भारत के डिफेंस उत्पादन नजरिए को नया आकार देने वाले एक कदम में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infra) की सहायक कंपनी रिलायंस डिफेंस ने जर्मनी की Diehl Defence के साथ एक बड़ी डील की है. यह डील वल्केनो 155 मिमी प्रेसिजन-गाइडेड म्यूनिशन सिस्टम के उत्पादन पर फोकस होगी. यह एक आधुनिक तोपखाना गोला है, जिसे लंबी दूरी की उच्च सटीकता वाले हमलों के लिए डिजाइन किया गया है.
10 जून को इस डील का ऐलान हुआ है, जो भारत को डिफेंस में आत्मनिर्भर बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम है. वल्केनो 155 मिमी सिस्टम कोई साधारण गोला नहीं है. यह सटीक निशाना लगाने के लिए अत्याधुनिक लेजर और GPS बेस्ड टारगेट का यूज करता है. यह गोला एकदम सटीक निशाना लगाने में सक्षम है. खासकर आधुनिक समय में युद्ध के नजरिए से यह एक खास गोला है.
भारत में बनेगा ये गोला
रिलायंस डिफेंस मुख्य ठेकेदार के तौर पर इसे तैयार करेगा, जबकि डाइहल डिफेंस मुख्य टेक्नोलॉजी और सिस्टम-स्तरीय खासियत पेश करेगा. उत्पादन महाराष्ट्र के रत्नागिरी के औद्योगिक क्षेत्र में एक नई ग्रीनफील्ड सुविधा में होगा, जो धीरूभाई अंबानी डिफेंस सिटी (डीएडीसी) का हिस्सा है.
10 हजार करोड़ का रेवेन्यू होगा जनरेट
रिलायंस डिफेंस का अनुमान है कि इस डील से 10,000 करोड़ रुपये तक का राजस्व प्राप्त हो सकता है. यह अनुमान उन्नत गोला-बारूद प्रणालियों की बढ़ती मांग और महत्वपूर्ण रक्षा टेक्नोलॉजी को स्थानीय बनाने की कंपनी की क्षमता को दर्शाता है. यह 2029 तक डिफेंस एक्सपोर्ट में 50 हजार करोड़ रुपये हासिल करने के सरकार के टारगेट को सपोर्ट करेगा.
गौरतलब है कि जर्मनी के डाइहल डिफेंस रक्षा प्रणालियों में एक ग्लोबल लीडर है. इसके पोर्टफोलियो में निर्देशित मिसाइल, वायु डिफेंस सिस्टम और आधुनिक गोला-बारूद शामिल हैं. कंपनी में लगभग 4,500 लोग कार्यरत हैं और इसकी वार्षिक बिक्री 2 बिलियन यूरो से अधिक है.
400 रुपये के पार अंबानी का शेयर
घोषणा के बाद, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में 3.5% की बढ़ोतरी हुई, जो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में 404.40 रुपये पर बंद हुआ. बाजार की प्रतिक्रिया इस रणनीतिक कदम के लॉन्गटर्म नजरिए में निवेशकों के विश्वास को दर्शाती है.
(नोट- किसी भी शेयर में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.)