बजट सत्र के दौरान लोकसभा में भारत सरकार ने 13 फरवरी को आयकर विधेयक- 2025 को पेश किया. इस बिल का इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICMAI) ने स्वागत किया है. ICMAI का कहना है कि आयकर कानून को सरल बनाने की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम है. फिलहाल भारत में करीब 6 दशक पुराना इनकम टैक्स कानून है.
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य आयकर प्रावधानों को सुव्यवस्थित, सरल, मुकदमेबाजी में कमी और सिस्टम में पारदर्शिता लाना है. यही नहीं, इस विधेयक में साफतौर पर सरकार के संकल्प को दर्शाता है, जो कि देश में कारोबार को आसान बनाने के लिए बुनियादी संरचनात्मक परिवर्तन किए जा रहे हैं.
आयकर बिल में 'Cost Accountant' को शामिल करने की मांग
ICMAI विकसित भारत@2047 के विजन को साकार बनाने में अपनी भूमिका को प्रभावी ढंग से निभाने के लिए कृतसंकल्प हैं. इसी कड़ी में संस्थान ने लोकसभा की प्रवर समिति (Select Committee) को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें आयकर विधेयक- 2025 की धारा 515(3)(b) के अंतर्गत 'Accountant' की परिभाषा में 'Cost Accountant' को शामिल करने के लिए अनुरोध किया गया है. संस्थान का मानना है कि इससे कारोबारी परिदृश्य में अधिक प्रतिनिधित्व, समावेशिता और विकसित हो रही टैक्स व्यवस्था के तहत कराधान व अनुपालन-संबंधी गतिविधियों में कॉस्ट अकाउंटेंट के स्पेशलाइज्ड स्किल्स का उपयोग सुनिश्चित होगा.
ICMAI की देश में बड़ी भूमिका
ICMAI की मानें तो अकाउंटेंट की परिभाषा में 'कोस्ट अकाउंटेंट' को शामिल करने की मांग एक्सपर्ट्स के सुझाव के साथ है. जो कि CMA पाठ्यक्रम के माध्यम से आयकर, GST, अकाउंट्स, बैंकिंग, फाइनेंस, कोस्ट और मैनेजमेंट अकाउंटिंग, Auditing, सूचना प्रौद्योगिकी, रणनीतिक जोखिम प्रबंधन, कॉपोरेट कानून और नैतिकता के साथ ही अंतरराष्ट्रीय परीक्षा मानकों को व्यापक रूप से कवर करता है.
कई राज्यों में भी लेखा-जोखा का काम
बता दें, CMA को कंपनी अधिनियम 2013 के तहत आंतरिक लेखा परीक्षक के रूप में मान्यता प्राप्त है. इस क्षेत्र में आंतरिक नियंत्रणों, जोखिम मूल्यांकन और लेखा एंव वित्त की गहन समझ के लिए CMA के एक्सपर्ट्स के सुझाव को स्वीकार किया जाता है. साथ ही, सीएमए को विभिन्न राज्य कानूनों के तहत Financial Audit के लिए भी अधिकृत किया गया है.
यही नहीं, सीएमए माइक्रो विश्लेषण में भी एक्सपर्ट है, जिससे सरकारी खजाने को होने वाले किसी भी नुकसान से बचाने के लिए आयकर के क्षेत्र में काम करने का एक अनूठा लाभ होता है.
बता दें, माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा 2021 के सिविल केस 29 में पैरा 27 पर अनुपात दिया गया है. सीएमए निर्धारित प्रारूप के अनुसार ऐसे डेटा को संकलित करने में समान रूप से सक्षम है. इसलिए सीएमए की मांग को आयकर विधेयक- 2025 की धारा 515(3)(b) के तहत 'अकाउंटेंट' की परिभाषा में शामिल किया जाना चाहिए.
इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के बारे में
इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAMI) की स्थापना संसद के विशेष अधिनियम, यानी लागत लेखाकार अधिनियम, 1959 के तहत भारत में लागत और प्रबंधन लेखाकारों के व्यवसाय के विनियमन और विकास के लिए एक वैधानिक पेशेवर निकाय के रूप में की गई है. यह इंस्टीट्यूट कॉपोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है. इंस्टीट्यूट इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ अकाउंटेंट्स (आईएफएसी), कन्फेडरेशन ऑफ एशियन एंड पैसिफिक अकाउंटेंट्स (सीएपीए) और साउथ एशियन फेडरेशन ऑफ अकाउंटेंट्स (एसएएफए) का संस्थापक सदस्य है. संस्थान एशियन फेडरेशन ऑफ अकाउंटेंट्स (एएफए) का एसोसिएट सदस्य और इंटरनेशनल इंटीग्रेटेड रिपोर्टिंग काउंसिल (आईआईआरसी), यूके का सदस्य भी है.