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10वीं तक पढ़ाई... रेलवे स्टेशन पर गुजारी रातें, 73 साल का शख्स अब 46000Cr का मालिक, 65 देशों में कारोबार

Indian Billionaire Satynarayan Nuwal: भारतीय अरबपतियों में शुमार सत्यनारायण नुवाल आज 46000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं, लेकिन अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने रेलवे स्टेशन पर रातें गुजारी थीं.

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73 साल की उम्र में 46000 करोड़ रुपये से ज्यादा के मालिक हैं सत्यनारायण नुवाल (File Photo: ITG)
73 साल की उम्र में 46000 करोड़ रुपये से ज्यादा के मालिक हैं सत्यनारायण नुवाल (File Photo: ITG)

भारत में अमीरों (Indian Rich) की तादाद बढ़ रही है, इनमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं जो फर्श से अर्श पर पहुंचे हैं. ऐसे ही एक 73 साल के भारतीय अरबपति हैं सत्यनारायण नुवाल (Billionaire Satyanaratan Nuwal), जिनकी सक्सेस स्टोरी बेहद ही दिलचस्प है. आज भारत के सबसे अमीरों में शामिल सत्यनारायण नुवाल महज 10वीं तक पढ़े हैं और शुरुआती दौर में उन्होंने रेलवे स्टेशन पर अपनी रातें गुजारी हैं, लेकिन आज इनका कारोबार दुनिया के 65 देशों में फैला हुआ है. आइए जानते हैं इनके बारे में...

73 साल की उम्र, 46000Cr नेटवर्थ 
फोर्ब्स के रियल टाइम बिलेनियर्स इंडेक्स (Forbe's Billionaires Index) पर नजर डालें, तो भारत के सबसे अमीर लोगों में 73 साल के सत्यनारायण नुवाल शामिल है. वे सोलर इंडस्ट्रीज के फाउंडर और चेयरमैन हैं. इनकी नेटवर्थ (Satyanarayan Nuwal Networth) 5.2 अरब डॉलर (करीब 46500 करोड़ रुपये से ज्यादा) है. डिफेंस सेक्टर में बड़ा नाम उनकी कंपनी Solar Industries पहली प्राइवेट भारतीय कंपनी थी, जिसे सरकार से डिफेंस फोर्सेस के लिए विस्फोट तैयार करने का लाइसेंस प्राप्त हुआ था. इस कंपनी का मार्केट कैपिटल 1.08 लाख करोड़ रुपे का है. वहीं Solar Industries Share बीते शुक्रवार को 1.43% की उछाल के साथ 11,940 रुपये पर बंद हुआ था. 

Indian Billionaire Satyanarayan Nuwal Success Story

10वीं तक पढ़ाई, छोटी उम्र में हुई शादी
आज देश के सबसे रईस लोगों में शुमार सत्यनारायण नुवाल को ये रईसी उनकी कड़ी मेहनत के बल पर मिली है. राजस्थान के भीलवाड़ा में एक सामान्य परिवार में जन्म लेने वाले सत्यनारायण ने इस मुकाम पर पहुंचने के लिए कई संघर्ष झेले हैं. आर्थिक तंगी ऐसी कि उन्हें 10वीं के बाद पढ़ाई करने का मौका ही नहीं मिला, तो वहीं 19 साल की छोटी उम्र में ही उनकी शादी हो जाने के चलते जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ता चला गया. लेकिन तमाम चुनौतियों का सामना करने और बिना संघर्ष किए कभी हार न मानने को नुवाल ने अपनी आदत बना लिया था. उन्होंने बताया था कि इन संघर्ष के दिनों में मैंने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया, मैं निराश नहीं हुआ.

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घर छोड़ा, तो रेलवे स्टेशन पर गुजारी रातें
परिवार का आर्थिक सहारा देने के लिए उन्होंने अपना घर छोड़ने का फैसला किया. वस ही से शुरू हुई उनके  गरीबी से अमीरी तक पहुंचने की दिलचस्प कहानी. फोर्ब्स को दिए एक पुराने इंटरव्यू में उन्होंने अपने सामने ई चुनौतियों का जिक्र किया था. सत्यनारायण नुवाल के मुताबिक, जब उन्होंने काम की तलाश में घर छोड़ा था, तो उनके रहने तक का खर्च उठाने की क्षमता नहीं था और उन्होंने रेलेवे स्टेशनों पर रातें गुजारीं. उन्होंने कहा था कि कई छोटे-मोटे धंधे किए, लेकिन सफलता नहीं मिली. इनमें फाउंटेन पेन के लिए स्याही बनाना, लीजिंग बिजनेस से लेकर ट्रांसपोर्टेशन का कारोबार तक शामिल रहा. 

Solar Industries Chairman Satyanarayan Nuwal

एक मुलाकात और धमाकों ने बदली जिंदगी
नुवाल 1976-1977 तक तमाम कारोबारों में हाथ आजमाने के बाद महाराष्ट्र के चंद्रपुर अपने एक रिश्तेदार के साथ काम करने के लिए  पहुंचे. यहां पर उनकी मुलाकात अब्दुल सत्तार अल्लाह भाई से हुई, जिनके पास विस्फोटक लाइसेंस और एक बारूद डिपो था. नुवाल के इंटरव्यू के मुताबिक,उन्होंने बारूद डिपो किराए पर लेने के लिए 1,000 रुपये प्रति माह का सौदा किया. लेकिन किराया चुकाना भी भारी था, तो अब्दुल सत्तार ने कहा, 'चिंता मत करो बेटा, तुम मुझे 3 महीने में एक बार पेमेंट कर देना.'

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समय आगे बढ़ा, तो नुवाल का कारोबार चल निकला, कोयला खदानों से उन्हें तगड़े ऑर्डर मिलने लगे. 1984 तक उन्होंने अपने व्यवसाय का विस्तार कर एक कंसाइनमेंट एजेंट के तौर पर काम शुरू कर दिया था और 90 के दशक तक वे विस्फोटकों के बड़े डीलर बन गए. 

कर्ज लेकर खोली थी कंपनी
90 का ये दशक ही उनके लिए टर्निंग पॉइंट बनकर सामने आया और 1995 में इस सेक्टर में अपने लंबे एक्सपीरियंस को देखते हुए सत्यनारायण नुवाल ने खद की कंपनी बना ली. इसके लिए उन्होंने बैंक से 60 लाख रुपये का कर्ज लिया. लाइसेंस मिलने के बाद उनका कारोबार बढ़ता चला गया और उनकी संपत्ति में भी उछाल आता गया. 2006 तक कंपनी ने शेयर बाजार में लिस्ट होने का फैसला कर लिया था, जबकि उसका कारोबार 78 करोड़ रुपये के आसपास का था. इसके बाद 2010 तक Solar Industries भारत की रक्षा बलों के लिए युद्ध हथियारों के विस्फोटक बनाने का सरकारी लाइसेंस पाने वाली पहली निजी कंपनी बन गई थी.

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