सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने Gensol Engineering पर बड़ा एक्शन लिया है. सेबी ने कंपनी के प्रमोटर्स अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को किसी भी डायरेक्टोरियल या प्रमुख मैनेजमेंट पद पर रहने और किसी भी तरह के शेयरों के खरीद-बिक्री पर रोक लगा दिया है. क्योंकि कंपनी के मालिक ही निवेशकों के पैसा का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए कर रहे थे. सेबी ने अपनी जांच में खुलासा किया है कि जेनसोल इंजीनियरिंग के CEO कैसे इस पैसे को फ्लैट और अन्य लग्जरी सुविधाओं के लिए खर्च कर रहे थे.
15 अप्रैल के एक अंतरिम आदेश में सेबी ने जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड (Gensol Engineering Ltd) में "आंतरिक नियंत्रण का पूर्ण विघटन" कहा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कंपनी के प्रमोटरों ने इलेक्ट्रिक वाहन (EV) खरीद के लिए जुटाए गए सैकड़ों करोड़ रुपये को व्यक्तिगत भोग-विलास और लग्जरी चीजों की खरीदारी में लगा दिया.
कंपनी के पास कहां से आए थे करोड़ों रुपये
वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2024 के बीच Gensol ने दो सरकारी कर्जदाताओं IREDA और PFC से 977.75 करोड़ रुपये का लोन लिया था, जिसका उद्देश्य ब्लूस्मार्ट नामक एक संबंधित पार्टी को पट्टे पर देने के लिए 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना था. लेकिन यहीं पर कंपनी ने बड़ा झोल कर दिया.
कंपनी ने कुछ ऐसे बुना जाल
इलेक्ट्रिक वाहन की सप्लाई करने वाली कंपनी Go-Auto ने बताया कि ₹567.73 करोड़ प्राइस के ही सिर्फ 4,704 इलेक्ट्रिक वाहन दिए गए. बाकी ₹262.13 करोड़ की राशि का कोई खास स्पष्टीकरण नहीं मिला है. जबकि अभी लोन की अंतिम किश्त नहीं मिली थी. जिसके बाद जांच शुरू हुई तो SEBI को राउंड-ट्रिपिंग का मामला मिला, जिसमें खुद की कंपनी को ही पैसे भेजकर डील दिखाई गई थी.
कैसे-कैसे पैसा घुमाया?
SEBI के मुताबिक, जेनसोल के प्रमोटर्स ने कंपनी के फंड को पहले GO-Auto में ट्रांसफर किया और फिर वहां से कैपब्रिज वेंचर्स एलएलपी, मैट्रिक्स गैस, वेलरे सोलर और अन्य प्रमोटर्स से जुड़ी संस्थाओं को भेजा.
मां के नाम पर खरीदा गुड़गांव में फ्लैट
जिस दिन गो-ऑटो को जेनसोल से फंड मिला, उसी दिन गो-ऑटो से कैपब्रिज को ₹50 करोड़ ट्रांसफर किए गए. तीन दिन बाद, कैपब्रिज ने गुड़गांव के कैमेलियास में एक लग्जरी अपार्टमेंट के लिए डीएलएफ लिमिटेड को ₹42.94 करोड़ का भुगतान किया. इस प्रॉपर्टी को शुरू में अनमोल सिंह जग्गी (GENSOL CEO) की मां जसमिंदर कौर ने बुक किया था और बाद में कैपब्रिज को ट्रांसफर कर दिया गया. उन्होंने जो ₹5 करोड़ बुकिंग एडवांस दिया था, उसका पता भी जेनसोल को ही चला.
गोल्फ सेट, ट्रेवेल और यहां उडाया पैसा!
पर्सनल बैंक स्टेटमेंट की आगे की जांच से व्यक्तिगत खर्च के कई मामले सामने आए. अनमोल सिंह जग्गी ने कथित तौर पर कंपनी से जुड़े फंड का इस्तेमाल टेलरमेड से गोल्फ सेट (₹26 लाख), AED में विदेशी मुद्रा (₹1.86 करोड़), क्रेडिट कार्ड से भुगतान (₹9.95 लाख) और मेकमाईट्रिप के जरिए यात्रा बुक करने (₹3 लाख) के लिए किया.
इतना ही नहीं उनके भाई पुनीत सिंह जग्गी ने इसी तरह से मिले 13.5 करोड़ रुपये का यूज अमेरिकन एक्सप्रेस कार्ड पेमेंट, फैमिली ट्रांजेक्शन और अन्य व्यक्तिगत खर्चों के लिए किया. फंड को सर्कुलर लूप में भी रीसाइकिल किया गया. Go-Auto ने Gensol और वेलरे के जरिए कई बार कम से कम 8.5 करोड़ का ट्रांजेक्शन किया, जबकि PFC से कैपब्रिज को भेजे गए ₹10 करोड़ बाद में गो-ऑटो में वापस आ गए. एक दूसरे मामले में सेबी ने पाया कि प्रमोटर्स ने वेलरे के जरिए जेनसोल से मिले 10 करोड़ का इस्तेमाल तरजीही शेयर आवंटन में अपनी भागीदारी के लिए किया.
स्टॉक स्प्लिट पर प्रतिबंध
Gensol Engineering ने हाल ही में 1:10 स्टॉक स्प्लिट का भी ऐलान किया था. सेबी ने उस पर भी रोक लगा दी है. मार्केट रेगुलेटर का कहना है कि यह कदम निवेशकों के हित के लिए उठाया गया है. दिसंबर 2024 के शेयरहोल्डिंग पैटर्न के मुताबिक, कंपनी में 35.34% रिटेल इन्वेस्टर्स थे.
शेयरों में आज भी लोअर सर्किट
Gensol Engineering के शेयर आज बीएसई पर 5 फीसदी टूटकर 122.68 रुपये प्रति शेयर पर आ चुके हैं. इस शेयर ने इस साल अभी तक 84 फीसदी टूट चुका है. अब इस शेयर को निवेशक बेचकर निकलना चाहते हैं, लेकिन लोअर सर्किट लगने के कारण इससे निकल नहीं पा रहे हैं.
(नोट- किसी भी शेयर में खरीदारी से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.)