रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला लिया. मुकेश अंबानी की कंपनी ने कहा कि उसने गुजरात के जामनगर स्थित अपनी एक्सपोर्ट रिफाइनरी में रूसी कच्चे तेल का उपयोग रोक दिया है, क्योंकि कंपनी यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का पालन रने के लिए कदम उठा रही है.
RIL भारत में रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, जिसे वह जामनगर में रिफाइन करके पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदलता है. यह परिसर दो रिफाइनरियों से बना है - एक SEZ यूनिट, जहां से ईंधन यूरोपीय संघ, अमेरिका और अन्य बाजारों को निर्यात किया जाता है और दूसरा पुरानी यूनिट, जो घरेलू बाजार की जरूरतों को पूरा करती है.
अमेरिका से अब डील होगी पक्की?
अमेरिका बार-बार भारत पर रूसी तेल खरीद को लेकर हमला बोलता रहा है.उसने भारत पर रूसी तेल खरीदने के कारण 25% एक्स्ट्रा टैरिफ भी लगाया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी यही कहते आए हैं कि रूसी तेल आयात में कटौती के बाद ही डील हो सकती है. ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिलायंस द्वारा लिया गए इस फैसले से भारत और अमेरिका के बीच डील दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाएगा.
पिछले महीने जब अमेरिका ने रूस के सबसे बड़े तेल निर्यातकों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाए थे, तो कंपनी ने कहा था कि वह सभी लागू प्रतिबंधों का पालन करेगी और अनुपालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने रिफाइनरी संचालन को समायोजित करेगी.
इतना तेल खरीदती थी रिलायंस
गुजरात के जामनगर में दुनिया के सबसे बड़े तेल रिफाइनर्स परिसर का संचालन करने वाली रिलायंस ने भारत को भेजे जाने वाले प्रतिदिन 1.7-1.8 मिलियन बैरल रियायती रूसी कच्चे तेल का लगभग आधा हिस्सा खरीदती थी. कंपनी कच्चे तेल को पेट्रोल, डीजल और विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) में बदलती थी, जिसका एक बड़ा हिस्सा यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे मार्केट में जाता था.
SEZ यूनिट में बंद किया है रूसी तेल
गौरतलब है कि यूरोपीय संघ (EU) ने रूस के ऊर्जा राजस्व को टारगेट करते हुए व्यापक प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें रूसी कच्चे तेल से उत्पादित ईंधन के आयात और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के उपाय भी शामिल हैं. इनका पालन करने के लिए, रिलायंस ने अपनी केवल-निर्यात रिफाइनरी में रूसी कच्चे तेल का आयात बंद किया है.
कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि हमने 20 नवंबर से अपने एसईजेड रिफाइनरी में रूसी कच्चे तेल का आयात बंद कर दिया है. किसी भी बड़े औद्योगिक कारखाने की तरह, रिफाइनरी के पास पहले से मौजूद कच्चे तेल का भंडार होना चाहिए, जिसे वह वर्तमान में संसाधित करके ईंधन में बदल रही है. पुराना भंडार खत्म होने के बाद, नए उत्पाद केवल गैर-रूसी तेल से ही बनाए जाएंगे.