
अक्सर कहा जाता है कि असली भारत तो छोटे शहरों और गांवों में बसता है. तो इस बार असली भारत ने ही इकोनाॅमी को मंदी से बाहर निकालने का बीड़ा उठा रखा है.
मेट्रो शहरों में बसने वाले ‘इंडिया‘ को पीछे छोड़कर ‘भारत‘ ने खरीदारी के दम पर इकोनाॅमी को जबरदस्त सहारा दिया है. सबसे पहले बात करते हैं ऑनलाइन खरीदारी की जिसने बिक्री के नए रिकॉर्ड बनाए और ये कीर्तिमान छोटे शहरों के दम पर बने हैं.
रेडसीर कंसल्टिंग की रिपोर्ट
रेडसीर कंसिल्टंग की एक रिपोर्ट से ऑनलाइन खरीदारी के बारे में कई दिलचस्प आंकड़े सामने आते हैं. इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैंः
छोटे शहरों के दम पर रिकॉर्ड
लेकिन इस रिकॉर्ड उछाल में बड़ा हाथ मेट्रो शहरों का नहीं है बल्कि ये करामात तो छोटे शहरों के दम पर हुई है. दरअसल, एमेजाॅन-फ्लिपकार्ट की इस बिक्री में हिस्सेदारी से खरीदारी का ट्रेंड समझना आसान है.
कोरोना का असर
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि कोरोना का कोई असर इस बार की ई-कॉमर्स सेल पर ना दिखा हो. प्रति व्यक्ति खरीदारी में इस बार कमी आई है. रेडसीर के मुताबिकः
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डिस्काउंट और ईएमआई से मिली मदद
इस बार खरीदारी में बढ़ोतरी की वजह डिस्काउंट्स, बैंकों से भागीदारी के जरिए ईएमआई पर बिक्री और कई प्रोडक्ट्स की एक्सक्लूसिव लॉन्चिंग को माना जा रहा है. छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों का ये जलवा केवल ऑनलाइन शॉपिंग तक सीमित नहीं रहा. इकोनाॅमी के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण कार बाजार को भी इन्हीं इलाकों ने मदद की है.
BIMARU राज्यों का योगदान
वहीं कंपनियों का दावा है कि ये बढ़त और ज्यादा होती अगर मिनी लॉकडाउन जैसे हालातों के चलते सप्लाई पर असर ना पड़ता. माना जा रहा है कि लगातार दूसरे साल आए दमदार मॉनसून से ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ने से ये तेजी आई है. कंपनियों की हिस्सेदारी भी इस दौरान शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में बढ़ी है. मारुति की कुल बिक्री में ग्रामीण इलाकों की हिस्सेदारी 2 फीसदी बढ़कर 41 परसेंट हो गई है, जबकि शहरी इलाकों में ये 2 परसेंट कम होकर 32 फीसदी रह गई है. टाटा मोटर्स की ग्रामीण इलाकों में बिक्री 4 से 5 परसेंट बढ़कर 43 फीसदी और महिंद्रा एंड महिंद्रा की भी 4 से 5 परसेंट बढ़कर 53 फीसदी हुई है.
ग्रामीण इलाकों में एसयूवी पर जोर
ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा बिक्री एसयूवी (SUVs) की हो रही है. अब कंपनियां इन इलाकों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए ज्यादा शोरूम भी खोल रही हैं. यानी साफ है कि कृषि के बूते भारतीय इकोनाॅमी कमाल कर सकती है. अब अगर किसानों की तरक्की के लिए सरकार कुछ और कदम उठाती है तो फिर अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार का सपना जल्द साकार हो सकता है.