सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने ‘विनिवेश’ पर बने सचिवों के एक ‘कोर ग्रुप’ को उन 2 बैंकों के नाम सौंप दिए हैं, जिन्हें इसी वित्त वर्ष में प्राइवेट किया जाना है.
वित्त मंत्री ने की थी बजट में घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के 2 बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का प्राइवेटाइजेशन करेगी. इसके लिए बैंकों के नाम का चयन करने की जिम्मेदारी नीति आयोग को दी गई थी.
पीटीआई की खबर के मुताबिक नीति आयोग के अधिकारी ने जानकारी दी, ‘हमने सचिवों के कोर ग्रुप को बैंकों के नाम की अंतिम सूची दे दी है.’
हालांकि अभी बैंक के नाम सामने नहीं आए हैं. कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले सचिवों का कोर ग्रुप इस सूची पर विचार करके इसे मंजूरी के लिए पहले अल्टरनेटिव मैकेनिज्म और उसके बाद कैबिनेट के पास भेजेगा. कैबिनेट की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही इस लेकर रेग्युलेटरी परिवर्तन किए जाएंगे.
ये है प्राइवेटाइजेशन की वजह
बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की वजह बताते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा था कि देश को SBI जैसे बड़े बैंकों की जरूरत है. हमें ऐसे बैंक चाहिए तो अपने स्तर को बढ़ाने के काबिल हों और देश की आकांक्षाओं को पूरा करने की क्षमता रखते हों.
रखा जाएगा कर्मचारियों का ध्यान
बैंकों के प्राइवेटाइजेशन से कर्मचारियों के हितों के साथ खिलवाड़ नहीं होगा. हाल ही में वित्त मंत्री ने बैंक कर्मचारियों को ये भरोसा दिलाया है. वित्त मंत्री का कहना है कि प्राइवेटाइजेशन के दौरान कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और स्केल सभी का ध्यान रखा जाएगा.
गौरतलब है कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सरकारी कंपनियों, बैंकों और बीमा कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.
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