अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) यूक्रेन और रूस युद्ध (Ukraine-Russia War) को लेकर हर तरीके से रूस पर दबाव बना रहे हैं. अभी उन्होंने रूस के पास दो न्यूक्लियर पनडुब्बियों को तैनात कर किया है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ चुका है. वहीं बुधवार को उन्होंने भारत पर टैरिफ और जुर्माना लगाने का ऐलान किया था, क्योंकि भारत रूस से कच्चा तेल और हथियार खरीद रहा है और ट्रंप चाहते हैं कि भारत रूस से इम्पोर्ट बंद कर दे.
इतना ही नहीं ट्रंप रूस पर व्यापाक प्रतिबंध लगाने वाले हैं. जिसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप द्वारा रूस पर प्रतिबंध कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमत में तेजी ला सकता है. यह कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है.
ऑयल मार्केट एक्सपर्ट्स ने ANI को बताया कि बढ़ते जियो-पॉलिटिकल तनाव, खासकर यूक्रेन युद्ध को लेकर ट्रंप द्वारा रूस को दी गई चेतावनी तेल आपूर्ति को झटका दे सकती है, जिसका असर लॉन्गटर्म में दिखाई देगा.
सितंबर-अक्टूबर में क्रूड ऑयल प्राइस कितना होगा?
वेंचुरा में कमोडिटीज और CRM प्रमुख, NS रामास्वामी ने कहा कि ब्रेंट ऑयल प्राइस अक्टूबर 2025 तक $76 प्रति बैरल टारगेट है, जो $69 के सपोर्ट लेवल से नीचे भारी गिरावट को छोड़कर, 2025 के अंत तक $82 तक पहुंच सकता है. WTI क्रूड सितंबर 2025 तक $69.65 से बढ़कर $76-79 तक पहुंच सकता है.
एक्सपर्ट ने कहा कि यह चिंता ट्रंप द्वारा रूस के साथ व्यापार जारी रखने वाले देशों पर नए प्रतिबंधों और 100 फीसदी टैरिफ ऐलान से पैदा हुआ है. ऐसे में रूसी तेल खरीदने वाले देश सीधे तौर पर प्रभावित हो सकते हैं.

भारत पर क्या होगा असर?
सीनियर एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने कहा कि रूस ग्लोबल इकोनॉमी में हर दिन 50 लाख बैरल तेल का निर्यात करता है. अगर यह आउटफ्लो ब्रेक होता है तो क्रूड ऑयल की कीमत 100 से 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. चूंकि भारत रूस से 35 से 40 फीसदी तेल इम्पोर्ट करता है, इसलिए कीमत बढ़ने से भारत भी प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि 40 से ज्यादा देशों से आपूर्ति होने के कारण भारत को आपूर्ति में कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन कंज्यूमर प्राइस बढ़ सकती हैं.
भारत की रिफाइनरी कंपनियां रियायती रूसी तेल पर निर्भर हैं, जिसने 2022 से घरेलू महंगाई दर को संतुलित करने में मदद की है. अगर भारत की ये कंपनियां प्रतिबंध के बाद भी आयात करती हैं तो जुर्माने और उच्च टैरिफ का सामना कर सकती है, जिससे कई चीजें महंगी हो सकती हैं.
कौन-कौन सी चीजें महंगी हो सकती हैं?
विशेषज्ञों का दावा है कि ग्लोबल मार्केट में पहले से ही कच्चे तेल उत्पादन की समस्या रही है, जिस कारण कई देशों में महंगाई बढ़ी हुई है. ऊपर से ये प्रतिबंध कीमतें और बढ़ा सकती हैं. अनुमान है कि कच्चे तेल की कीमतों में 2026 तक तेजी रह सकती है.