तेमाल नहीं करेंगे, इसके लिए हमें गांव-गांव में भी व्यापारियों को शपथ दिलवानी होगी कि विदेशी सामानों से कितना भी मुनाफा क्यों न हो, कोई भी विदेश चीज नहीं बेचें.' नाम लेकर नहीं, बल्कि अलग तरीके से China पर निशाना साधते हुए PM Modi ने कहा कि आज छोटी आंखों वाले गणेश जी भी विदेश से आ जाते हैं, जिनकी आंख भी नहीं खुल रही हैं.
यही नहीं, होली पर रंग और पिचकारी भी वहां से आते हैं. इससे पहले साल 2022 में प्रधानमंत्री ने खिलौना उद्योग का जिक्र करते हुए वोकल फॉर लोकल पर जोर दिया था और इसका असर भी देखने को मिला, भारत का खिलौना आयात घटा और भारतीय खिलौनों का निर्यात लगातार बढ़ रहा है.

खिलौनों से लगेगी China को चोट
हाल के वर्षों में भारत के खिलौना निर्यात में काफी तरक्की की है और इस सेक्टर में ग्लोबल हब बनता जा रहा है. साल 2017 से पहले, भारतीय खिलौना उद्योग चीन पर काफी निर्भर था, जहां लगभग 90% खिलौने चीन से आयात किए जाते थे, लेकिन आज भारत के खिलौना आयात में भारी कमी आई है और अमेरिका जैसे बड़े देशों में भारतीय खिलौनों की डिमांड बढ़ी है और भारत का निर्यात भी बढ़ा है. लेकिन इसके बावजूद अभी भी भारतीय बाजार Chinese Toys's के लिए बड़ा बाजार बना हुआ है. अगर ये बाजार टूटा तो चीन को बड़ा झटका लगेगा.
चीन वैश्विक खिलौना बाजार में एक महत्वपूर्ण और बड़ा खिलाड़ी लंबे समय से रहा है. वैश्विक खिलौना और गेमिंग मार्केट अनुमानित करीब 114.4 अरब डॉलर का है, वहीं GMI रिसर्च के आंकड़ों को देखें तो अमेरिका का खिलौना बाजार बीते साल 2024 में 42.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जिसके 2032 में 56.9 अरब डॉलर का होने का अनुमान है. वहीं चीन का खिलौना बाजार 2024 में 22.8 अरब डॉलर का था और 2033 तक इसके 50.6 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

खिलौना निर्यात में चीन को टक्कर
भारत के खिलौना आयात में चीन की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2013 में करीब 90 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2024 में महज 60 फीसदी से भी कम रह गई है, जैसा कि चीन से खिलौनों के लिए देश के घटते आयात बिल से पता चलता है, जो क्रमश: 214 मिलियन डॉलर (FY13) से 41.6 मिलियन डॉलर (FY24) हो गया है. अब अगर पीएम मोदी की अपील के बाद चाइनीज खिलौनों का बहिष्कार (Boycott China) किया जाता है, तो फिर ये ड्रैगन को तगड़ा नुकसान पहुंचा सकता है.
ट्रंप टैरिफ के बाद भारतीय निर्यातकों पर US की नजर
हाल ही में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर हाई टैरिफ का ऐलान किया था, तो इसका सबसे पहला असर China Toy Market पर देखने को मिला था और कई बड़ी फैक्ट्रियों में ताले लटकने की बात सामने आई थी. वहीं इस बीच एक्सपर्ट्स ने कहा था कि अमेरिका का ये कदम भारतीय खिलौना उद्योग के लिए फायदे का सौदा साबित होगा.
बता दें कि भारत की करीब 20 कंपनियां पहले से ही अमेरिका को बड़ी मात्रा में खिलौनों का निर्यात करके चीन को चोट पहुंचा रही हैं. वहीं भारतीय खिलौना संध की ओर से ये भी कहा गया था कि कुछ भारतीय एक्सपोर्ट हाउस ने भी हमसे संपर्क किया है और उन मैन्युफैक्चरर की लिस्ट मांगी है, जो अमेरिकी नियमों के मुताबिक, खिलौने बना सकते हैं.

Boycott China से टूटेगी ड्रैगन की कमर
ये तो बात हुई चाइनीज खिलौनों के बारे में, लेकिन अगर PM Narendra Modi की अपील के बाद Boycott China मुहिम जोर पकड़ती है, तो न केवल खिलौनों, बल्कि वहां से आने वाले अन्य सामानों का भी बहिष्कार होता है, जिनके लिए भी भारत एक बड़ा मार्केट है. जब लोग 'मेड इन चाइना' सामान नहीं खरीदेंगे, तो फिर धीरे-धीरे बाजार से चाइनीज प्रोडक्ट्स गायब हो जाएंगे और ये चीन को करारा आर्थिक झटका लगेगा.
खिलौनों के अलावा चीन से आने वाली सजावटी झालरों, एलईडी बल्ब-लाइट्स, मोबाइल फोन, स्पोर्ट्स आइटम्स, प्लास्टिक प्रोडक्ट्स, चीनी मिट्टी के कप-प्लेट व सजावटी सामान, गिफ्ट आइटम, जूते-चप्पल, इलेक्ट्रिक प्रोडक्ट्स (मसाजर, हीटिंग पैड, ई-टूथब्रश, कॉफी मेकर आदि) की भारतीय बाजार में बड़ी खपत होती है. बड़ी मात्रा में फैक्ट्री और मैन्युफैक्चरिंग मशीनें, ऑटोमोबाइल पार्ट्स के साथ-साथ फार्मा और मेडिकल इक्विपमेंट भी लिस्ट में शामिल हैं.